White विधा कुण्डलिया :-
तेरे मेरे प्रेम के , गुजरे कितने वर्ष ।
जितने तेरे साथ थे , उनमें ही था हर्ष ।।
उनमें ही था हर्ष , पलट कर जब भी देखा ।
आज नहीं है हाथ , हमारे अब वह रेखा ।।
बन बैठे थे गैर , संग ले दूजे फेरे ।
आये हैं सब याद , दिलाने दिल को तेरे ।।
करता किसका मैं यहाँ , सुनो प्रेम स्वीकार।
सब ही तो दिखला रहे , झूठा हमसे प्यार ।।
झूठा हमसे प्यार , करे यह सारे अपने ।
और कहें नित आप , हमारे आये सपने ।।
दे दो कुछ उपहार , जान मैं तुमपे मरता ।
क्या बतलाऊँ आज , प्यार मैं कितना करता ।।
यारा कटती है नहीं , तुम बिन मेरी रात ।
अब करो मुलाकात तो , बन जाए फिर बात ।।
बन जाए फिर बात , रात रानी सी महके ।
दिल के वह जज्बात , चाँदनी पाकर लहके ।।
यह मृगनयनी रूप , बने हर रात सहारा ।
एक झलक जो आज , दिखा दे मुझको यारा ।।
©MAHENDRA SINGH PRAKHAR
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