तू नहीं तो तेरी याद सही
याद नहीं तो तेरा ग़म सही
तेरा ग़म नहीं तो तेरा नाम सही,
नाम भी नहीं तो तेरा वहम सही।
वहम नहीं तो वो ख्वाब सही,
रातों में आते हैं बेहिसाब सही।
तू नहीं तो क्या, चादर में तेरी खुशबू है बाकी,
तेरे बिना भी मोहब्बत में है वफ़ा बाकी।
तू नहीं तो ये तन्हाई सही,
तन्हाई में तेरी परछाई सही।
परछाई भी ना हो तो वो लम्हे सही,
जो तेरे साथ गुज़ारे थे गहरे सही।
खुशबू नहीं तो तेरी राह सही,
जो चल कर आती थी मेरी चाह सही।
तन्हाई के इस शहर में भी तू साथ है,
जैसे हर ख्वाब में तेरा ही हाथ है।
चादर में तेरी खुशबू से बहल लेते हैं,
तेरे ग़म को ही जिंदगी मान लेते हैं।
तू नहीं तो बस वो धुन सही,
जो कानों में गूंजती तेरी सुन सही।
मोहब्बत ने तुझसे जुड़े हर रास्ते दिए,
तेरे बिना भी हमें जीने के वास्ते दिए।
तू नहीं, पर तेरा अक्स साथ है,
हर याद में तेरा ही साथ है।
मोहब्बत में ये फ़साना अधूरा सही,
पर तेरा ख्वाब ही मेरा खुदा सही।
©नवनीत ठाकुर
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