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New विचारशील लोकतंत्र क्या है Status, Photo, Video

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पल्लव की डायरी अब खुद गुमराह है संसद एक दशक से विपक्ष का भार सह नही पाती है खुद एक समस्या बन गयी ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर चीरहरण जन जन का करती है पाशे शकुनि जैसे सत्ताधीशो के दाँव पर फिर भारत को लगाया जा रहा है शय्या पर लोकतंत्र लेटा हठी दुर्योजन सब नैतिकता खोता है गिरा कर स्तर संसद का हर मुद्दा दरकिनार करता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Budget23  पल्लव की डायरी
अब खुद गुमराह है 
संसद एक दशक से 
विपक्ष का भार सह नही पाती है
खुद एक समस्या बन गयी
ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर
चीरहरण जन जन का करती है
पाशे शकुनि जैसे सत्ताधीशो के
दाँव पर फिर भारत को लगाया जा रहा है
शय्या पर लोकतंत्र लेटा
हठी दुर्योजन सब नैतिकता खोता  है
गिरा कर स्तर संसद का
हर मुद्दा दरकिनार करता है
                                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Budget23 शय्या पर लोकतंत्र लेटा

18 Love

नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha

 नहीं जानता क्या रिश्ता है
मेरी रूह से तुम्हारी रूह का
जो भी है ये, मगर खूब है
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा
तन के रिश्ते,
ना थे पहचान कभी
मेरे इश्क की….
रूहों के मिलन से से होगा नायाब
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा

©हिमांशु Kulshreshtha

क्या रिश्ता है..

19 Love

#Motivational

क्या यह सही नहीं है

99 View

पल्लव की डायरी रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है व्यवस्था सब कराहती है रोजगार व्यापार सब ठप्प महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की पाप सियासतों के सब छिपाती है पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर भविष्य अपना तय नही कर पा रही है दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है
व्यवस्था सब कराहती है
रोजगार व्यापार सब ठप्प
महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है
चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की
पाप सियासतों के सब छिपाती है
पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर
भविष्य अपना तय नही कर पा रही है
दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया
आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है

25 Love

White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora

 White धर्म!

आखिर ये धर्म है क्या? 
 
मैंने तो  सिर्फ जीवन को ही जाना है 
जीवन के अलावा 
मैंने किसी को नहीं 
जाना  है.

और मेरी दृष्टि मे जीवन 
 का अर्थ है.
खेत   हल कुवा और  
लहल्हाती फसल 
जीवन का अर्थ है  पत्नी 
बच्चे और सुखद सफल 
दाम्पत्य

©Parasram Arora

आखिर ये धर्म है क्या?

12 Love

#mothernature

#mothernature जिन्दगी भीड़ है क्या???

207 View

पल्लव की डायरी अब खुद गुमराह है संसद एक दशक से विपक्ष का भार सह नही पाती है खुद एक समस्या बन गयी ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर चीरहरण जन जन का करती है पाशे शकुनि जैसे सत्ताधीशो के दाँव पर फिर भारत को लगाया जा रहा है शय्या पर लोकतंत्र लेटा हठी दुर्योजन सब नैतिकता खोता है गिरा कर स्तर संसद का हर मुद्दा दरकिनार करता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Budget23  पल्लव की डायरी
अब खुद गुमराह है 
संसद एक दशक से 
विपक्ष का भार सह नही पाती है
खुद एक समस्या बन गयी
ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर
चीरहरण जन जन का करती है
पाशे शकुनि जैसे सत्ताधीशो के
दाँव पर फिर भारत को लगाया जा रहा है
शय्या पर लोकतंत्र लेटा
हठी दुर्योजन सब नैतिकता खोता  है
गिरा कर स्तर संसद का
हर मुद्दा दरकिनार करता है
                                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Budget23 शय्या पर लोकतंत्र लेटा

18 Love

नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha

 नहीं जानता क्या रिश्ता है
मेरी रूह से तुम्हारी रूह का
जो भी है ये, मगर खूब है
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा
तन के रिश्ते,
ना थे पहचान कभी
मेरे इश्क की….
रूहों के मिलन से से होगा नायाब
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा

©हिमांशु Kulshreshtha

क्या रिश्ता है..

19 Love

#Motivational

क्या यह सही नहीं है

99 View

पल्लव की डायरी रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है व्यवस्था सब कराहती है रोजगार व्यापार सब ठप्प महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की पाप सियासतों के सब छिपाती है पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर भविष्य अपना तय नही कर पा रही है दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है
व्यवस्था सब कराहती है
रोजगार व्यापार सब ठप्प
महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है
चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की
पाप सियासतों के सब छिपाती है
पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर
भविष्य अपना तय नही कर पा रही है
दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया
आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है

25 Love

White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora

 White धर्म!

आखिर ये धर्म है क्या? 
 
मैंने तो  सिर्फ जीवन को ही जाना है 
जीवन के अलावा 
मैंने किसी को नहीं 
जाना  है.

और मेरी दृष्टि मे जीवन 
 का अर्थ है.
खेत   हल कुवा और  
लहल्हाती फसल 
जीवन का अर्थ है  पत्नी 
बच्चे और सुखद सफल 
दाम्पत्य

©Parasram Arora

आखिर ये धर्म है क्या?

12 Love

#mothernature

#mothernature जिन्दगी भीड़ है क्या???

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