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New गत वर्ष का मतलब Status, Photo, Video

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New Year 2025 दोहे :-- नव वर्ष केसर रोली अक्षत से, सजा लिया है थाल। तिलक करूं में हर्ष से, नये साल के भाल। ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#कविता  New Year 2025 दोहे :-- नव वर्ष 

केसर रोली अक्षत से, सजा लिया है थाल।
तिलक करूं में हर्ष से, नये साल के भाल।

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

नव वर्ष

17 Love

New Year 2024-25 हैं कुशलपूर्वक भलीभांति, जीवन सुखपूर्ण हमारा है। आशा है आप कुशल होंगें, निश्चय अनुमान हमारा है।। ©राकेश कुमार

#शायरी #नया  New Year 2024-25 हैं कुशलपूर्वक भलीभांति, जीवन सुखपूर्ण हमारा है। 
आशा है आप कुशल होंगें, निश्चय अनुमान हमारा है।।

©राकेश कुमार

#नया वर्ष मंगलमय हो।

9 Love

White आखिर, ये कैसा नव वर्ष है ना बदली, दिशाएँ हवा की, ना बदली, रंगत फिज़ा की नए गुल भी तो, खिले नहीं, नक्षत्र जगह से, हिले नहीं ना धरा को ही, हुआ हर्ष है, आखिर, ये कैसा नव वर्ष है छोड़ कर, दिनकर का साथ, तिथी बदल ली, आधी रात ना दिखे, प्रकृति में बदलाव, ना ही बदले, मौसम के भाव जारी धरा का, सूर्य से कर्ष है, आखिर ये, कैसा नव वर्ष है देखो कभी नववर्ष, सनातनी, खिल जाती है, जब अवनी जब महक, चहुँओर बिखरती, प्रकृती भी, फिर से सँवरती होता जब, मन का उत्कर्ष है, ऐ "अश्क" वो मेरा नव वर्ष है बस वही मेरा नव वर्ष है अरविन्द "अश्क" ©Arvind Rao

#कविता #नव  White आखिर, ये कैसा नव वर्ष है


ना  बदली, दिशाएँ  हवा की, ना बदली, रंगत फिज़ा की 
नए गुल भी तो, खिले नहीं, नक्षत्र जगह से, हिले नहीं 
ना धरा को ही, हुआ हर्ष है, आखिर, ये कैसा नव वर्ष है

छोड़ कर, दिनकर का साथ, तिथी बदल ली, आधी रात 
ना दिखे, प्रकृति में बदलाव, ना ही बदले, मौसम के भाव 
जारी धरा का, सूर्य से कर्ष है, आखिर ये, कैसा नव वर्ष है

देखो कभी नववर्ष, सनातनी, खिल जाती है, जब अवनी 
जब महक, चहुँओर बिखरती, प्रकृती भी, फिर से सँवरती 
होता जब, मन का उत्कर्ष है, ऐ "अश्क" वो मेरा नव वर्ष है

बस वही मेरा नव वर्ष है 
अरविन्द "अश्क"

©Arvind Rao

#नव वर्ष

7 Love

............................. ©RUPESH Kr SINHA

#Motivational #घट  .............................

©RUPESH Kr SINHA

#घट गये जीवन का एक वर्ष

13 Love

मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा #कविता  मनचाहा  करते  करतब,
मर्यादा का  क्या मतलब,

नये ख़यालों के  आलिम,
अंग प्रदर्शन  करे  गज़ब,

नदी   लांघ  देती  मर्यादा,
त्राहिमाम  करते  हैं  सब,

अपनी-अपनी हद में रहें,
संस्कार सिखलाए अदब,

पहनावे से बने आधुनिक,
किन्तु  विचार  बड़े  बेढव,

आजादी का करें दिखावा,
डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब,

'गुंजन' खुशगवार मौसम में,
क्यों मांगूं  फ़ुर्सत  जब  तब,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा का क्या मतलब#

12 Love

#Videos

मतलब दुनिया

171 View

New Year 2025 दोहे :-- नव वर्ष केसर रोली अक्षत से, सजा लिया है थाल। तिलक करूं में हर्ष से, नये साल के भाल। ©Dr. Bhagwan Sahay Meena

#कविता  New Year 2025 दोहे :-- नव वर्ष 

केसर रोली अक्षत से, सजा लिया है थाल।
तिलक करूं में हर्ष से, नये साल के भाल।

©Dr. Bhagwan Sahay Meena

नव वर्ष

17 Love

New Year 2024-25 हैं कुशलपूर्वक भलीभांति, जीवन सुखपूर्ण हमारा है। आशा है आप कुशल होंगें, निश्चय अनुमान हमारा है।। ©राकेश कुमार

#शायरी #नया  New Year 2024-25 हैं कुशलपूर्वक भलीभांति, जीवन सुखपूर्ण हमारा है। 
आशा है आप कुशल होंगें, निश्चय अनुमान हमारा है।।

©राकेश कुमार

#नया वर्ष मंगलमय हो।

9 Love

White आखिर, ये कैसा नव वर्ष है ना बदली, दिशाएँ हवा की, ना बदली, रंगत फिज़ा की नए गुल भी तो, खिले नहीं, नक्षत्र जगह से, हिले नहीं ना धरा को ही, हुआ हर्ष है, आखिर, ये कैसा नव वर्ष है छोड़ कर, दिनकर का साथ, तिथी बदल ली, आधी रात ना दिखे, प्रकृति में बदलाव, ना ही बदले, मौसम के भाव जारी धरा का, सूर्य से कर्ष है, आखिर ये, कैसा नव वर्ष है देखो कभी नववर्ष, सनातनी, खिल जाती है, जब अवनी जब महक, चहुँओर बिखरती, प्रकृती भी, फिर से सँवरती होता जब, मन का उत्कर्ष है, ऐ "अश्क" वो मेरा नव वर्ष है बस वही मेरा नव वर्ष है अरविन्द "अश्क" ©Arvind Rao

#कविता #नव  White आखिर, ये कैसा नव वर्ष है


ना  बदली, दिशाएँ  हवा की, ना बदली, रंगत फिज़ा की 
नए गुल भी तो, खिले नहीं, नक्षत्र जगह से, हिले नहीं 
ना धरा को ही, हुआ हर्ष है, आखिर, ये कैसा नव वर्ष है

छोड़ कर, दिनकर का साथ, तिथी बदल ली, आधी रात 
ना दिखे, प्रकृति में बदलाव, ना ही बदले, मौसम के भाव 
जारी धरा का, सूर्य से कर्ष है, आखिर ये, कैसा नव वर्ष है

देखो कभी नववर्ष, सनातनी, खिल जाती है, जब अवनी 
जब महक, चहुँओर बिखरती, प्रकृती भी, फिर से सँवरती 
होता जब, मन का उत्कर्ष है, ऐ "अश्क" वो मेरा नव वर्ष है

बस वही मेरा नव वर्ष है 
अरविन्द "अश्क"

©Arvind Rao

#नव वर्ष

7 Love

............................. ©RUPESH Kr SINHA

#Motivational #घट  .............................

©RUPESH Kr SINHA

#घट गये जीवन का एक वर्ष

13 Love

मनचाहा करते करतब, मर्यादा का क्या मतलब, नये ख़यालों के आलिम, अंग प्रदर्शन करे गज़ब, नदी लांघ देती मर्यादा, त्राहिमाम करते हैं सब, अपनी-अपनी हद में रहें, संस्कार सिखलाए अदब, पहनावे से बने आधुनिक, किन्तु विचार बड़े बेढव, आजादी का करें दिखावा, डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब, 'गुंजन' खुशगवार मौसम में, क्यों मांगूं फ़ुर्सत जब तब, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा #कविता  मनचाहा  करते  करतब,
मर्यादा का  क्या मतलब,

नये ख़यालों के  आलिम,
अंग प्रदर्शन  करे  गज़ब,

नदी   लांघ  देती  मर्यादा,
त्राहिमाम  करते  हैं  सब,

अपनी-अपनी हद में रहें,
संस्कार सिखलाए अदब,

पहनावे से बने आधुनिक,
किन्तु  विचार  बड़े  बेढव,

आजादी का करें दिखावा,
डांस, ड्रिंक,पार्टी और पब,

'गुंजन' खुशगवार मौसम में,
क्यों मांगूं  फ़ुर्सत  जब  तब,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#मर्यादा का क्या मतलब#

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