डॉ.अजय कुमार मिश्र

डॉ.अजय कुमार मिश्र Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

असिस्टेंट-प्रोफेसर । उत्तर-प्रदेश (डेस्क प्रभारी) क्रेडिट न्यूज़-मासिक न्यूज़ पत्रिका। सँयुक्त-मंत्री(सिद्धार्थ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ) वास्तु-सलाहकार(वास्तु-सदन) नई दिल्ली। मंडल-प्रभारी(गोरखपुर-बस्ती मंडल) केसरिया हिंदुस्थान निर्माण संघ।

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Unsplash किताबें बोलती नहीं लेकिन राज सबकी खोलती हैं, आँखें दिमाग में होती नहीं लेकिन देखती सबको हैं। नसीहत मिले या न मिले राजदार सबके होते हैं, दुनियां दिखे या न दिखे दुनियां देखती सबको है। मुकाम मिले या न मिले मुकाम की तलाश सबको होती है, समय को हम खोजें या ना खोजें समय खोजती सबको है। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  Unsplash किताबें बोलती नहीं लेकिन राज सबकी खोलती हैं,
 आँखें दिमाग में होती नहीं लेकिन देखती सबको हैं।

नसीहत मिले या न मिले राजदार सबके होते हैं,
दुनियां दिखे या न दिखे दुनियां देखती सबको है।

मुकाम मिले या न मिले मुकाम की तलाश सबको होती है,
समय को हम खोजें या ना खोजें समय खोजती सबको है।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

समय

13 Love

White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं, जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं। हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की, आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं। धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।। कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से , आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं। कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार। आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White बहुत लोग हैं मेरे साथ, फिर भी आज मैं तन्हा हूं,
जाने क्यों खुली आसमां से ,व्यथा आज कहता हूं।

हमें आदत थी हमेशा आग और बर्फ पर चलने की,
आज सर्द हवाओं के सर्दी से भी जाने क्यों बचता हूं।
धधकती आग तो दूर, आज आग के धुएं से भी डरता हूं।।

 कोई चोटिल न हो जाए मेरे खट्टे मीठे शब्दों से ,
आज जुबान से निकलने वाली हर शब्द से डरता हूं।

कौन सक्स कब हमें कह दे गुनहगार।
आज हर सक्स के नजरों से डरता हूं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

डरता हूं

17 Love

White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे। जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे। ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे। कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें। हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें। कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे। हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White मन्नते मांगते मांगते मुकाम भी मिला तो दरिया के किनारे।
जहां ज्वार भाटा तो आम बात,पीने को मिलता है खारा पानी और सोते हैं रेत के सहारे।
ना हरियाली ना खुशहाली फिर भी शीतलता मिलती है,जल कण के सहारे।
कोई हमें पुकारे या ना पुकारे लेकिन, हर पल हमें पुकारती हैं समंदर से उठती ज्वारें।
हमें हर रात लोरी गा गा कर सुलाती हैं,आकाश की टिमटिमाती तारें।
कितने खुश नसीब हैं हम कि, हर सुबह  हम जगते हैं सूरज के किरणों के सहारे।
हम भूल भी जाएं अपनी चारों दिशाएं,तो हमें दिशाओं की याद दिलाती हैं,समंदर से उठती हवाएं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

समंदर

19 Love

White अनजान शहर के गलियारों में,दाएं बाएं मुड़ती गलियां,जाने क्यों ?जानी पहचानी लगती हैं। सुनसान,शांत,शीतल तुषार में भीगे राहों में बिखरे काटें,जाने क्यों ?ना चुभते हैं। हृदय वेदना से स्पंदित उष्ण वायु से जनित ताप कोरी कल्पित रह गई ख्वाब को जाने क्यों? आज आह में भरते हैं। ठहर गया श्वासो का चलना,आंख अश्रु से भीग़ गया,फिर भी ना जाने क्यों? लोग हमें आवारा यूं कहते हैं। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White अनजान शहर के गलियारों में,दाएं बाएं मुड़ती गलियां,जाने क्यों ?जानी पहचानी लगती हैं।

सुनसान,शांत,शीतल तुषार में भीगे राहों में बिखरे काटें,जाने क्यों ?ना चुभते हैं।

हृदय वेदना से स्पंदित उष्ण वायु से जनित ताप कोरी कल्पित रह गई ख्वाब को जाने क्यों? आज आह में भरते हैं।

ठहर गया श्वासो का चलना,आंख अश्रु से भीग़  गया,फिर भी ना जाने क्यों? लोग हमें आवारा यूं कहते हैं।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

सुनसान

15 Love

White सबसे न मिला करो, इतनी सादगी के साथ, यह दौर अलग है , यहां लोग अलग हैं , यह दुनिया वो नहीं है , जो आप देखते हो, - अगर आप इस दुनिया में वफ़ा ढूँढ रहे हो तो, बड़े नादान हो क्योंकि, आप ज़हर की शीशी में दवा ढूँढ रहे हो । ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  White सबसे न मिला करो,
 इतनी सादगी के साथ,
यह दौर अलग है ,
यहां लोग अलग हैं ,
 यह दुनिया वो नहीं है ,
जो आप देखते हो,
- 
अगर आप इस दुनिया में
 वफ़ा ढूँढ रहे हो तो, 
बड़े नादान हो क्योंकि,
आप ज़हर की शीशी में दवा ढूँढ रहे हो ।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

जहर में दवा

12 Love

ताक़त,तारीफ़,तकदीर,तन्हाई और तजुर्बे इन्हें तौलना गुनाह है।। गम,गहराई,गफलत,गुनाह,और गुगें जुबान पर हंसना गुनाह है।। शर्म,शायराना,साज़िश,सजदा और सफर में भटके मुसाफिर पर उलाहना गुनाह है।। वैसे भगवान,ईश्वर,अल्लाह, ईश,ईशा और वाहे गुरु में अंतर करना गुनाह है।। ©डॉ.अजय कुमार मिश्र

#कविता  ताक़त,तारीफ़,तकदीर,तन्हाई और तजुर्बे इन्हें तौलना गुनाह है।।

गम,गहराई,गफलत,गुनाह,और गुगें जुबान पर हंसना गुनाह है।।

शर्म,शायराना,साज़िश,सजदा और सफर में भटके मुसाफिर पर उलाहना गुनाह है।।

वैसे भगवान,ईश्वर,अल्लाह, ईश,ईशा और वाहे गुरु में अंतर करना गुनाह है।।

©डॉ.अजय कुमार मिश्र

गुनाह

10 Love

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