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White श्रम की समृद्धियों को किरण किरण वांचती है निष्ठा के आंगन में प्रतिष्ठा मस्त नाचती है ©Ram Prakash

#कविता #Sad_Status  White श्रम की समृद्धियों को किरण किरण वांचती 
है

निष्ठा के आंगन में
प्रतिष्ठा मस्त
नाचती
है

©Ram Prakash

#Sad_Status निष्ठा

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Unsplash एक बार मेरी निष्ठा के जंगल मे घुस कर तों देखो फिर भी ख़ौफ़ लगे तों ख़ौफ़ खाने से पहले मुझसे जरुए मिलो ©Parasram Arora

 Unsplash एक बार मेरी निष्ठा के जंगल मे घुस 
कर तों देखो 

फिर भी ख़ौफ़ लगे तों ख़ौफ़ खाने से पहले मुझसे जरुए मिलो

©Parasram Arora

निष्ठा

13 Love

#भक्ति  रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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White श्रम की समृद्धियों को किरण किरण वांचती है निष्ठा के आंगन में प्रतिष्ठा मस्त नाचती है ©Ram Prakash

#कविता #Sad_Status  White श्रम की समृद्धियों को किरण किरण वांचती 
है

निष्ठा के आंगन में
प्रतिष्ठा मस्त
नाचती
है

©Ram Prakash

#Sad_Status निष्ठा

15 Love

Unsplash एक बार मेरी निष्ठा के जंगल मे घुस कर तों देखो फिर भी ख़ौफ़ लगे तों ख़ौफ़ खाने से पहले मुझसे जरुए मिलो ©Parasram Arora

 Unsplash एक बार मेरी निष्ठा के जंगल मे घुस 
कर तों देखो 

फिर भी ख़ौफ़ लगे तों ख़ौफ़ खाने से पहले मुझसे जरुए मिलो

©Parasram Arora

निष्ठा

13 Love

#भक्ति  रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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