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#वीडियो

बचपन मतलब बेफिकर

153 View

मन का नाव अगर डूब चुका है , तो हिम्मत का पतवार क्या करें ! जब ख़ुद पर से भरोशा टूट चुका हैं ,, तो भला वो परवरदिगार क्या करें..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#Motivational #Krishna  मन  का  नाव अगर  डूब चुका है ,

तो  हिम्मत  का  पतवार  क्या  करें !

जब  ख़ुद पर से भरोशा टूट चुका हैं ,,

तो  भला  वो  परवरदिगार  क्या  करें..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#Krishna परवरदिगार मतलब भगवान

13 Love

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं। ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं। जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है। तब से उसी को देख लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। ©Sandip rohilla

#Silence #Quotes  बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। 
बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं।

ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें 
मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं।

जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है।
तब से उसी को देख लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

©Sandip rohilla

#Silence अज्ञात @SIDDHARTH.SHENDE.sid Shilpa Yadav @Arshad Siddiqui @Anshu writer

19 Love

मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा #कविता  मनचाहा  करते  करतब,
मर्यादा का  क्या मतलब,

नये ख़यालों के  आलिम,
अंग प्रदर्शन  करे  गज़ब,

नदी   लांघ  देती  मर्यादा,
त्राहिमाम  करते  हैं  सब,

अपनी-अपनी हद में रहें,
संस्कार सिखलाए अदब,

पहनावे से बने आधुनिक,
किन्तु  विचार  बड़े  बेढव,

आजादी का करें दिखावा,
डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब,

'गुंजन' खुशगवार मौसम में,
क्यों मांगूं  फ़ुर्सत  जब  तब,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा का क्या मतलब#

12 Love

#Videos

संगीत मतलब सुकुन

144 View

#Videos

मतलब दुनिया

171 View

#वीडियो

बचपन मतलब बेफिकर

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मन का नाव अगर डूब चुका है , तो हिम्मत का पतवार क्या करें ! जब ख़ुद पर से भरोशा टूट चुका हैं ,, तो भला वो परवरदिगार क्या करें..!! - अरुन आर्या ©- Arun Aarya

#Motivational #Krishna  मन  का  नाव अगर  डूब चुका है ,

तो  हिम्मत  का  पतवार  क्या  करें !

जब  ख़ुद पर से भरोशा टूट चुका हैं ,,

तो  भला  वो  परवरदिगार  क्या  करें..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya

#Krishna परवरदिगार मतलब भगवान

13 Love

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं। ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं। जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है। तब से उसी को देख लेते है। बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है। खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है। पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है। ©Sandip rohilla

#Silence #Quotes  बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

बुझती हुई शाम सा हो गया हूं मैं। 
बिना कुछ किए बदनाम सा हो गया हूं मैं।

ढूंढ़ते हैं सब मुझे मुझमें 
मगर खुद में गुमनाम सा हो गया हूं मैं।

जब से खोया हुआ घर परिंदा लौटा है।
तब से उसी को देख लेते है।

बिखरे हुए को खुद ही समेट लेते है।
 खुद के दर्दों से खुद को लपेट लेते है।

पानी के बुलबुले सी हो गई हैं जिंदगी 
ख़त्म हो जाते हैं जब भी अटेक लेते है।

©Sandip rohilla

#Silence अज्ञात @SIDDHARTH.SHENDE.sid Shilpa Yadav @Arshad Siddiqui @Anshu writer

19 Love

मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा #कविता  मनचाहा  करते  करतब,
मर्यादा का  क्या मतलब,

नये ख़यालों के  आलिम,
अंग प्रदर्शन  करे  गज़ब,

नदी   लांघ  देती  मर्यादा,
त्राहिमाम  करते  हैं  सब,

अपनी-अपनी हद में रहें,
संस्कार सिखलाए अदब,

पहनावे से बने आधुनिक,
किन्तु  विचार  बड़े  बेढव,

आजादी का करें दिखावा,
डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब,

'गुंजन' खुशगवार मौसम में,
क्यों मांगूं  फ़ुर्सत  जब  तब,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा का क्या मतलब#

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