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#Dwell_in_possibility #Quotes  जब उडने कि ख्वाईश हो दिल मे तो     
  पंखो को बन्द पिंजरे भी कहाँ रोक पाते हैं 
उड़ने के लिये हौंसले मायने रखते है 
बन्द पिंजरों के दरवाज़े तो खुद ब खुद खुल जाया करते हैं।

©Priya Godiyal
#Dwell_in_possibility #suspense  जीवन में कुछ पाना और खोना 
एक आदर्श स्थिति है,
इसे सहर्ष स्वीकार करें । 🤠

Gaining and Losing in Life 
is an Ideal Situation,
Please accept it Happily. 🤠
.

©Dr Bibhash C Jha

आजाद परिंदा हूँ मुझे आजादी से जी लेने दो मत बांधो ऐसे बंधन में जो मैं जी ना सकूँ मैं बंधन में नहीं रह पाऊँगा मुझे आजादी से जी लेने दो पिंजरे का पंछी नहीं हूँ मैं आजाद परिंदा हूँ आजादी से उड लेने दो आसमान छूने की तमन्नाऐ है दिल में मेरे उसे पूरा कर लेने दो आजाद परिंदा हूँ मुझे आजादी से जी लेने दो ©Mukesh Tyagi

#Dwell_in_possibility #कविता  आजाद परिंदा हूँ मुझे आजादी से जी लेने दो
मत बांधो ऐसे बंधन में जो मैं जी ना सकूँ 
मैं बंधन में नहीं रह पाऊँगा 
मुझे आजादी से जी लेने दो
पिंजरे का पंछी नहीं हूँ मैं 
आजाद परिंदा हूँ आजादी से उड लेने दो
आसमान छूने की तमन्नाऐ है दिल में मेरे 
उसे पूरा कर लेने दो
आजाद परिंदा हूँ मुझे आजादी से जी लेने दो

©Mukesh Tyagi

आजाद परिंदा हूँ मुझे आजादी से जी लेने दो #Dwell_in_possibility

11 Love

मजबूरी वह घाव है जिसे भरने के लिए इंसान किसी भी हद तक चला जाता है ©written BY PR@HLAD

#Dwell_in_possibility  मजबूरी वह घाव है जिसे भरने के लिए इंसान किसी भी हद तक चला जाता है

©written BY PR@HLAD

#Dwell_in_possibility @Kavita Sharma अधूरी बातें pooja negi# @Shikha Sharma @Nitu Sharma

9 Love

जिंदगी जिंदगी नही लगती अगर इसमें मजबूरी जिम्मेदारी और समझदारी नही मिलती ©Bhavna Rajpurohit

#Dwell_in_possibility  जिंदगी जिंदगी नही लगती
अगर  इसमें मजबूरी  जिम्मेदारी
और  समझदारी नही मिलती

©Bhavna Rajpurohit

मन में एक बात आई है , जो जुबां से कहनी चाही है इस दुनिया से लोग कहां जाते है? ये रिश्ते नाते ईश्वर क्यों बनाते हैं? एक दिन जाना सबको होता है, फिर इतना लाड प्यार दिया क्यों जाता है? एक बेटी के लिए पिता क्या होता है? पिता का साया छिन जाए उसके बाद क्या होता है? ये दुनिया दारी ईश्वर ने क्यों बनाई है? ये भगवान ने कटपुतलियों जैसी जिंदगी क्यों बनाई है? क्या सबको प्यार नसीब होता है? किसीको को इतना सुख तो किसीको सिर्फ दुख ही नसीब क्यों होता है? माना कर्म सबसे ऊंचा होता है, तो फिर कर्म भी न्याय करने से क्यों चूका है? किस बात की सजा ईश्वर तुमने मुझको दी है? क्या इतनी जल्दी कोई बेटी पिता से बिछड़ती है? क्या ज़रा सी रहम न आई तुझको मुझ पर, क्या मेरा खुदा मुझसे बेहद रूठा है? क्या करू ऐसा जो फिर से गले लगा ले मुझे, क्या कहूं ऐसा कि पापा से फिर से मिला दे मुझे? मेरे महादेव इतने खफा तुम क्यों हो भला? इतना सब दिया फिर भी एक लालच सी लगती है, सिर्फ सुख ही मिले मन ज़िद्द ये बड़ा ही करता है, मुमकिन नहीं वापस वैसा ये मुझको पता है अब, एक बात सुनो अब थोड़ी खुशियां भी दे देना, ज्यादा तो नहीं बस मेरी मां को लम्बी उमर तुम दे देना। ©Shlagha

#Dwell_in_possibility  मन में एक बात आई है , 
जो जुबां से कहनी चाही है
इस दुनिया से लोग कहां जाते है? 
ये रिश्ते नाते ईश्वर क्यों बनाते हैं?
एक दिन जाना सबको होता है, 
फिर इतना लाड प्यार दिया क्यों जाता है?
एक बेटी के लिए पिता क्या होता है? 

पिता का साया छिन जाए उसके बाद क्या होता है?
ये दुनिया दारी ईश्वर ने क्यों बनाई है? 
ये भगवान ने कटपुतलियों जैसी जिंदगी क्यों बनाई है?
क्या सबको प्यार नसीब होता है? किसीको को इतना सुख तो किसीको
सिर्फ दुख ही नसीब क्यों होता है? 
माना कर्म सबसे ऊंचा होता है, तो फिर कर्म भी न्याय करने से क्यों चूका है? 
किस बात की सजा ईश्वर तुमने मुझको दी है?
क्या इतनी जल्दी कोई बेटी पिता से बिछड़ती है? 
क्या ज़रा सी रहम न आई तुझको मुझ पर,
क्या मेरा खुदा मुझसे बेहद रूठा है? 
क्या करू ऐसा जो फिर से गले लगा ले मुझे, 
क्या कहूं ऐसा कि पापा से फिर से मिला दे मुझे?

मेरे महादेव इतने खफा तुम क्यों हो भला?
इतना सब दिया फिर भी एक लालच सी लगती है,
सिर्फ सुख ही मिले मन ज़िद्द ये बड़ा ही करता है,
मुमकिन नहीं वापस वैसा ये मुझको पता है अब,
एक बात सुनो अब थोड़ी खुशियां भी दे देना,
ज्यादा तो नहीं बस मेरी मां को लम्बी उमर तुम दे देना।

©Shlagha
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