White कभी-कभी ना इंसान के पास वो हक़ ही नहीं होता कि वो
किसी ख़ास शख़्स के लिए अपने दिल में मौजूद एहसास और जज़्बात
उस शख़्स के सामने ज़ाहिर कर सके ।
इक ऐसा शख़्स जिस से उसका सिर्फ़ दिल-ओ-रूह से जुड़ा हुआ रिश्ता है
लेकिन उस रिश्ते का कोई नाम ही नहीं, बस इक बेनाम सा रिश्ता ।
किसी ऐसे शख़्स के लिए अपने जज़्बात ज़ाहिर करने से वो इंसान ख़ुद को
इसलिए नहीं रोकता कि वो ज़माने से या फ़िर लोगों से डरता है,
बल्कि ख़ुद को इसलिए रोक लेता है क्यूॅंकि वो अपने रब से डरता है
और इस बात से डरता है कि कहीं वो उस दूसरे शख़्स को ऐसी उम्मीदों में
मुब्तिला न कर दे जो शायद कभी पूरी नहीं हो सकती और
उम्मीदें टूट जाने पर उस शख़्स का यक़ीन भी कहीं टूट न जाए,
वो शख़्स फ़िर उस इंसान को कहीं बेवफ़ा और
धोखेबाज़ इंसान ना समझने लग जाए।
बस इसलिए वो इंसान ख़ामोश रहता है और उस शख़्स के लिए
दिल में मौजूद एहसासात और जज़्बात कभी ज़ाहिर नहीं कर पाता।
वो दूसरा शख़्स अगर अपनी समझ से समझ जाए उन जज़्बातों को
और उन सारी अनकही बातों को,
तभी वो बेनाम सा रिश्ता बरक़रार रह पाता है वर्ना
ग़लत-फ़हमियों और ख़ामोशियों की गहराइयों में डूब जाता है,
ख़त्म हो जाता है ।
#bas yunhi ek khayaal .......
©Sh@kila Niy@z
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