White *तन्हाई का सफ़र*
चुप है रात, सन्नाटा गहरा,
दिल की गली में है एक पहरा।
चाँद भी थका-थका सा दिखता,
तन्हाई का मौसम बस यही कहता।
खुद से बातें, खुद से शिकवे,
खुद ही अपने दिल के करीब।
हर सांस जैसे कोई कहानी,
पर सुनने वाला नहीं कोई सजीव।
रंग थे कभी, अब सब फीके,
खुशियों के दिन हुए पुरानी किताब के।
पर यह तन्हाई भी सिखाती है,
दिल की आवाज़ सुनने की राह दिखाती है।
चल अकेला, संग तेरे है साया,
तू ही है अपना, और तू ही पराया।
ये खामोशी भी इक गीत है,
हर दर्द के पीछे नई प्रीत है।
तोड़ तन्हाई की दीवारें,
खोल खिड़की नए उजालों की।
हर अंधेरा कभी रौशन होगा,
बस उम्मीद रख, इस जालों की।
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©आगाज़
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