White देश की आजादी का जश्न कैसे मनाएं हम
जब मानव मानसिकता अब तक गुलाम है
जो तिरंगा गगन में फहरा रहा, उस जमीं
की नींव अब तक दल दल में फंसा सरे आम है।
नीलाम हो रही जहां बेटियों की इज्जत
बर्बरता की हदें लांघना जहां खुलेआम हैं
लूट ली जाती है आबरू भरे बाजार
बेटियों की आजादी का अब भी जहां अभाव है।
छीन ली जाती है किसी की जिंदगी, उसकी
मर्जी के बगैर
मरने के बाद भी दरिंदगी का परचम लहराना
हाय कितनी शर्म की बात है।
आखिर कब तक ये जिस्मों के ठेकेदार आजाद घूमेंगे
दरिंदगी, हैवानियत का आए दिन बढ़ना
कितनी आम बात है।।
शर्मशार है ऐसी आजादी, जहां बेटियों का जिस्म
किसी का गुलाम है
मसल दी जाती है किसी बाग की कली यूं हीं
ऐसी आजादी किसी काम की नहीं है
ऐसी आजादी किसी काम की नहीं है।।
©Pinki Singh
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