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New poetry in hindi on nature Status, Photo, Video

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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

 खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी।
हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry love poetry in hindi

11 Love

नवीनता लिए प्रभात आ गया। मलिनता छँटी विभात छा गया।। विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा। उमंग ही भरो नहीं उचाटना।। ©Bharat Bhushan pathak

#newday  नवीनता लिए प्रभात आ गया।
मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

#newday love poetry in hindi poetry in hindi hindi poetry on life poetry on love hindi poetry

13 Love

White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण। तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७ नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत। बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८ प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग। समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९ हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग। शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१० ©Bharat Bhushan pathak

#Nature  White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण।
तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७

नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत।
 बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८

प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग।
समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९

हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग।
शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१०

©Bharat Bhushan pathak

#Nature poetry quotes poetry poetry in hindi love poetry for her poetry on love

13 Love

hindi poetry poetry in hindi poetry on love

54 View

लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को। हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।। सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़। करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।। प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते। बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।। ©Bharat Bhushan pathak

#Nature  लगाते तुम, बहुत हो पेड़ स्टेटस में,दिखाने को।
हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।।
सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़।
करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।।
प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते।
बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।।

©Bharat Bhushan pathak

#Nature poetry lovers poetry on love hindi poetry on life poetry poetry in hindi

12 Love

White इस दुनिया में सबसे सुंदर अपनी यारी लगती है, बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है। चाय की टपरी पर हम दोनो कहीं अचानक मिल जाये किसी सरोवर के कीचड़ में पुष्प कमल के खिल जाए, साथ तुम्हारे त्यौहारों का आनंद बड़ा सलोना है, रंग - बिरंगी होली और दिवाली हो झिल - मिल जाए।। तू जो मेरे साथ रहे तो हर तैयारी लगती है... बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।।। ©Akhil Arya

#love_shayari  White इस दुनिया में सबसे सुंदर अपनी यारी लगती है,
बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।

 चाय की टपरी पर हम दोनो कहीं अचानक मिल जाये
किसी सरोवर के कीचड़ में पुष्प कमल के खिल जाए,
साथ तुम्हारे त्यौहारों का आनंद बड़ा सलोना है,
रंग - बिरंगी होली और दिवाली हो झिल - मिल जाए।।

तू जो मेरे साथ रहे तो हर तैयारी लगती है...
बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।।।

©Akhil Arya

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खेल कबड्डी सर्दी यारों,बुलवाती हर्दी-गुर्दी। हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।। दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम। रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।। सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा। रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।। सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है। सो सकूँगा अभी जी भर कर, बस ये शुरुआत हुई है। ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता। दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।। ©Bharat Bhushan pathak

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हाय ठिठुर कर रातें बीती,कैसी ये गुण्डागर्दी।।
दिन की लघुता करे बेचैन ,ठण्ड फोड़ती रह-रह बम।
रोज सवेरे भागादौड़ी,बजकर घड़ी निकाले दम।।
सोने की जब भी हो इच्छा,लेती तब ठण्ड परीक्षा।
रोज सवेरे उठकर हरदम,देनी होती है शिक्षा।।
सोच यही मैं लौटूँ हरदम,न अभी जी रात हुई है।
सो सकूँगा अभी जी भर कर,  बस ये शुरुआत हुई है।
ना जाने फिर क्या हो जाता,दिन ही छोटा हो जाता।
दिन की लघुता करे बेचैन,मन ये बस कहता जाता।।

©Bharat Bhushan pathak

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मलिनता छँटी विभात छा गया।।
विलुप्त वर्ष ये हमें बता रहा।
उमंग ही भरो नहीं उचाटना।।

©Bharat Bhushan pathak

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White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार। शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६ पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण। तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७ नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत। बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८ प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग। समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९ हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग। शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१० ©Bharat Bhushan pathak

#Nature  White इनसे ही होता यहाँ,सदा सुखी संसार।
शस्य-श्यामला हो धरा,हरियाली विस्तार।।६

पृथ्वी अग्नि व्योम मृदा,करे सृष्टि निर्माण।
तत्व एक भी लुप्त यदि,हो विध्वंश प्रमाण।।७

नाशे सभी यदि वृक्ष तो,हो जाएगा अंत।
 बरसेगी तब ये धरा,खोले तीखे दंत।।८

प्राणवायु भी लुप्त क्यों,सोचेंगे सब लोग।
समझ नहीं पाए कभी,कैसा है ये रोग।९

हवा पानी मिट्टी अरु,करते गंदा लोग।
शोर ज़ोरों से कर वो ,बढ़ा रहे हैं रोग।।१०

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हमारे ये,धरोहर हैं,कहा था क्या ,सिखाने को।।
सदा देखा,यहाँ करता,कटे जाते यहाँ पे पेड़।
करो तुम बन्द जी पहले,इसे ना अब,कभी तू छेड़।।
प्रकृति के ओ!सुनो पूजक,बचा लो पेड़ जो कटते।
बचाओ तुम,सुनो उनको,यहाँ से जो,अजी छँटते।।

©Bharat Bhushan pathak

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White इस दुनिया में सबसे सुंदर अपनी यारी लगती है, बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है। चाय की टपरी पर हम दोनो कहीं अचानक मिल जाये किसी सरोवर के कीचड़ में पुष्प कमल के खिल जाए, साथ तुम्हारे त्यौहारों का आनंद बड़ा सलोना है, रंग - बिरंगी होली और दिवाली हो झिल - मिल जाए।। तू जो मेरे साथ रहे तो हर तैयारी लगती है... बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।।। ©Akhil Arya

#love_shayari  White इस दुनिया में सबसे सुंदर अपनी यारी लगती है,
बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।

 चाय की टपरी पर हम दोनो कहीं अचानक मिल जाये
किसी सरोवर के कीचड़ में पुष्प कमल के खिल जाए,
साथ तुम्हारे त्यौहारों का आनंद बड़ा सलोना है,
रंग - बिरंगी होली और दिवाली हो झिल - मिल जाए।।

तू जो मेरे साथ रहे तो हर तैयारी लगती है...
बाकी तो दुनिया में मुझको दुनियादारी लगती है।।।

©Akhil Arya

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12 Love

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