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White हृदय की पगडंडियां✍🏻✍🏻✍🏻 **************************** हृदय की पगडंडियों से होकर अब कोई गुजरता ही नहीं तुम्हारी स्मृतियों से रास्ते अवरुद्ध है, इसमें कोई आता ही नहीं एक हटाऊँ तो दूसरी सामने खड़ी रहती है हिम के पर्वतों सी डटी पड़ी रहती है कभी नरम,कभी गरम कभी शीतलता प्रदान करती है तुम्हें ही सोचूं,तुम्हें ही चाहूं बस यही आज्ञा प्रदान करती है इस हृदय में अब और किसी के लिए वो स्थान ही नहीं कोई और अब आये हृदय में,अब कोई और अन्य प्रवेश द्वार भी नहीं ©Richa Dhar

#कविता #love_shayari  White  हृदय की पगडंडियां✍🏻✍🏻✍🏻
****************************


हृदय की पगडंडियों से होकर अब कोई गुजरता ही नहीं
तुम्हारी स्मृतियों से रास्ते अवरुद्ध है, इसमें कोई आता ही नहीं

एक हटाऊँ तो दूसरी सामने खड़ी रहती है 
हिम के पर्वतों सी डटी पड़ी रहती है

कभी नरम,कभी गरम कभी शीतलता प्रदान करती है
तुम्हें ही सोचूं,तुम्हें ही चाहूं बस यही आज्ञा प्रदान करती है

इस हृदय में अब और किसी के लिए वो स्थान ही नहीं
कोई और अब आये हृदय में,अब कोई और अन्य प्रवेश द्वार भी नहीं

©Richa Dhar

#love_shayari ह्रदय की पगडंडियां कविताएं

13 Love

#कविता

कविताएं

144 View

White यही कोई मार्च का महीना था आँखे थोड़ी नम दिल ज़रा पसीजा था बारहवीं का परीक्षा था स्कूल में अपना आखरी वो महीना था फिर कहा  स्कूल यूनिफॉर्म हम पहन पाए देखते ही देखते हमेशा के लिए स्कूल से बाहर आये ऊफ वो भी क्या हसीन दिन थे ज़िन्दगी के उस दिन के बाद कहा हम वापस स्कूल जा पाए मिलते थे जिससे हर दिन स्कूल में वैसे दोस्त , वो हँसी, वो दिन कहां फिर कभी वापस लौट कर आये जानें कितने लम्हें उन यादों के सहारे अब ऐसे ही बीत जाए... by bina singh ©bina singh

#कविता #Dosti  White यही कोई मार्च का महीना था 
आँखे थोड़ी नम दिल ज़रा पसीजा था
बारहवीं का परीक्षा था 
स्कूल में अपना आखरी वो महीना था
फिर कहा  स्कूल यूनिफॉर्म हम पहन पाए
देखते ही देखते हमेशा के लिए स्कूल से बाहर आये
ऊफ वो भी क्या हसीन दिन थे ज़िन्दगी के
उस दिन के बाद कहा हम वापस स्कूल जा पाए
मिलते थे जिससे हर दिन स्कूल में
वैसे दोस्त , वो हँसी, वो दिन कहां फिर कभी वापस लौट कर आये
जानें कितने लम्हें उन यादों के सहारे अब ऐसे ही बीत जाए... by bina singh

©bina singh

#Dosti हिंदी कविता कविताएं कविताएं

14 Love

औरतों ने बखूबी सीखा है मायका छूट गया जब से रोना हंस कर भूला है ©Amol M. Bodke

#कविता  औरतों ने बखूबी सीखा है
मायका छूट गया जब से
रोना हंस कर भूला है

©Amol M. Bodke

कविताएं कविताएं

14 Love

White - कुण्डलिया छंद - समझौता होने लगा, हर रिश्ते में आज। समझौतों पर ही टिका, सारा मनुज समाज।। सारा मनुज समाज, स्वार्थवश प्रीति जताता। सटते से ही स्वार्थ, अँगूठा है दिखलाता।। केवट जैसा आज, लिए हैं सभी कठौता। करें परस्पर पार, लगाने का समझौता।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #love_shayari  White  - कुण्डलिया छंद -

समझौता होने लगा, हर रिश्ते में आज।
समझौतों पर ही टिका, सारा मनुज समाज।।
सारा मनुज समाज, स्वार्थवश प्रीति जताता।
सटते से ही स्वार्थ, अँगूठा है दिखलाता।।
केवट जैसा आज, लिए हैं सभी कठौता।
करें परस्पर पार, लगाने का समझौता।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#love_shayari कविताएं कविताएं

16 Love

White - कुण्डलिया - नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज। हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।। एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी। कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।। हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी। हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #Krishna  White  - कुण्डलिया -
नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज।
हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।।
एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी।
कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।।
हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी।
हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#Krishna कविताएं कविता कोश कविताएं

16 Love

White हृदय की पगडंडियां✍🏻✍🏻✍🏻 **************************** हृदय की पगडंडियों से होकर अब कोई गुजरता ही नहीं तुम्हारी स्मृतियों से रास्ते अवरुद्ध है, इसमें कोई आता ही नहीं एक हटाऊँ तो दूसरी सामने खड़ी रहती है हिम के पर्वतों सी डटी पड़ी रहती है कभी नरम,कभी गरम कभी शीतलता प्रदान करती है तुम्हें ही सोचूं,तुम्हें ही चाहूं बस यही आज्ञा प्रदान करती है इस हृदय में अब और किसी के लिए वो स्थान ही नहीं कोई और अब आये हृदय में,अब कोई और अन्य प्रवेश द्वार भी नहीं ©Richa Dhar

#कविता #love_shayari  White  हृदय की पगडंडियां✍🏻✍🏻✍🏻
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हृदय की पगडंडियों से होकर अब कोई गुजरता ही नहीं
तुम्हारी स्मृतियों से रास्ते अवरुद्ध है, इसमें कोई आता ही नहीं

एक हटाऊँ तो दूसरी सामने खड़ी रहती है 
हिम के पर्वतों सी डटी पड़ी रहती है

कभी नरम,कभी गरम कभी शीतलता प्रदान करती है
तुम्हें ही सोचूं,तुम्हें ही चाहूं बस यही आज्ञा प्रदान करती है

इस हृदय में अब और किसी के लिए वो स्थान ही नहीं
कोई और अब आये हृदय में,अब कोई और अन्य प्रवेश द्वार भी नहीं

©Richa Dhar

#love_shayari ह्रदय की पगडंडियां कविताएं

13 Love

#कविता

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White यही कोई मार्च का महीना था आँखे थोड़ी नम दिल ज़रा पसीजा था बारहवीं का परीक्षा था स्कूल में अपना आखरी वो महीना था फिर कहा  स्कूल यूनिफॉर्म हम पहन पाए देखते ही देखते हमेशा के लिए स्कूल से बाहर आये ऊफ वो भी क्या हसीन दिन थे ज़िन्दगी के उस दिन के बाद कहा हम वापस स्कूल जा पाए मिलते थे जिससे हर दिन स्कूल में वैसे दोस्त , वो हँसी, वो दिन कहां फिर कभी वापस लौट कर आये जानें कितने लम्हें उन यादों के सहारे अब ऐसे ही बीत जाए... by bina singh ©bina singh

#कविता #Dosti  White यही कोई मार्च का महीना था 
आँखे थोड़ी नम दिल ज़रा पसीजा था
बारहवीं का परीक्षा था 
स्कूल में अपना आखरी वो महीना था
फिर कहा  स्कूल यूनिफॉर्म हम पहन पाए
देखते ही देखते हमेशा के लिए स्कूल से बाहर आये
ऊफ वो भी क्या हसीन दिन थे ज़िन्दगी के
उस दिन के बाद कहा हम वापस स्कूल जा पाए
मिलते थे जिससे हर दिन स्कूल में
वैसे दोस्त , वो हँसी, वो दिन कहां फिर कभी वापस लौट कर आये
जानें कितने लम्हें उन यादों के सहारे अब ऐसे ही बीत जाए... by bina singh

©bina singh

#Dosti हिंदी कविता कविताएं कविताएं

14 Love

औरतों ने बखूबी सीखा है मायका छूट गया जब से रोना हंस कर भूला है ©Amol M. Bodke

#कविता  औरतों ने बखूबी सीखा है
मायका छूट गया जब से
रोना हंस कर भूला है

©Amol M. Bodke

कविताएं कविताएं

14 Love

White - कुण्डलिया छंद - समझौता होने लगा, हर रिश्ते में आज। समझौतों पर ही टिका, सारा मनुज समाज।। सारा मनुज समाज, स्वार्थवश प्रीति जताता। सटते से ही स्वार्थ, अँगूठा है दिखलाता।। केवट जैसा आज, लिए हैं सभी कठौता। करें परस्पर पार, लगाने का समझौता।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #love_shayari  White  - कुण्डलिया छंद -

समझौता होने लगा, हर रिश्ते में आज।
समझौतों पर ही टिका, सारा मनुज समाज।।
सारा मनुज समाज, स्वार्थवश प्रीति जताता।
सटते से ही स्वार्थ, अँगूठा है दिखलाता।।
केवट जैसा आज, लिए हैं सभी कठौता।
करें परस्पर पार, लगाने का समझौता।।

- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

#love_shayari कविताएं कविताएं

16 Love

White - कुण्डलिया - नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज। हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।। एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी। कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।। हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी। हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।। - हरिओम श्रीवास्तव - ©Hariom Shrivastava

#कविता #Krishna  White  - कुण्डलिया -
नारी की फिर से यहाँ, लुटी जा रही लाज।
हे केशव आ जाइए, एक बार फिर आज।।
एक बार फिर आज, मौन हैं सत्ताधारी।
कौन बचाए लाज, आप बिन कृष्ण मुरारी।।
हुए आज बेखौफ, देश में अत्याचारी।
हे गिरधर गोपाल, पुनः संकट में नारी।।
- हरिओम श्रीवास्तव -

©Hariom Shrivastava

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16 Love

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