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New बेनिफिट्स ऑफ किसान विकास पत्र Status, Photo, Video

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किसान सभी चाहते हैं धरती का हो खुशहाल किसान गर्व से सीना चौंड़ा होवे मिले उसे सम्मान मगर कृषि उत्पादों में ही दिखती है मँहगाई रोते प्याज के आँसू हैं सब भाव बढ़ा है भाई कहते हैं सब्जी महँगी है कैसे खर्च चलायें पत्रकार टीवी पर आकर जमकर उधम मचायें मँहगे तो होते रहतें हैं औद्योगिक सामान मगर उधर न कभी दिलाते हैं लोगोँ ध्यान टीवी फ्रिज भी मंहगा होते मँहगी हुई दवाई आसमान को छूती कीमत मँहगी हुई पढ़ाई मगर किसानों के दुश्मन सब रोज मचायें हल्ला सभी चाहते कभी न मँहगा होने पाए गल्ला बेखुद कैसे सुखी रहेगा निर्धन बहुत किसान उसे लोग कबतक समझेंगे वो भी है इंसान ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #किसान  किसान

सभी चाहते हैं धरती का
हो खुशहाल किसान
गर्व से सीना चौंड़ा होवे
मिले उसे सम्मान

मगर कृषि उत्पादों में ही
दिखती है मँहगाई
रोते प्याज के आँसू हैं सब
भाव बढ़ा है भाई

कहते हैं सब्जी महँगी है
कैसे खर्च चलायें
पत्रकार टीवी पर आकर
जमकर उधम मचायें

मँहगे तो होते रहतें हैं
औद्योगिक सामान
मगर उधर न कभी दिलाते 
हैं लोगोँ ध्यान

टीवी फ्रिज भी मंहगा होते
मँहगी हुई दवाई
आसमान को छूती कीमत
मँहगी हुई पढ़ाई

मगर किसानों के दुश्मन सब
रोज मचायें हल्ला
सभी चाहते कभी न मँहगा
होने पाए गल्ला

बेखुद कैसे सुखी रहेगा
निर्धन बहुत किसान
उसे लोग कबतक समझेंगे
वो भी है इंसान

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

इतिहास लिखने के लिए पेन की जरुरत नही होती हसले की जरुरत होती है ©Basanti Shasmal

#Motivational  इतिहास लिखने के लिए पेन की जरुरत नही होती हसले की जरुरत होती है

©Basanti Shasmal

# मोटिवेशन ऑफ लाईफ

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Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और किसान का हौंसला इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 👉 सर्द ठंडी राते, हाड़ कपाती सर्दी पहनी काली बंडी हो, छोटी पहन धोती ले कुदाल फावड़ा, करने लगा खेती तु देख होंसला, जज्बा, देख कितनी मजबूरी है कितनी करता है मेहनत मजदूरी रात कितनी भी ठंडी हो फर्क नहीं पढ़ता उसे वो उसका काम हैं कहते है सभी उसे कहती हैं सरकारे उसे देश का अन्नदाता है मगर परेशानियों से छुटकारा कहाँ मिलता है उसे फिर भी पेट पालने को खुद का ,परिवार का ,देश का तैयार रहता है हर दम न डरता है,न घबराता है परेशानियों से लड़ता है दुख होता है कभी कभी लड़ते लड़ते मर जाता है फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारता है क्योंकि वो किसान हैं स्वाभिमान से जीता है भारत भूमि पर रहता है बहुत प्यार करता है अपनी धरती माँ से इसलिए इस पर हमेशा अपनी जान न्योछावर करता हैं 👉स्वरचित मदन जोशी ,माँ का लाल उदयपुर ,राजस्थान ©Madanjoshi

#कविता #leafbook  Unsplash किसान का दर्द

दिसम्बर की सर्द राते 
और किसान का हौंसला 

 इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 

👉
सर्द ठंडी राते,
            हाड़ कपाती सर्दी
पहनी काली बंडी हो,
               छोटी पहन धोती
ले कुदाल फावड़ा,
                करने लगा खेती
तु देख होंसला, जज्बा,
             देख कितनी मजबूरी है 
कितनी करता है 
                 मेहनत मजदूरी
रात कितनी भी ठंडी हो
             फर्क नहीं पढ़ता उसे
वो उसका काम हैं 
                     कहते है सभी उसे
कहती हैं सरकारे उसे
                   देश का अन्नदाता है
मगर परेशानियों से छुटकारा
                   कहाँ मिलता है उसे
फिर भी पेट पालने को
      खुद का ,परिवार का ,देश का
तैयार रहता है हर दम
  न डरता है,न घबराता है
            परेशानियों से लड़ता है
दुख होता है कभी कभी
        लड़ते लड़ते मर जाता है
फिर भी किसान हिम्मत 
             नहीं हारता है
क्योंकि वो किसान हैं 
           स्वाभिमान से जीता है
भारत भूमि पर रहता है
            बहुत प्यार करता है
    अपनी धरती माँ से 
         इसलिए इस पर हमेशा
   अपनी जान न्योछावर करता हैं
              👉स्वरचित
          मदन जोशी ,माँ का लाल
           उदयपुर ,राजस्थान

©Madanjoshi

#leafbook किसान दिवस किसान का दर्द

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किसान सभी चाहते हैं धरती का हो खुशहाल किसान गर्व से सीना चौंड़ा होवे मिले उसे सम्मान मगर कृषि उत्पादों में ही दिखती है मँहगाई रोते प्याज के आँसू हैं सब भाव बढ़ा है भाई कहते हैं सब्जी महँगी है कैसे खर्च चलायें पत्रकार टीवी पर आकर जमकर उधम मचायें मँहगे तो होते रहतें हैं औद्योगिक सामान मगर उधर न कभी दिलाते हैं लोगोँ ध्यान टीवी फ्रिज भी मंहगा होते मँहगी हुई दवाई आसमान को छूती कीमत मँहगी हुई पढ़ाई मगर किसानों के दुश्मन सब रोज मचायें हल्ला सभी चाहते कभी न मँहगा होने पाए गल्ला बेखुद कैसे सुखी रहेगा निर्धन बहुत किसान उसे लोग कबतक समझेंगे वो भी है इंसान ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #किसान  किसान

सभी चाहते हैं धरती का
हो खुशहाल किसान
गर्व से सीना चौंड़ा होवे
मिले उसे सम्मान

मगर कृषि उत्पादों में ही
दिखती है मँहगाई
रोते प्याज के आँसू हैं सब
भाव बढ़ा है भाई

कहते हैं सब्जी महँगी है
कैसे खर्च चलायें
पत्रकार टीवी पर आकर
जमकर उधम मचायें

मँहगे तो होते रहतें हैं
औद्योगिक सामान
मगर उधर न कभी दिलाते 
हैं लोगोँ ध्यान

टीवी फ्रिज भी मंहगा होते
मँहगी हुई दवाई
आसमान को छूती कीमत
मँहगी हुई पढ़ाई

मगर किसानों के दुश्मन सब
रोज मचायें हल्ला
सभी चाहते कभी न मँहगा
होने पाए गल्ला

बेखुद कैसे सुखी रहेगा
निर्धन बहुत किसान
उसे लोग कबतक समझेंगे
वो भी है इंसान

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

इतिहास लिखने के लिए पेन की जरुरत नही होती हसले की जरुरत होती है ©Basanti Shasmal

#Motivational  इतिहास लिखने के लिए पेन की जरुरत नही होती हसले की जरुरत होती है

©Basanti Shasmal

# मोटिवेशन ऑफ लाईफ

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Unsplash किसान का दर्द दिसम्बर की सर्द राते और किसान का हौंसला इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 👉 सर्द ठंडी राते, हाड़ कपाती सर्दी पहनी काली बंडी हो, छोटी पहन धोती ले कुदाल फावड़ा, करने लगा खेती तु देख होंसला, जज्बा, देख कितनी मजबूरी है कितनी करता है मेहनत मजदूरी रात कितनी भी ठंडी हो फर्क नहीं पढ़ता उसे वो उसका काम हैं कहते है सभी उसे कहती हैं सरकारे उसे देश का अन्नदाता है मगर परेशानियों से छुटकारा कहाँ मिलता है उसे फिर भी पेट पालने को खुद का ,परिवार का ,देश का तैयार रहता है हर दम न डरता है,न घबराता है परेशानियों से लड़ता है दुख होता है कभी कभी लड़ते लड़ते मर जाता है फिर भी किसान हिम्मत नहीं हारता है क्योंकि वो किसान हैं स्वाभिमान से जीता है भारत भूमि पर रहता है बहुत प्यार करता है अपनी धरती माँ से इसलिए इस पर हमेशा अपनी जान न्योछावर करता हैं 👉स्वरचित मदन जोशी ,माँ का लाल उदयपुर ,राजस्थान ©Madanjoshi

#कविता #leafbook  Unsplash किसान का दर्द

दिसम्बर की सर्द राते 
और किसान का हौंसला 

 इस पर एक शानदार रचना किसानों को समर्पित है 

👉
सर्द ठंडी राते,
            हाड़ कपाती सर्दी
पहनी काली बंडी हो,
               छोटी पहन धोती
ले कुदाल फावड़ा,
                करने लगा खेती
तु देख होंसला, जज्बा,
             देख कितनी मजबूरी है 
कितनी करता है 
                 मेहनत मजदूरी
रात कितनी भी ठंडी हो
             फर्क नहीं पढ़ता उसे
वो उसका काम हैं 
                     कहते है सभी उसे
कहती हैं सरकारे उसे
                   देश का अन्नदाता है
मगर परेशानियों से छुटकारा
                   कहाँ मिलता है उसे
फिर भी पेट पालने को
      खुद का ,परिवार का ,देश का
तैयार रहता है हर दम
  न डरता है,न घबराता है
            परेशानियों से लड़ता है
दुख होता है कभी कभी
        लड़ते लड़ते मर जाता है
फिर भी किसान हिम्मत 
             नहीं हारता है
क्योंकि वो किसान हैं 
           स्वाभिमान से जीता है
भारत भूमि पर रहता है
            बहुत प्यार करता है
    अपनी धरती माँ से 
         इसलिए इस पर हमेशा
   अपनी जान न्योछावर करता हैं
              👉स्वरचित
          मदन जोशी ,माँ का लाल
           उदयपुर ,राजस्थान

©Madanjoshi

#leafbook किसान दिवस किसान का दर्द

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