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New तुमचं नाव काय Status, Photo, Video

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White तुझे तैरना होगा, यहां नहीं है कोई नाव, ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा, डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास। हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास। चढ़ जा उस चोटी पर, जीत का झंडा बुलंद कर, अपनी राह में कर सफर,तोड़ दे आसपास की दीवार । फूलों की महक में तुने जीना सीखा, नोकीले पत्थरों की चुभन को भी अब स्वीकार। हर दर्द में छिपा है एक नया सिसक, इस सफर में तू अकेला निकल, अपनी हिम्मत को पहचान। ©Navneet Thakur

#मोटिवेशनल #तुझे  White तुझे तैरना होगा, यहां नहीं है कोई नाव,
ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा,
डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास।
हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास।

चढ़ जा उस चोटी पर, जीत का झंडा बुलंद कर,
अपनी राह में कर सफर,तोड़ दे आसपास की दीवार ।
फूलों की महक में तुने जीना सीखा,
नोकीले पत्थरों की चुभन को भी अब स्वीकार।

हर दर्द में छिपा है एक नया सिसक,
इस सफर में तू अकेला निकल, अपनी हिम्मत को पहचान।

©Navneet Thakur

#तुझे तैरना होगा, यहां नहीं कोई नाव, ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा, डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास। हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास।

13 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

13 Love

White तुझे तैरना होगा, यहां नहीं है कोई नाव, ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा, डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास। हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास। चढ़ जा उस चोटी पर, जीत का झंडा बुलंद कर, अपनी राह में कर सफर,तोड़ दे आसपास की दीवार । फूलों की महक में तुने जीना सीखा, नोकीले पत्थरों की चुभन को भी अब स्वीकार। हर दर्द में छिपा है एक नया सिसक, इस सफर में तू अकेला निकल, अपनी हिम्मत को पहचान। ©Navneet Thakur

#मोटिवेशनल #तुझे  White तुझे तैरना होगा, यहां नहीं है कोई नाव,
ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा,
डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास।
हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास।

चढ़ जा उस चोटी पर, जीत का झंडा बुलंद कर,
अपनी राह में कर सफर,तोड़ दे आसपास की दीवार ।
फूलों की महक में तुने जीना सीखा,
नोकीले पत्थरों की चुभन को भी अब स्वीकार।

हर दर्द में छिपा है एक नया सिसक,
इस सफर में तू अकेला निकल, अपनी हिम्मत को पहचान।

©Navneet Thakur

#तुझे तैरना होगा, यहां नहीं कोई नाव, ये दरिया गहरा है, किनारा भी मिलेगा, डर को छोड़, खुद पर कर विश्वास। हर कदम पर है अब तेरा, एक नया अहसास।

13 Love

White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar

#हरियाली #ठिठुरने #नदियाँ #कविता #बरसात #मौसम  White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम @Sethi Ji @Bhanu Priya @Kshitija @Sana naaz @puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

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