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सुख दुख तो सबके ज़िन्दगी आता जाता है

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White तुम ना दो जवाब अब मैं सवाल नहीं करता तुम डरना नहीं मुझसे, मैं बवाल नहीं करता वक़्त बर्बाद नहीं करता उन बीते पलों को याद कर के भूल गया हर वो बात, अब उन पर मलाल नहीं करता कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम तुम्हे याद करने की गलती मैं हर बार नहीं करता अब मिलने लगा हूँ हर शख्स से जो तुम्हे नापसंद थे तुम्हारी वजह से अब अपने रिश्ते खराब नहीं करता बेफिजूल है 'बेफ़िज़ूलियत' को अपनी बातें समझाना तुम पर ऐतबार करने की गलती मैं बार बार नहीं करता।। ©Ashvani Kumar

 White तुम ना दो जवाब अब मैं सवाल नहीं करता 
तुम डरना नहीं मुझसे, मैं बवाल नहीं करता

वक़्त बर्बाद नहीं करता उन बीते पलों को याद कर के 
भूल गया हर वो बात, अब उन पर मलाल नहीं करता

कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम 
तुम्हे याद करने की गलती मैं हर बार नहीं करता

अब मिलने लगा हूँ हर शख्स से जो तुम्हे नापसंद थे 
तुम्हारी वजह से अब अपने रिश्ते खराब नहीं करता

बेफिजूल है 'बेफ़िज़ूलियत' को अपनी बातें समझाना 
तुम पर ऐतबार करने की गलती मैं बार बार नहीं करता।।

©Ashvani Kumar

कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम

10 Love

कैसे चढ़ पायेगी सफलता की सीढ़ी, जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी, मन की उलझन से बच पाने का साधन, बना आज व्यवसाय है बिकती पंजीरी, पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना, जीवन पथ की राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी, छद्म मान्यताओं ने जकड़े पांव यहां, दौड़ नहीं पायेगा काटे बिन बेड़ी, क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे, नाहक करते फिरते हो तेरी मेरी, मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना, धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी, मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन', रह जाता अवशेष राख बनकर ढ़ेरी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #रह  कैसे  चढ़  पायेगी  सफलता की सीढ़ी,
जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी,

मन की उलझन से बच पाने का साधन,
बना आज व्यवसाय  है बिकती पंजीरी,

पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना,
जीवन  पथ  की  राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी,

छद्म मान्यताओं ने  जकड़े  पांव यहां,
दौड़   नहीं  पायेगा   काटे   बिन बेड़ी,

क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे,
नाहक  करते  फिरते  हो  तेरी   मेरी,

मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना,
धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी,

मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन',
रह जाता  अवशेष  राख  बनकर ढ़ेरी,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#रह जाता अवशेष#

13 Love

#शायरी

शायरी हिंदी मेंघर बदल जाता है ।

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#शायरी #बिना #बयां #कहे #कुछ
#कविता #love_shayari

#love_shayari कभी-कभी कोई आ जाता है

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सुख दुख तो सबके ज़िन्दगी आता जाता है

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White तुम ना दो जवाब अब मैं सवाल नहीं करता तुम डरना नहीं मुझसे, मैं बवाल नहीं करता वक़्त बर्बाद नहीं करता उन बीते पलों को याद कर के भूल गया हर वो बात, अब उन पर मलाल नहीं करता कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम तुम्हे याद करने की गलती मैं हर बार नहीं करता अब मिलने लगा हूँ हर शख्स से जो तुम्हे नापसंद थे तुम्हारी वजह से अब अपने रिश्ते खराब नहीं करता बेफिजूल है 'बेफ़िज़ूलियत' को अपनी बातें समझाना तुम पर ऐतबार करने की गलती मैं बार बार नहीं करता।। ©Ashvani Kumar

 White तुम ना दो जवाब अब मैं सवाल नहीं करता 
तुम डरना नहीं मुझसे, मैं बवाल नहीं करता

वक़्त बर्बाद नहीं करता उन बीते पलों को याद कर के 
भूल गया हर वो बात, अब उन पर मलाल नहीं करता

कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम 
तुम्हे याद करने की गलती मैं हर बार नहीं करता

अब मिलने लगा हूँ हर शख्स से जो तुम्हे नापसंद थे 
तुम्हारी वजह से अब अपने रिश्ते खराब नहीं करता

बेफिजूल है 'बेफ़िज़ूलियत' को अपनी बातें समझाना 
तुम पर ऐतबार करने की गलती मैं बार बार नहीं करता।।

©Ashvani Kumar

कभी धोखे से आ जाता जुबान पर तुम्हारा नाम

10 Love

कैसे चढ़ पायेगी सफलता की सीढ़ी, जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी, मन की उलझन से बच पाने का साधन, बना आज व्यवसाय है बिकती पंजीरी, पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना, जीवन पथ की राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी, छद्म मान्यताओं ने जकड़े पांव यहां, दौड़ नहीं पायेगा काटे बिन बेड़ी, क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे, नाहक करते फिरते हो तेरी मेरी, मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना, धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी, मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन', रह जाता अवशेष राख बनकर ढ़ेरी, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #रह  कैसे  चढ़  पायेगी  सफलता की सीढ़ी,
जब अवसाद ग्रस्त है आज युवा पीढ़ी,

मन की उलझन से बच पाने का साधन,
बना आज व्यवसाय  है बिकती पंजीरी,

पथ को कंटक पूर्ण देख मत घबराना,
जीवन  पथ  की  राह बहुत टेढ़ी-मेढ़ी,

छद्म मान्यताओं ने  जकड़े  पांव यहां,
दौड़   नहीं  पायेगा   काटे   बिन बेड़ी,

क्या लेकर आए क्या लेकर जाओगे,
नाहक  करते  फिरते  हो  तेरी   मेरी,

मजदूरों ने सिखलाया पथ पर चलना,
धुएं की कश में फूंक जला देता बीड़ी,

मिट्टी में मिल जाता है सबकुछ 'गुंजन',
रह जाता  अवशेष  राख  बनकर ढ़ेरी,
     ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
               प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#रह जाता अवशेष#

13 Love

#शायरी

शायरी हिंदी मेंघर बदल जाता है ।

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#शायरी #बिना #बयां #कहे #कुछ
#कविता #love_shayari

#love_shayari कभी-कभी कोई आ जाता है

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