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White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #sunset_time  White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024
वार,,,,,, गुरुवार
्
समय  सुबह ्््पांच   बजें।   सुबह 
्््््निज विचार ््््
््््््शीर्षक ्््््
्््््
््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,,
 सब घड़ी के सांस सार तत्व है ्््
्््
््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील   रहती घड़ी   विलक्षण।  प्रतिभा।  प्रयोग ,,
  क़िया   क़ियात्मक तथ्यों  पर आधारित   है  ््
 जीवन   क़म।  से  एक  सा।  हो सके उतना आसान  नहीं   है,,
 भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। 
 मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये
  अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में ,
 वक्त लगता नहीं है ,,,
और चिन्तन में वक्त गुजर गया,
 वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।।
 आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें,
 कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,,
 अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,,
बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,,
्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।।
प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,,
सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में 
 वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः 
द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।।
सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,,
सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,,
 प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।।
हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,,
 वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,,
 पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते 
 सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।।
जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति
स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।।
यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,,
सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।।
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत  संन्यास आश्रम में 
जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
17,,,,,,10,,,,2024

©Shailendra Anand

#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि

15 Love

White चलते रिश्तो मे अगर थोड़ी सी बहस और गरमागर्मी का माहौल बनता है तों उन रिश्तों की गति ठहर जाती हैऔर कुछ वक़्त के लिए....फिर धीरे धीरे रिश्ते सामान्य हो जते है लेकिन ज़ब बात गर्मा गर्मी और गाली गलोच पर आ जाये तों आंगन मे ही दिवार उठा दीं जाती है और तब रिश्तो मे सुधार की कोई गुंजाईश नही रह जाती ©Parasram Arora

#कविता  White चलते रिश्तो मे  अगर थोड़ी सी बहस और गरमागर्मी का माहौल बनता है तों उन रिश्तों की गति ठहर जाती हैऔर कुछ वक़्त के लिए....फिर धीरे धीरे रिश्ते सामान्य  हो जते है 

लेकिन ज़ब बात गर्मा गर्मी और गाली गलोच पर  आ जाये तों आंगन मे ही दिवार उठा दीं जाती है और तब रिश्तो मे 
सुधार की कोई गुंजाईश  नही रह जाती

©Parasram Arora

रिश्तो की गति

16 Love

White बाधाऐं बहुत है प्रगति में। चलते रहिए हर गति में। दुःख सुख जीवन के दो पहलू... खुश रहिए हर परिस्थिति में।। ©Rimpi chaube

#ख़ुश_रहिए_हर_परिस्थिति_में😊 #Motivational  White 
बाधाऐं बहुत है प्रगति में।
चलते रहिए हर गति में।
दुःख सुख जीवन के दो पहलू...
खुश रहिए हर परिस्थिति में।।

©Rimpi chaube

#ख़ुश_रहिए_हर_परिस्थिति_में😊 बाधाऐं बहुत है प्रगति में। चलते रहिए हर गति में। दुःख सुख जीवन के दो पहलू... खुश रहिए हर परिस्थिति में।। strugg

14 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} बंधुओं हम कभी भी मौत को बुरा नहीं कहते, अगर हम जानते, कि मरा कैसे जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की मन से भक्ति में मरणा सबसे अच्छी गति है।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #Sad_Status  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
बंधुओं हम कभी भी मौत को 
बुरा नहीं कहते, अगर हम 
जानते, कि मरा कैसे जाता है, 
भगवान श्रीकृष्ण की मन से 
भक्ति में मरणा सबसे 
अच्छी गति है।।

©N S Yadav GoldMine

#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} बंधुओं हम कभी भी मौत को बुरा नहीं कहते, अगर हम जानते, कि मरा कैसे जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की मन से

11 Love

White महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया। तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।। प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संपन्न करो प्रभु। गणपत ने भी शर्त बता दी.... अनवरत करूंगा श्रुतलेखन,ना लेना आप भी विराम। जो रुके बीच में ही छोड़ूंगा,अधूरा रह जाएगा काम।। अनवरत चला लेखन का कार्य तो लेखनी बीच में टूट गई। बार–बार गति अवरोधित हुई,लेखन की गति रुक कई बार गई। फिर तोड़ दंत लिया उसको काम,और ग्रंथ पूर्ण कर पाए। इसी प्रसंग के चलते गणपत एकदंत कहलाए।। ©Rimpi chaube

#गणेश_प्रसंग❤️🙏 #गणेशचतुर्थी #Ganesh_chaturthi #GaneshChaturthi #गणेश  White 

महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया।
तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।।
प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संपन्न करो प्रभु।
गणपत ने भी शर्त बता दी....
अनवरत करूंगा श्रुतलेखन,ना लेना आप भी विराम।
जो रुके बीच में ही छोड़ूंगा,अधूरा रह जाएगा काम।।
अनवरत चला लेखन का कार्य तो लेखनी बीच में टूट गई।
बार–बार गति अवरोधित हुई,लेखन की गति रुक कई बार गई।
फिर तोड़ दंत लिया उसको काम,और ग्रंथ पूर्ण कर पाए।
इसी प्रसंग के चलते गणपत एकदंत कहलाए।।

©Rimpi chaube

#गणेश_प्रसंग❤️🙏 महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया। तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।। प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संप

13 Love

#मोटिवेशनल #raksha_bandhan_2024  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
क्या व्यक्ति की मौत हो जाने के 
बाद, कोई गति है, या कोई गति 
करवा सकता है, बिल्कुल नहीं, 
मनुष्य को यह जीवन जो मिला है, 
यही गति करने के लिए है, कोई 
भी किसी की गति नही करवा 
सकता, मनुष्य को स्वयं की गति 
खुद ही करनी होती है, यह केवल
भगवान श्री कृष्ण जी की 
सरनागति में ही सम्भव है।।

©N S Yadav GoldMine

#raksha_bandhan_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} क्या व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद, कोई गति है, या कोई गति करवा सकता है, बिल्कुल नहीं, मनुष्

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White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand

#विचार #sunset_time  White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024
वार,,,,,, गुरुवार
्
समय  सुबह ्््पांच   बजें।   सुबह 
्््््निज विचार ््््
््््््शीर्षक ्््््
्््््
््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,,
 सब घड़ी के सांस सार तत्व है ्््
्््
््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील   रहती घड़ी   विलक्षण।  प्रतिभा।  प्रयोग ,,
  क़िया   क़ियात्मक तथ्यों  पर आधारित   है  ््
 जीवन   क़म।  से  एक  सा।  हो सके उतना आसान  नहीं   है,,
 भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। 
 मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये
  अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में ,
 वक्त लगता नहीं है ,,,
और चिन्तन में वक्त गुजर गया,
 वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।।
 आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें,
 कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,,
 अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,,
बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,,
्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।।
प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,,
सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में 
 वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः 
द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।।
सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,,
सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,,
 प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।।
हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,,
 वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,,
 पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते 
 सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।।
जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति
स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।।
यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,,
सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।।
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत  संन्यास आश्रम में 
जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््््
17,,,,,,10,,,,2024

©Shailendra Anand

#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि

15 Love

White चलते रिश्तो मे अगर थोड़ी सी बहस और गरमागर्मी का माहौल बनता है तों उन रिश्तों की गति ठहर जाती हैऔर कुछ वक़्त के लिए....फिर धीरे धीरे रिश्ते सामान्य हो जते है लेकिन ज़ब बात गर्मा गर्मी और गाली गलोच पर आ जाये तों आंगन मे ही दिवार उठा दीं जाती है और तब रिश्तो मे सुधार की कोई गुंजाईश नही रह जाती ©Parasram Arora

#कविता  White चलते रिश्तो मे  अगर थोड़ी सी बहस और गरमागर्मी का माहौल बनता है तों उन रिश्तों की गति ठहर जाती हैऔर कुछ वक़्त के लिए....फिर धीरे धीरे रिश्ते सामान्य  हो जते है 

लेकिन ज़ब बात गर्मा गर्मी और गाली गलोच पर  आ जाये तों आंगन मे ही दिवार उठा दीं जाती है और तब रिश्तो मे 
सुधार की कोई गुंजाईश  नही रह जाती

©Parasram Arora

रिश्तो की गति

16 Love

White बाधाऐं बहुत है प्रगति में। चलते रहिए हर गति में। दुःख सुख जीवन के दो पहलू... खुश रहिए हर परिस्थिति में।। ©Rimpi chaube

#ख़ुश_रहिए_हर_परिस्थिति_में😊 #Motivational  White 
बाधाऐं बहुत है प्रगति में।
चलते रहिए हर गति में।
दुःख सुख जीवन के दो पहलू...
खुश रहिए हर परिस्थिति में।।

©Rimpi chaube

#ख़ुश_रहिए_हर_परिस्थिति_में😊 बाधाऐं बहुत है प्रगति में। चलते रहिए हर गति में। दुःख सुख जीवन के दो पहलू... खुश रहिए हर परिस्थिति में।। strugg

14 Love

White {Bolo Ji Radhey Radhey} बंधुओं हम कभी भी मौत को बुरा नहीं कहते, अगर हम जानते, कि मरा कैसे जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की मन से भक्ति में मरणा सबसे अच्छी गति है।। ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #Sad_Status  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
बंधुओं हम कभी भी मौत को 
बुरा नहीं कहते, अगर हम 
जानते, कि मरा कैसे जाता है, 
भगवान श्रीकृष्ण की मन से 
भक्ति में मरणा सबसे 
अच्छी गति है।।

©N S Yadav GoldMine

#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} बंधुओं हम कभी भी मौत को बुरा नहीं कहते, अगर हम जानते, कि मरा कैसे जाता है, भगवान श्रीकृष्ण की मन से

11 Love

White महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया। तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।। प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संपन्न करो प्रभु। गणपत ने भी शर्त बता दी.... अनवरत करूंगा श्रुतलेखन,ना लेना आप भी विराम। जो रुके बीच में ही छोड़ूंगा,अधूरा रह जाएगा काम।। अनवरत चला लेखन का कार्य तो लेखनी बीच में टूट गई। बार–बार गति अवरोधित हुई,लेखन की गति रुक कई बार गई। फिर तोड़ दंत लिया उसको काम,और ग्रंथ पूर्ण कर पाए। इसी प्रसंग के चलते गणपत एकदंत कहलाए।। ©Rimpi chaube

#गणेश_प्रसंग❤️🙏 #गणेशचतुर्थी #Ganesh_chaturthi #GaneshChaturthi #गणेश  White 

महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया।
तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।।
प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संपन्न करो प्रभु।
गणपत ने भी शर्त बता दी....
अनवरत करूंगा श्रुतलेखन,ना लेना आप भी विराम।
जो रुके बीच में ही छोड़ूंगा,अधूरा रह जाएगा काम।।
अनवरत चला लेखन का कार्य तो लेखनी बीच में टूट गई।
बार–बार गति अवरोधित हुई,लेखन की गति रुक कई बार गई।
फिर तोड़ दंत लिया उसको काम,और ग्रंथ पूर्ण कर पाए।
इसी प्रसंग के चलते गणपत एकदंत कहलाए।।

©Rimpi chaube

#गणेश_प्रसंग❤️🙏 महाभारत को लिपिबद्ध करने का अवसर आया। तो वेदव्यास के ध्यान में गणपत का स्मरण हो आया।। प्रथम पूज्य से किया निवेदन,लेखन को संप

13 Love

#मोटिवेशनल #raksha_bandhan_2024  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
क्या व्यक्ति की मौत हो जाने के 
बाद, कोई गति है, या कोई गति 
करवा सकता है, बिल्कुल नहीं, 
मनुष्य को यह जीवन जो मिला है, 
यही गति करने के लिए है, कोई 
भी किसी की गति नही करवा 
सकता, मनुष्य को स्वयं की गति 
खुद ही करनी होती है, यह केवल
भगवान श्री कृष्ण जी की 
सरनागति में ही सम्भव है।।

©N S Yadav GoldMine

#raksha_bandhan_2024 {Bolo Ji Radhey Radhey} क्या व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद, कोई गति है, या कोई गति करवा सकता है, बिल्कुल नहीं, मनुष्

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