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#कविता

जागो और जगाओ

126 View

Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

17 Love

White उठो जागो और प्रयास करो तब तक करते रहो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए, बदलाव क्षणों में होता है। ©Baljeet Singh

#Motivational  White उठो जागो और प्रयास करो तब तक करते रहो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए, बदलाव क्षणों में होता है।

©Baljeet Singh

उठो जागो।

10 Love

White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora

#Motivational  White हमारे  आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित  चेतनाये
 
तभी तों  रेत मे मुंह छुपा कर रहती है  हमारी अनसुलझी समस्याएं 

जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख 
सपनो की  मालाये
शायद इसीलीये  डूब चुके है हमारे भाव  और ख़ो चुकी है  संवेदनाये

©Parasram Arora

आदर्श और संवेदनाये

18 Love

#मैं #Quotes  White  "मैं हूँ और वह है, मिलना चाहते हैं,
  पर दूरी इतनी है, जैसे धरती और आसमान।"


 "कभी लगता है, चूर-चूर हो जाऊँ, फिर लगता है, 
  मिलना तो तय ही है।"

©kevat pk

#मैं और वो

90 View

White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora

 White अब सुख और सुकून 
की  नींद कहा नसीब 
होती हैँ  आज के इंसान को


आदमी दिन भर 
व्यस्त रहता हैँ  रोज़ी 
रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे 

उसे सुकून और सुख 
की फ़िक्र करने.का 
वक़्त ही कहा मिलता हैँ?

©Parasram Arora

सुख और सुकून

13 Love

#कविता

जागो और जगाओ

126 View

Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora

 Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora

आदम और ईव

17 Love

White उठो जागो और प्रयास करो तब तक करते रहो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए, बदलाव क्षणों में होता है। ©Baljeet Singh

#Motivational  White उठो जागो और प्रयास करो तब तक करते रहो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए, बदलाव क्षणों में होता है।

©Baljeet Singh

उठो जागो।

10 Love

White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora

#Motivational  White हमारे  आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित  चेतनाये
 
तभी तों  रेत मे मुंह छुपा कर रहती है  हमारी अनसुलझी समस्याएं 

जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख 
सपनो की  मालाये
शायद इसीलीये  डूब चुके है हमारे भाव  और ख़ो चुकी है  संवेदनाये

©Parasram Arora

आदर्श और संवेदनाये

18 Love

#मैं #Quotes  White  "मैं हूँ और वह है, मिलना चाहते हैं,
  पर दूरी इतनी है, जैसे धरती और आसमान।"


 "कभी लगता है, चूर-चूर हो जाऊँ, फिर लगता है, 
  मिलना तो तय ही है।"

©kevat pk

#मैं और वो

90 View

White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora

 White अब सुख और सुकून 
की  नींद कहा नसीब 
होती हैँ  आज के इंसान को


आदमी दिन भर 
व्यस्त रहता हैँ  रोज़ी 
रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे 

उसे सुकून और सुख 
की फ़िक्र करने.का 
वक़्त ही कहा मिलता हैँ?

©Parasram Arora

सुख और सुकून

13 Love

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