निष्ठा (Loyalty)
सजदे में झुका कर सिर, समर्पित वो हो गया,
आँखों से आंखें मिला, उसी में वो खो गया...
प्रेम से प्रकाशित ख़ुद को, हर मोड़ पर करता गया,
समाज के बंधनों को तोड़, सबसे वो लड़ता गया...
छुपन-छुपाई का खेल नहीं जानता,
कभी किसी दूसरे से हो, ऐसा मेल नहीं जानता...
वो झोंक गया इस कदर, ख़ुद को हवाले उसके,
प्रेम में अक्सर जो खेला जाए, ऐसा खेल नहीं जानता...
उसकी 'निष्ठा' उसका अक्सर है सहयोग करता...
इसीलिए देखो,
आज वो किसी भी परिस्थिति से नहीं डरता...
संगिनी भी निष्ठावान है उसकी,
इसीलिए वो है हर्षोल्लास में रहता.....
अगर जीवन को सफल बनाना है, तुम भी निष्ठावान बनो...
जिसकी निष्ठा है तुझपर, तुम उसका हीं सम्मान करो..
तुम उसका ध्यान करो.....
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©अपनी कलम से
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