जब हल्की सी मायूसी भरे तुम्हारे चेहरे को पहली बार देखा था,
तब ही मैं महसूस कर पाया था मै तुम्हें ,
तुम्हारे आंसुओं से भीगी अदृश्य आंखों को,
मैंने देखा तुम्हारी भीगी पलकों के पीछे छुपे अनकहे सवालों को,
और सुना तुम्हारे शुष्क हृदय की सिसकियां को ,
मैं जान नहीं पाया कि कोई कैसे तुम्हें उदास कर सकता है,
कोई कैसे इन सुंदर आंखों को आंसुओं में डूबा सकता है,
कोई कैसे चांद की चमक को फीका कर सकता है
जिसकी चमक से लाखों घर रोशन होते हैं
तुमको जानकर जाना मैने लोग इश्क में क्या से क्या हुए।
पता नहीं कैसे मैने तुम्हारे माथे की ललाट पर अपने भविष्य को देखा,
धीरे धीरे तुमको समझा, तुमको जाना मैने,
फिर मन में विधाता के प्रति एक दुर्लभ सवाल आया कि
सच मैं ईश्वर कितना निर्दयी है,
जो पहले से प्रेम के लिए मुझे तुमसे नहीं मिलवाया,
सुनो तुम सिर्फ प्रेम के लिए बनी
तुम खिलते हुए गुलाब की कोमल कली सी हो,
विरह की अग्नि को त्यागो तुम, अजय के प्रेम की कोमलता को देखो तुम।
यकीन मानो बेहद चाहता हूं मैं तुम्हें,
कितनी गौर से मैंने देखा था तुम्हें,
सच मैं जब से तुम्हारे बाद कोई चेहरा खूबसूरत नहीं दिखा।
खिलता कमल जैसा चेहरा है तुम्हारा
तुम बिन ये आँखें तुम्हारे दीदार को तरसैं
तुम्हारी याद मै ये आँखें सावन सी बरसें।
मेरे होते हुए एक मच्छर भी तुम्हें स्पर्श नहीं कर सकता।
कोई हमसे ये पूछे...
क्या है कीमत हमारी ज़िंदगी की
हम तुम्हारा हंसता हुआ चेहरा जमाने को दिखा देंगे।
©Dear ma'am
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