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बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला। इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।। पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया। प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।। आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना। जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।। ©Bharat Bhushan pathak

 बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ

15 Love

दिग्पाल (या मृदुगति) छंद मापनी- 221 2122 221 2122 लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा छंदाधारित फिल्मी गाने- 1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं। संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।। पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता। सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।। ©Bharat Bhushan pathak

 दिग्पाल (या मृदुगति) छंद 
मापनी- 221 2122 221 2122 
लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा 
छंदाधारित फिल्मी गाने- 
1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 
2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा 


मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं।
संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।।
पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता।
सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।।

©Bharat Bhushan pathak

poetry hindi poetry hindi poetry on life poetry in hindi इस छंद में विशेष :-5वीं,8वीं 17वीं व 20वीं मात्रा लघु।

13 Love

मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak

#नोजोटो_हिन्दी #मण्डूक_दोहे #वृक्ष #पेड़ #छंद  मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

10 Love

#शायरी #किस

#किस नियम से चलतीहै जिन्दगी

198 View

बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला। इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।। पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया। प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।। आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना। जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।। ©Bharat Bhushan pathak

 बीत रहा फिर वर्ष सुनहरा,नूतन आने वाला।
इसने हमको यही बताया,जीवन अच्छी शाला।।
पढ़ा यहाँ पे जो भी इसमें,अनुभव उसने पाया।
प्रथम सदा वह ही होता है,जो कभी न भरमाया।।
आना-जाना वर्षों का तो,सुनें खेल ये बहुत पुराना।
जो हम सीखे और सिखाए,इसको बस अपनाना।।

©Bharat Bhushan pathak

सार छंद चार चरणों का अत्यंत गेय मात्रिक छंद है। प्रति चरण 28 मात्रा होती है। यति 16 और 12 मात्रा पर है। दो दो चरण तुकान्त । 16 मात्रिक पद ठ

15 Love

दिग्पाल (या मृदुगति) छंद मापनी- 221 2122 221 2122 लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा छंदाधारित फिल्मी गाने- 1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं। संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।। पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता। सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।। ©Bharat Bhushan pathak

 दिग्पाल (या मृदुगति) छंद 
मापनी- 221 2122 221 2122 
लगावली- गागाल गालगागा गागाल गालगागा 
छंदाधारित फिल्मी गाने- 
1) छोडो न/ मेरा’ आँचल/, सब लोग/ क्या कहेंगे 
2) सारे ज/हाँ से’ अच्छा/ हिन्दोस/तां हमारा 


मानो अभी यहाँ जो बातें तुम्हें बताऊं।
संस्कार इस जगत में पूजित हुआ सुनाऊं।।
पशुवत हुआ मनुज जो संस्कारहीन होता।
सोचें भला जगत जो वह प्रेमनीर सोता।।

©Bharat Bhushan pathak

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13 Love

मण्डूक दोहे पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़। जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१ माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार। देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२ रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार। पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३ कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात। वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४ मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर। भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५ इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ ©Bharat Bhushan pathak

#नोजोटो_हिन्दी #मण्डूक_दोहे #वृक्ष #पेड़ #छंद  मण्डूक दोहे
पृथ्वी धारे तब हमें,काटें जब ना पेड़।
जान लीजिए सूत्र ये,प्राणों के यह मेंड़।।१

माने मेरी बात ये,उपयोगी उपहार।
देते खाना अरु दवा,रोपें वृक्ष हजार।।२

रोपें नित्य पेड़ एक,होता जो फलदार।
पुत्र जैसे ही मानें,सदा करे उपकार।।३


कहे धरा हमको यही,मानो मेरी बात।
वैरी सुन लो ना बनो ,नहीं करो आघात।४

 मेटे जो खुद को यहाँ,हमको देते ठौर।
 भूले न उनको छाँटें ,भोजन जो दे सौर।।५

इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

©Bharat Bhushan pathak

#मण्डूक_दोहे#छंद#वृक्ष#पेड़#नोजोटो_हिन्दी hindi poetry on life love poetry in hindi sad urdu poetry poetry deep poetry in urdu मण्डूक दोहे

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#किस नियम से चलतीहै जिन्दगी

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