ना मेरा कोई मेरा रहबर मेरा रब
ना हितैषी मैं ही तो हूं जो मेरा सब
मोड़ सब आंधी तूफानों की मरोड़
कोई कह तो दे कि मैं बर्बाद हूं ।
मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़
असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।
जी रहे सब दुःख भरी मर्यादाओं में
मैं नहीं विक्षत ना ही दिलशाद हूं ,
कालचक्र कर्मकांडों की ये सीमा
तो भी चलती चक्की का उन्माद हूं ।
मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़
असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।
ना मैं जकड़ा जातियों, पंथों, धर्म ने
ना समाज की रिवाजों के भरम ने ,
झूठ सब देवों - देवियों की ये लीला
'अजय' खुले द्वंद्वों में बजता नाद हूं !
मैं चला बंदिश जमाने की भी तोड़
असल मायने में तो मैं आजाद हूं ।
©Ajay Tanwar Mehrana
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