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Rohit Bhargava (Monty)

Rohit Bhargava (Monty) Lives in Kawai, Rajasthan, India

IG : rohit_bhargava_1 WhatsApp - 7222853281

https://youtu.be/QIsXq1knHTw?si=SSLK2EYAQYu6K77T

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White वही भाव उत्तम था। वो स्वभाव उत्तम था। परिवर्तन हुआ अनापेक्षित प्रादुर्भाव उत्तम था। समय का परिवर्तन है। कर्म है, प्रवर्तन है। जीवन - प्रकाश भिन्न नहीं उत्थान है, अपवर्तन है। ©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking  White वही भाव उत्तम था।
वो स्वभाव उत्तम था।
परिवर्तन हुआ अनापेक्षित
प्रादुर्भाव उत्तम था।

समय का परिवर्तन है।
कर्म है, प्रवर्तन है।
जीवन - प्रकाश भिन्न नहीं
उत्थान है, अपवर्तन है।

©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking

21 Love

White एक ख़्याल है। एक सवाल है। ख़ुशी है, दर्द है। इश्क़ है बवाल है। ©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking  White एक ख़्याल है।
एक सवाल है।
ख़ुशी है, दर्द है।
इश्क़ है बवाल है।

©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking

18 Love

White अरसे से बस एक ही सवाल है। रोज़ क्यों आता उसी का खयाल है। बिना मौसम ये आसमां नहीं रोता। मानता हूं, इश्क़ दो बार नहीं होता। मसरूफियत में भी भूला नहीं हूं। उसका हूं, जिसने कुबूला नहीं हूं। वो इश्क क्यों हैं, ज़िद क्यों नहीं। हज क्यों है, मस्जिद क्यों नहीं। रात आती है, याद आती है। अधूरी बात, बहुत तड़पाती है। रोना है पर अश्क़ नहीं है। दोतरफा मेरा इश्क़ नहीं है। क्यों वो शख़्स इतना रूठा है। क्यों मेरा हर अल्फ़ाज़ झूठा है। सच का सबूत कैसे दिखाऊं। हाथ में क्या कलेजा रख लाऊं। मैं दुआ करूं, पत्थर ना माने। फकीरी ए इश्क, वो क्या पहचाने। कैसे दिखाऊं मुझे मुझमें वो टूटे लहजे, बिखरे एहसास वो जज्बातों के गहरे तहखाने। यहां उसके सिवा कोई बात नहीं है। मेरा नाम तक वहां याद नहीं है। नाउम्मीदी बची है, वो बेवफ़ा है। मन मेरा अहल-ए-सफ़ा है। मैं लम्हे अपने वसूला नहीं हूं। मसरूफियत में भी भूला नहीं हूं। मानता हूं इश्क़ दोबारा नहीं होता आज भी उसी का हूं, जिसने कुबूला नहीं हूं।। ©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking  White अरसे से बस एक ही सवाल है।
रोज़ क्यों आता उसी का खयाल है।
बिना मौसम ये आसमां नहीं रोता।
मानता हूं, इश्क़ दो बार नहीं होता।
मसरूफियत में भी भूला नहीं हूं।
उसका हूं, जिसने कुबूला नहीं हूं।
वो इश्क क्यों हैं, ज़िद क्यों नहीं।
हज क्यों है, मस्जिद क्यों नहीं।
रात आती है, याद आती है।
अधूरी बात, बहुत तड़पाती है।
रोना है पर अश्क़ नहीं है।
दोतरफा मेरा इश्क़ नहीं है।
क्यों वो शख़्स इतना रूठा है।
क्यों मेरा हर अल्फ़ाज़ झूठा है।
सच का सबूत कैसे दिखाऊं।
हाथ में क्या कलेजा रख लाऊं।
मैं दुआ करूं, पत्थर ना माने।
फकीरी ए इश्क, वो क्या पहचाने।
कैसे दिखाऊं मुझे मुझमें
वो टूटे लहजे, बिखरे एहसास 
वो जज्बातों के गहरे तहखाने।
यहां उसके सिवा कोई बात नहीं है।
मेरा नाम तक वहां याद नहीं है।
नाउम्मीदी बची है, वो बेवफ़ा है।
मन मेरा अहल-ए-सफ़ा है।
मैं लम्हे अपने वसूला नहीं हूं।
मसरूफियत में भी भूला नहीं हूं।
मानता हूं इश्क़ दोबारा नहीं होता
आज भी उसी का हूं,
जिसने कुबूला नहीं हूं।।

©Rohit Bhargava (Monty)

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17 Love

White कुछ राहों की मंज़िल, अंधेरा होती है। फ़रिश्ते क़ैद होते हैं, जालिमों का बसेरा होती है। ©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking  White कुछ राहों की मंज़िल, अंधेरा होती है।
फ़रिश्ते क़ैद होते हैं,
जालिमों का बसेरा होती है।

©Rohit Bhargava (Monty)

#Thinking

17 Love

Unsplash what is life? what is a creature ? whatever it is a giant or miniature we all have the same surface...... the world is everyone's, it is Nature ©Rohit Bhargava (Monty)

#camping  Unsplash what is life? what is a creature ?
whatever it is a giant or miniature
we all have the same surface......
the world is everyone's, it is Nature

©Rohit Bhargava (Monty)

#camping

15 Love

Unsplash उसकी खूबसूरती की ही दीवानी होगी। अल्फाजों से वफ़ा जो निभानी होगी। कलम, स्याही, कागज़, दौलत है उसकी अगली शायरी उसी पर सुनानी होगी।। ©Rohit Bhargava (Monty)

#Book  Unsplash उसकी खूबसूरती की ही दीवानी होगी।
अल्फाजों से वफ़ा जो निभानी होगी।
कलम, स्याही, कागज़, दौलत है उसकी 
अगली शायरी उसी पर सुनानी होगी।।

©Rohit Bhargava (Monty)

#Book

21 Love

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