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New poetry in hindi on nature Status, Photo, Video

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नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

#newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

13 Love

White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण। तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७ नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत। बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८ प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग। समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९ हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग। शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१० ©Bharat Bhushan pathak

#Nature  White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण।
तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७

नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत।
 बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८

प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग।
समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९

हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग।
शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१०

©Bharat Bhushan pathak

#Nature poetry quotes poetry poetry in hindi love poetry for her poetry on love

13 Love

hindi poetry poetry in hindi poetry on love

54 View

लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को। हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।। सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़। करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।। प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते। बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।। ©Bharat Bhushan pathak

#Nature  लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को।
हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।।
सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़।
करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।।
प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते।
बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।।

©Bharat Bhushan pathak

#Nature poetry lovers poetry on love hindi poetry on life poetry poetry in hindi

12 Love

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180 View

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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#Nature  White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण।
तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७

नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत।
 बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८

प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग।
समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९

हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग।
शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१०

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लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को। हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।। सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़। करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।। प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते। बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।। ©Bharat Bhushan pathak

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हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।।
सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़।
करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।।
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बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।।

©Bharat Bhushan pathak

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