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White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

17 Love

ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ कोई कह तो दे कि मैं बर्बाद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं , कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने ना समाज की रिवाजों के भरम ने , झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं ! मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ©Ajay Tanwar Mehrana

 ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब
                ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब
                 मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ 
                 कोई कह तो दे कि मैं  बर्बाद  हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में 
                 मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं ,
                  कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा 
                तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने
                  ना समाज की रिवाजों के भरम ने ,
                 झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 
                'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं !

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

©Ajay Tanwar Mehrana

मैं आजाद हूं

15 Love

White स्वयं की खोज में हूँ, शांत एवं मौन मैं हूँ, पथिक हूँ सत्यपथ का, मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ! ©BS NEGI

#शायरी  White स्वयं की खोज में हूँ, 
शांत एवं मौन मैं हूँ,
पथिक हूँ सत्यपथ का, 
मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ!

©BS NEGI

व्यस्त हूं

14 Love

अकेले बैठ कहीं, ऐसा सोच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। मुझे लगा हालात, वक्त आने पर सुधर जाएंगे। अपने किरदार को, एक उदाहरण से निभाएंगे। मैं फिर से पुरानी तस्वीर, खरोंच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। ©Satish Kumar Meena

#कविता  अकेले बैठ कहीं,
ऐसा सोच रही हूं। 
दुनियां की बदली तस्वीर,
नोंच रही हूं।।

मुझे लगा हालात,
वक्त आने पर सुधर जाएंगे।
अपने किरदार को,
एक उदाहरण से निभाएंगे।

मैं फिर से पुरानी तस्वीर,
खरोंच रही हूं।
दुनियां की बदली तस्वीर,
नोंच रही हूं।।

©Satish Kumar Meena

सोच रही हूं

16 Love

White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat

#कविता  White  अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं।
दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।।
किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं।
टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।।
कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ।
अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।।
ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं।
में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।।
कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं।
कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।।
मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। 
अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं।
शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं।
आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।।  
                    शिल्पी जैन सतना

©chahat

मुस्करा देती हूं

16 Love

एक उलझी हुई किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मैं। मुद्दतों से ढूंढती हूं खुद को, हर लम्हा एक नए सवाल की बौछार हूं मैं। जिंदगी के इस उलझन भरे सफर में, खुद से कभी दूर, कभी पासगार हूं मैं। आशा की किरणें हैं बिखरी हुई, फिर भी गहरे अंधेरों की साजगार हूं मैं। खुशियों की परतों के नीचे छिपा दर्द, हर हंसी में छुपा एक गहरा राज हूं मैं। सोचती हूं, क्या सच्चाई है मेरी? क्या सिर्फ एक कहानी की किरदार हूं मैं? एक उलझी हुई किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मै। ©Shivkumar barman

#गुनाहगार #खुशियों #अंधेरों #किरदार #सच्चाई #ढूंढती  एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मैं।
मुद्दतों से ढूंढती हूं खुद को,
हर लम्हा एक नए सवाल की बौछार हूं मैं।

जिंदगी के इस उलझन भरे सफर में,
खुद से कभी दूर, कभी पासगार हूं मैं।
आशा की किरणें हैं बिखरी हुई,
फिर भी गहरे अंधेरों की साजगार हूं मैं।

खुशियों की परतों के नीचे छिपा दर्द,
हर हंसी में छुपा एक गहरा राज हूं मैं।
सोचती हूं, क्या सच्चाई है मेरी?
क्या सिर्फ एक कहानी की किरदार हूं मैं?

एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मै।

©Shivkumar barman

एक उलझी हुई #किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही #गुनाहगार हूं मैं। मुद्दतों से #ढूंढती हूं खुद को, हर लम्हा एक नए #सवाल की बौछार हूं मैं। ज

14 Love

White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

17 Love

ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ कोई कह तो दे कि मैं बर्बाद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं , कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं । मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने ना समाज की रिवाजों के भरम ने , झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं ! मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ असल मायने में तो मैं आजाद हूं । ©Ajay Tanwar Mehrana

 ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब
                ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब
                 मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़ 
                 कोई कह तो दे कि मैं  बर्बाद  हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में 
                 मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं ,
                  कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा 
                तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं ।

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

                 ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने
                  ना समाज की रिवाजों के भरम ने ,
                 झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला 
                'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं !

                 मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़ 
                 असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।

©Ajay Tanwar Mehrana

मैं आजाद हूं

15 Love

White स्वयं की खोज में हूँ, शांत एवं मौन मैं हूँ, पथिक हूँ सत्यपथ का, मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ! ©BS NEGI

#शायरी  White स्वयं की खोज में हूँ, 
शांत एवं मौन मैं हूँ,
पथिक हूँ सत्यपथ का, 
मैं स्वयं में ही व्यस्त हूँ!

©BS NEGI

व्यस्त हूं

14 Love

अकेले बैठ कहीं, ऐसा सोच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। मुझे लगा हालात, वक्त आने पर सुधर जाएंगे। अपने किरदार को, एक उदाहरण से निभाएंगे। मैं फिर से पुरानी तस्वीर, खरोंच रही हूं। दुनियां की बदली तस्वीर, नोंच रही हूं।। ©Satish Kumar Meena

#कविता  अकेले बैठ कहीं,
ऐसा सोच रही हूं। 
दुनियां की बदली तस्वीर,
नोंच रही हूं।।

मुझे लगा हालात,
वक्त आने पर सुधर जाएंगे।
अपने किरदार को,
एक उदाहरण से निभाएंगे।

मैं फिर से पुरानी तस्वीर,
खरोंच रही हूं।
दुनियां की बदली तस्वीर,
नोंच रही हूं।।

©Satish Kumar Meena

सोच रही हूं

16 Love

White अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं। दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।। किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं। टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।। कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ। अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।। ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं। में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।। कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं। कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।। मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं। शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं। आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।। शिल्पी जैन सतना ©chahat

#कविता  White  अपने आंसुओ को,छिपाने मुस्करा देती हूं।
दिल में चुभती कोई बात,उसे छिपा लेती हूं।।
किसी का दर्द ना बनूँ,सबको विश्वास बना लेती हूं।
टूट जाती हूं कांच सी,बिखर के फिर सिमट जाती हूं।।
कोई राह नहीं क्युकी,इसलिए बस निभाती हूँ।
अपनी मंजिल तो पता है,पर ठहर जाती हूं।।
ठहर जाती क्युकी कर्तव्यों से, बंधा पाती हूं।
में वो डोर हूं,जो बस काट दी जाती हूं।।
कभी अच्छी कभी बुरी की परिभाषा बन जाती हूं।
कभी बातों में कभी सोच में लिख दी जाती हूं।।
मैं कहाँ खुद को खुद सा पाती हूं। 
अनपढ़ सी मै कहाँ किसी को पढ़ पाती हूं।
शिल्पी हूं खुद मूर्ती बन गढ़ दी जाती हूं।
आकार देकर कल्पनाओ का रंग दी जाती हूं।।  
                    शिल्पी जैन सतना

©chahat

मुस्करा देती हूं

16 Love

एक उलझी हुई किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मैं। मुद्दतों से ढूंढती हूं खुद को, हर लम्हा एक नए सवाल की बौछार हूं मैं। जिंदगी के इस उलझन भरे सफर में, खुद से कभी दूर, कभी पासगार हूं मैं। आशा की किरणें हैं बिखरी हुई, फिर भी गहरे अंधेरों की साजगार हूं मैं। खुशियों की परतों के नीचे छिपा दर्द, हर हंसी में छुपा एक गहरा राज हूं मैं। सोचती हूं, क्या सच्चाई है मेरी? क्या सिर्फ एक कहानी की किरदार हूं मैं? एक उलझी हुई किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मै। ©Shivkumar barman

#गुनाहगार #खुशियों #अंधेरों #किरदार #सच्चाई #ढूंढती  एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मैं।
मुद्दतों से ढूंढती हूं खुद को,
हर लम्हा एक नए सवाल की बौछार हूं मैं।

जिंदगी के इस उलझन भरे सफर में,
खुद से कभी दूर, कभी पासगार हूं मैं।
आशा की किरणें हैं बिखरी हुई,
फिर भी गहरे अंधेरों की साजगार हूं मैं।

खुशियों की परतों के नीचे छिपा दर्द,
हर हंसी में छुपा एक गहरा राज हूं मैं।
सोचती हूं, क्या सच्चाई है मेरी?
क्या सिर्फ एक कहानी की किरदार हूं मैं?

एक उलझी हुई किरदार हूं मैं,
शायद खुद की ही गुनाहगार हूं मै।

©Shivkumar barman

एक उलझी हुई #किरदार हूं मैं, शायद खुद की ही #गुनाहगार हूं मैं। मुद्दतों से #ढूंढती हूं खुद को, हर लम्हा एक नए #सवाल की बौछार हूं मैं। ज

14 Love

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