मुझे मेरी जिंदगी का हर तोहफा वो कुबूल है
मैने अपने उन ख्वाहिशों का नाम बताना ही छोड़ दिया ।
जो मेरे इस दिल के करीब वो अजीज हैं।
मैंने तो अपने ही उन गैरों पे हक जताना भी छोड़ दिया ।।
वो लोग मेरा दर्द को समझ ही नहीं सकते
मैने उन्हें , अपने ही जख्म दिखाना ही छोड़ दिया ।
मेरे दिल पे जो गुजरती है वो हकीकत है मेरी ।
मैने दिखावे के लिए, उसने तो मुस्कुराना ही छोड़ दिया ।।
जो मेरी जरुरत को वो महसूस ही नहीं करते थे
मैने तो उनका साथ, निभाना ही छोड़ दिया ।
जो मेरे अपने है वो मिलेंगे जरूर मुझे
मैने बेवजह ही , उन बंदिशें लगाना ही छोड़ दिया ।।
©बेजुबान शायर shivkumar
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