मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़ | हिंदी कविता

"मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra"

 मनचाहा  करते  करतब,
मर्यादा का  क्या मतलब,

नये ख़यालों के  आलिम,
अंग प्रदर्शन  करे  गज़ब,

नदी   लांघ  देती  मर्यादा,
त्राहिमाम  करते  हैं  सब,

अपनी-अपनी हद में रहें,
संस्कार सिखलाए अदब,

पहनावे से बने आधुनिक,
किन्तु  विचार  बड़े  बेढव,

आजादी का करें दिखावा,
डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब,

'गुंजन' खुशगवार मौसम में,
क्यों मांगूं  फ़ुर्सत  जब  तब,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा का क्या मतलब#

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