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Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना कमाना और बचाकर आगे और आगे की ओर ले जाते थे, माँ- बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #leafbook  Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना 
कमाना और बचाकर आगे और 
आगे की ओर ले जाते थे, माँ-
बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और
महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे
भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध
कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े
व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े 
रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना
ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!!

©N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना

11 Love

चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है, सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है, जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है, डरें क्यों अब यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है, उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी, फ़लक पर कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है, मैं तन्हा हूँ मुकम्मल साथ मेरी शायरी है, बुझा चूल्हा है रोटी सेंकने वाला नहीं है, वो बन ठनकर निकलते हैं बड़ी मसरूफियत से, है दर्द-ए-दिल बहुत कोई देखने वाला नहीं है, जो मन में आता है बेखौफ़ बोलता हूँ अब, शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है, वही लिखता हूँ जो महसूस मैं करता हूँ 'गुंजन', हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #चलो  चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है,  
सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है,  

जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है,  
डरें क्यों अब यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है,  

उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी,  
फ़लक पर कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है,  

मैं तन्हा हूँ मुकम्मल साथ मेरी शायरी है,  
बुझा चूल्हा है  रोटी सेंकने वाला नहीं है,  

वो बन ठनकर निकलते हैं बड़ी मसरूफियत से,  
है दर्द-ए-दिल बहुत कोई देखने वाला नहीं है,  

जो मन में आता है बेखौफ़ बोलता हूँ अब,  
शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है,  

वही लिखता हूँ जो महसूस मैं करता हूँ 'गुंजन',  
हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है,  
      ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है#

9 Love

Unsplash अपराध बोध से ग्रसित है ये. स्वछंद हवाएं बिना बताये चुपके चुपके आकर मेरी सांसे चुरा कर किसी और को बेच देती है और कही और से किसी और क़ी साँसे चुरा कर मुझे दे जाती है ©Parasram Arora

 Unsplash अपराध बोध 
से ग्रसित है ये.
स्वछंद हवाएं 

 बिना बताये 
चुपके चुपके 
आकर  मेरी सांसे 
चुरा कर 

किसी और को 
 बेच  देती है 
और कही और 
से किसी और क़ी 
साँसे चुरा कर 
मुझे  दे  जाती है

©Parasram Arora

अपराध बोधसे ग्रसित

13 Love

इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे। मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे। छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, हर कदम पर अपनी पहचान तो दे। दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा, किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे।
मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे।
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, 
हर कदम पर अपनी पहचान तो दे।
दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा,
किसी के रोकने से भी न रुके, 
वही सच्चा इन्सान तो दे।

©नवनीत ठाकुर

"इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे, मंजिल को कोई मुकाम तो दे, छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ हर कदम पर अपनी प

11 Love

Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना कमाना और बचाकर आगे और आगे की ओर ले जाते थे, माँ- बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!! ©N S Yadav GoldMine

#मोटिवेशनल #leafbook  Unsplash {Bolo Ji Radhey Radhey}
माँ-बाप और माता-पिता जब
गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे
डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य 
कार, कुल की इज्ज़त बचाना 
कमाना और बचाकर आगे और 
आगे की ओर ले जाते थे, माँ-
बाप ग्रैजुएट हुए तो बच्चे और
महान बने टिक-टाक, गंदे व नंगे
भांड व डांसर बने, बड़े-बड़े अपराध
कर रहे, ऐ भारत, सुनो घर के बड़े
व बुजुर्गों घर के एक कोने में पड़े 
रहने या रोने के लिए जिंदा तो रहना
ही है। जय श्री राधेकृष्ण जी!!

©N S Yadav GoldMine

#leafbook {Bolo Ji Radhey Radhey} माँ-बाप और माता-पिता जब गरीब व अनपढ़ थे, तो बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, भक्त, साहित्य कार, कुल की इज्ज़त बचाना

11 Love

चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है, सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है, जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है, डरें क्यों अब यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है, उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी, फ़लक पर कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है, मैं तन्हा हूँ मुकम्मल साथ मेरी शायरी है, बुझा चूल्हा है रोटी सेंकने वाला नहीं है, वो बन ठनकर निकलते हैं बड़ी मसरूफियत से, है दर्द-ए-दिल बहुत कोई देखने वाला नहीं है, जो मन में आता है बेखौफ़ बोलता हूँ अब, शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है, वही लिखता हूँ जो महसूस मैं करता हूँ 'गुंजन', हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #चलो  चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है,  
सफ़र तन्हा है कोई टोकने वाला नहीं है,  

जुवाँ खामोश भी रखूँ तो कागज़ बोलता है,  
डरें क्यों अब यहाँ कोई भौंकने वाला नहीं है,  

उन्हें गुमान उनकी हर रज़ा मक़बूल होगी,  
फ़लक पर कोई कीचड़ फेंकने वाला नहीं है,  

मैं तन्हा हूँ मुकम्मल साथ मेरी शायरी है,  
बुझा चूल्हा है  रोटी सेंकने वाला नहीं है,  

वो बन ठनकर निकलते हैं बड़ी मसरूफियत से,  
है दर्द-ए-दिल बहुत कोई देखने वाला नहीं है,  

जो मन में आता है बेखौफ़ बोलता हूँ अब,  
शुक्र है अब मेरे मुँह पर कोई ताला नहीं है,  

वही लिखता हूँ जो महसूस मैं करता हूँ 'गुंजन',  
हमारे दिल में नफ़रत का कोई जाला नहीं है,  
      ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#चलो अच्छा है कोई रोकने वाला नहीं है#

9 Love

Unsplash अपराध बोध से ग्रसित है ये. स्वछंद हवाएं बिना बताये चुपके चुपके आकर मेरी सांसे चुरा कर किसी और को बेच देती है और कही और से किसी और क़ी साँसे चुरा कर मुझे दे जाती है ©Parasram Arora

 Unsplash अपराध बोध 
से ग्रसित है ये.
स्वछंद हवाएं 

 बिना बताये 
चुपके चुपके 
आकर  मेरी सांसे 
चुरा कर 

किसी और को 
 बेच  देती है 
और कही और 
से किसी और क़ी 
साँसे चुरा कर 
मुझे  दे  जाती है

©Parasram Arora

अपराध बोधसे ग्रसित

13 Love

इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे। मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे। छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, हर कदम पर अपनी पहचान तो दे। दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा, किसी के रोकने से भी न रुके, वही सच्चा इन्सान तो दे। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  इस दुनिया को अपना नाम तो दे,
काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे।
मंजिल को आखिर कोई मुकाम तो दे।
छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ, 
हर कदम पर अपनी पहचान तो दे।
दुनिया को दिखा दे अपनी हिम्मत का जज़्बा,
किसी के रोकने से भी न रुके, 
वही सच्चा इन्सान तो दे।

©नवनीत ठाकुर

"इस दुनिया को अपना नाम तो दे, काम कोई भी हो आखिर तक कोई अंजाम तो दे, मंजिल को कोई मुकाम तो दे, छोड़ दे अपने पैरों के निशाँ हर कदम पर अपनी प

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