नसीम ए सुब्ह थी औऱ दीदार ए यार होना था लगता था जैसे ज़ीस्त से फिर प्यार होना था। वो आए बज़्म में और रुख से पर्दा हटाया था , हमे तो यार अब इश्क़ में बीमार होना था।.
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