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New rangeela और नीरज के लोकगीत Status, Photo, Video

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#फ़िल्म

निर्देशक नीरज सहाय एक संक्षिप्त परिचय l Slumdog Entertainment Latest Update

99 View

White घोड़े के पीछे और पैसे वाले के आगे कभी मत चलो क्योंकि वह कभी भी लात मार देते हैं.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #sad_quotes  White घोड़े के पीछे और पैसे वाले के आगे कभी मत चलो क्योंकि वह कभी भी लात मार देते हैं..

©RAVI PRAKASH

#sad_quotes घोड़े के पीछे और पैसे

14 Love

साँप के आलिंगनों में मौन चंदन तन पड़े हैं सेज के सपनों भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ----------------------------- स्वप्न के शव पर खड़े हो माँग भरती हैं प्रथाएँ कंगनों से तोड़ हीरा खा रहीं कितनी व्यथाएँ ------------------------------- जो समर्पण ही नहीं हैं वे समर्पण भी हुए हैं देह सब जूठी पड़ी है प्राण फिर भी अनछुए हैं - भारत भूषण ©deepak sharma

#कविता  साँप के आलिंगनों में 
मौन चंदन तन पड़े हैं 
सेज के सपनों भरे कुछ 
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
-----------------------------
स्वप्न के शव पर खड़े हो 
माँग भरती हैं प्रथाएँ 
कंगनों से तोड़ हीरा 
खा रहीं कितनी व्यथाएँ 
-------------------------------
जो समर्पण ही नहीं हैं 
वे समर्पण भी हुए हैं 
देह सब जूठी पड़ी है 
प्राण फिर भी अनछुए हैं

- भारत भूषण

©deepak sharma

कल के पर्व की स्टेटस और स्टोरीज देखकर भारत भूषण जी कविता के कुछ अंश 😄🤪

10 Love

#फ़िल्म

निर्देशक नीरज सहाय एक संक्षिप्त परिचय l Slumdog Entertainment Latest Update

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White घोड़े के पीछे और पैसे वाले के आगे कभी मत चलो क्योंकि वह कभी भी लात मार देते हैं.. ©RAVI PRAKASH

#शायरी #sad_quotes  White घोड़े के पीछे और पैसे वाले के आगे कभी मत चलो क्योंकि वह कभी भी लात मार देते हैं..

©RAVI PRAKASH

#sad_quotes घोड़े के पीछे और पैसे

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साँप के आलिंगनों में मौन चंदन तन पड़े हैं सेज के सपनों भरे कुछ फूल मुर्दों पर चढ़े हैं ----------------------------- स्वप्न के शव पर खड़े हो माँग भरती हैं प्रथाएँ कंगनों से तोड़ हीरा खा रहीं कितनी व्यथाएँ ------------------------------- जो समर्पण ही नहीं हैं वे समर्पण भी हुए हैं देह सब जूठी पड़ी है प्राण फिर भी अनछुए हैं - भारत भूषण ©deepak sharma

#कविता  साँप के आलिंगनों में 
मौन चंदन तन पड़े हैं 
सेज के सपनों भरे कुछ 
फूल मुर्दों पर चढ़े हैं
-----------------------------
स्वप्न के शव पर खड़े हो 
माँग भरती हैं प्रथाएँ 
कंगनों से तोड़ हीरा 
खा रहीं कितनी व्यथाएँ 
-------------------------------
जो समर्पण ही नहीं हैं 
वे समर्पण भी हुए हैं 
देह सब जूठी पड़ी है 
प्राण फिर भी अनछुए हैं

- भारत भूषण

©deepak sharma

कल के पर्व की स्टेटस और स्टोरीज देखकर भारत भूषण जी कविता के कुछ अंश 😄🤪

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