बहुत सी बातें बोल दी जाती हैं
या लिख दी जाती हैं,
पर उन बातों का क्या दिल में ही दफन कर दी जाती हैं,
या वो बातें जिनसे करनी होती हैं
उनसे कभी मुलाकात ही ना हो,
या वो बातें जो इंसान को रोज सोचने पर
मजबूर कर देती हैं कि इतनी बातें करने की
आखिर जरूरत ही क्या थी ।
पता नहीं ये बातें जरूरी है भी या नहीं,
पर हाँ करनी हो शायद
या मिलने का बहाना हो ये बातें ।
28/11/24
11:36 p. m.
(U. K.) ✍️
©Ubaida khatoon Siddiqui
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here