Blind Love रोशनी जब खिड़की से हो कर
मेरे कमरे तक आती है,
तेरी खुश्बू तेरी आहट
मुझे नींद से जगाती है,
जाने को कहती है किचन में
चाय की खुश्बू तेरी याद दिलाती है,
वो मेहंदी वाले हाथों में खो जाती है आँखे मेरी
चूल्हे से गिर जाती है चाय मेरी,
तुझमें सुकूँ तलाशूं या चाय पियूँ
जी चाहता है रोज तुमझे थोड़ा बहक जाऊं,
तेरी यादें, तेरी चाहतें, तेरी जुस्तजू, तेरी बंदगी
मेरे सुबह-ओ-शाम को शबनमी बना देती है,
तुझे याद कर जब चाय पीता हूँ
होश नहीं तब क्या क्या लिखता हूँ,
शायरी, गज़ल,नज़्म ये कौन जानता हैं
मैं तो तुझे जनता हूँ,
लोग कोशिश करते है गज़ल लिखने की
मैं तो तेरी इबादत में गज़ल लिखता हूँ,
तेरी आँखों से हो कर जब रूह तक आता हूँ
बन जाती है गज़ल एक एक शब्द मेरी
तेरी तस्वीर जब- जब पन्नो पर उतरता हूँ...!!!
©Adarsh k Tanmay
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