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Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

17 Love

#अदनासा #कॉमेडी #angryyoungmonkey #मर्कट #बंदर #वानर

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://youtube.com/shorts/I1CZ1NvhNYU?si=UUTUkGKvjm4Z9q0e #वानर #मर्कट #बंदर #मंकी #Monkey #angryyoun

225 View

White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

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#अदनासा #कॉमेडी #angryyoungmonkey #मर्कट #बंदर #वानर

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://youtube.com/shorts/I1CZ1NvhNYU?si=UUTUkGKvjm4Z9q0e #वानर #मर्कट #बंदर #मंकी #Monkey #angryyoun

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White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard"

#कविता #गांव  White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

13 Love

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