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New गूजरी महल ग्वालियर Status, Photo, Video

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न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत काफी है,
आराम नहीं, बस राहत काफी है।
सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ,
खाली पेट को बस बरकत काफी है।

न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी,
बस इंसान की भूख मिट जाए।
जिंदगी की असली हकीकत यही,
कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का

11 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #दयावान #शायरी

#दयावान मुझे नहीं चाहिए धन और दौलत,महल अटारी मेरे कोई काम नहीं मुझे इंसान चाहिए किसी का अहसान नहीं ईमान निभा सको पर सच्चा मेहरबान वही

99 View

Unsplash मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है.. पर तेरे महल से खिड़की नज़र नहीं आती.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#मेरी  Unsplash मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है..

पर तेरे महल से खिड़की नज़र नहीं आती..

यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है...

12 Love

जो लोग गए कब आए हैं बस याद के बादल छाए हैं आवाज़ ग़मों में फ़ौत हुई अल्फ़ाज़ बहुत मुरझाए हैं इक राजकुमारी टूट गई वो ज़ुल्म महल ने ढाए हैं

189 View

White पल्लव की डायरी दीपक के जैसे दिल जलते अब दिया तले अंधेरा है मन रोज मारते अपने हम सब दिवालो जैसा हाल है फलता फूलता पूँजी वाद अथाह सागर धन का चंद लोगो के पास है ईर्ष्या घृणा नही उनसे मगर हमारे छोटे संसाधन व्यापारो पर कब्जा उन रहीशजादो का है आटे दूध नमक चिप्पस के बल पर फूलते वे सब धिक्कार उनकी काबलियत पर है एक एक बूँद शहीद हो गयी अंध विकास की घर घर हमारे फूक डाले दिल दुखाकर जनता के, रोशन नही महल होने वाले प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #happy_diwali  White पल्लव की डायरी
दीपक के जैसे दिल जलते अब
दिया तले अंधेरा है
मन रोज मारते अपने हम सब
दिवालो जैसा हाल है
फलता फूलता पूँजी वाद 
अथाह सागर धन का चंद लोगो के पास है
ईर्ष्या घृणा नही उनसे
मगर हमारे छोटे संसाधन व्यापारो पर
कब्जा उन रहीशजादो का है
आटे दूध नमक चिप्पस के बल पर फूलते वे सब
धिक्कार उनकी काबलियत पर है
एक एक बूँद शहीद हो गयी अंध विकास की
घर घर हमारे फूक डाले
दिल दुखाकर जनता के,
रोशन नही महल होने वाले
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#happy_diwali रोशन नही महल होने वाले है

23 Love

White निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१ है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है, इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२ जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके,तो अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३ वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं, इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४ इश्क़ और मुश्क़ मे मुब्तला होना बुरी लत तो नहीं है, जो वाकिफ है तुझसे फिर उनसे छुपाता क्यूं है//५ अब राह-ए-इश्क़ में तेरे कदम लरजते क्यूं है, रखता है चश्म तो फिर नजर को बचाता क्यूं है//६ ताउम्र लोगो के ऐब तलाशने वाले तू उगली उठाता क्यु है , जरा अपनी गरेबाँ को तो देख तु,इसे-मुझसे छुपाता क्यूं है//७ ऐ सौदागर ए इश्क़ हम तेरे कुछ नहीं,फिर इतना बता तू देखके मुझको तिरे ज़हन मे लाता क्यूं है//८ इश्क़ मे एक दिल ही तो मख्सूस होता है,इस मुखलिसी को तू हरेक शख्स मे ढूंढता फिरता क्यूं है//९ तेरी बेरुखी एवज बुझ गई"शमा" की सांसे तमाम, के तू अब इस बुझी शम्अ को जलाता क्यूं है//१० #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#shamawritesBebaak #writersofindia #love_shayari #Light  White निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर
है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१

है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है,
इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२

जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके,तो
अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३

वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं,
इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४

इश्क़ और मुश्क़ मे मुब्तला होना बुरी लत तो नहीं है,
जो वाकिफ है तुझसे फिर उनसे छुपाता क्यूं है//५

अब राह-ए-इश्क़ में तेरे कदम लरजते क्यूं है,
रखता है चश्म तो फिर नजर को बचाता क्यूं है//६

ताउम्र लोगो के ऐब तलाशने वाले तू उगली उठाता क्यु है ,
जरा अपनी गरेबाँ को तो देख तु,इसे-मुझसे छुपाता क्यूं है//७

ऐ सौदागर ए इश्क़ हम तेरे कुछ नहीं,फिर इतना
बता तू देखके मुझको तिरे ज़हन मे लाता क्यूं है//८

इश्क़ मे एक दिल ही तो मख्सूस होता है,इस 
मुखलिसी को तू हरेक शख्स मे ढूंढता फिरता क्यूं है//९

तेरी बेरुखी एवज बुझ गई"शमा" की सांसे तमाम,
के तू अब इस बुझी शम्अ को जलाता क्यूं है//१०
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#love_shayari निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१ है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-द

25 Love

न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत काफी है, आराम नहीं, बस राहत काफी है। सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ, खाली पेट को बस बरकत काफी है। न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी, बस इंसान की भूख मिट जाए। जिंदगी की असली हकीकत यही, कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज,
भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए।
दो वक्त की सिर्फ रोटी,
या थोड़ा सा अनाज चाहिए।

महल नहीं, एक छत काफी है,
आराम नहीं, बस राहत काफी है।
सुकून की तलाश में भटक रहा हूँ,
खाली पेट को बस बरकत काफी है।

न शानो-शौकत, न चाहत बड़ी,
बस इंसान की भूख मिट जाए।
जिंदगी की असली हकीकत यही,
कि पेट भरे, तो सुकून आ जाए।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर न चाहिए कोई ताज, न तख्त-ओ-ताज, भूख लगी है, नहीं ख्वाब चाहिए। दो वक्त की सिर्फ रोटी, या थोड़ा सा अनाज चाहिए। महल नहीं, एक छत का

11 Love

#अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️ #दयावान #शायरी

#दयावान मुझे नहीं चाहिए धन और दौलत,महल अटारी मेरे कोई काम नहीं मुझे इंसान चाहिए किसी का अहसान नहीं ईमान निभा सको पर सच्चा मेहरबान वही

99 View

Unsplash मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है.. पर तेरे महल से खिड़की नज़र नहीं आती.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY

#मेरी  Unsplash मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है..

पर तेरे महल से खिड़की नज़र नहीं आती..

यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY

#मेरी खिड़की से तेरा महल नज़र आता है...

12 Love

जो लोग गए कब आए हैं बस याद के बादल छाए हैं आवाज़ ग़मों में फ़ौत हुई अल्फ़ाज़ बहुत मुरझाए हैं इक राजकुमारी टूट गई वो ज़ुल्म महल ने ढाए हैं

189 View

White पल्लव की डायरी दीपक के जैसे दिल जलते अब दिया तले अंधेरा है मन रोज मारते अपने हम सब दिवालो जैसा हाल है फलता फूलता पूँजी वाद अथाह सागर धन का चंद लोगो के पास है ईर्ष्या घृणा नही उनसे मगर हमारे छोटे संसाधन व्यापारो पर कब्जा उन रहीशजादो का है आटे दूध नमक चिप्पस के बल पर फूलते वे सब धिक्कार उनकी काबलियत पर है एक एक बूँद शहीद हो गयी अंध विकास की घर घर हमारे फूक डाले दिल दुखाकर जनता के, रोशन नही महल होने वाले प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #happy_diwali  White पल्लव की डायरी
दीपक के जैसे दिल जलते अब
दिया तले अंधेरा है
मन रोज मारते अपने हम सब
दिवालो जैसा हाल है
फलता फूलता पूँजी वाद 
अथाह सागर धन का चंद लोगो के पास है
ईर्ष्या घृणा नही उनसे
मगर हमारे छोटे संसाधन व्यापारो पर
कब्जा उन रहीशजादो का है
आटे दूध नमक चिप्पस के बल पर फूलते वे सब
धिक्कार उनकी काबलियत पर है
एक एक बूँद शहीद हो गयी अंध विकास की
घर घर हमारे फूक डाले
दिल दुखाकर जनता के,
रोशन नही महल होने वाले
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#happy_diwali रोशन नही महल होने वाले है

23 Love

White निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१ है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है, इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२ जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके,तो अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३ वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं, इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४ इश्क़ और मुश्क़ मे मुब्तला होना बुरी लत तो नहीं है, जो वाकिफ है तुझसे फिर उनसे छुपाता क्यूं है//५ अब राह-ए-इश्क़ में तेरे कदम लरजते क्यूं है, रखता है चश्म तो फिर नजर को बचाता क्यूं है//६ ताउम्र लोगो के ऐब तलाशने वाले तू उगली उठाता क्यु है , जरा अपनी गरेबाँ को तो देख तु,इसे-मुझसे छुपाता क्यूं है//७ ऐ सौदागर ए इश्क़ हम तेरे कुछ नहीं,फिर इतना बता तू देखके मुझको तिरे ज़हन मे लाता क्यूं है//८ इश्क़ मे एक दिल ही तो मख्सूस होता है,इस मुखलिसी को तू हरेक शख्स मे ढूंढता फिरता क्यूं है//९ तेरी बेरुखी एवज बुझ गई"शमा" की सांसे तमाम, के तू अब इस बुझी शम्अ को जलाता क्यूं है//१० #shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#shamawritesBebaak #writersofindia #love_shayari #Light  White निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर
है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१

है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-दूजे को बताता क्यूं है,
इश्क मे मेरी जाँ फिर दस्त बढ़ाता क्यूं है//२

जब हासिलें कुव्वत के भी हासिल न कर सके,तो
अब जीत के हारी हुई बाज़ी पर पछताता क्यूं है//३

वसवसों के खाली-पीली महल बनाता क्यूं हैं,
इस मानिंद तेरे ही इश्क़ को आजमाता क्यूं हैँ//४

इश्क़ और मुश्क़ मे मुब्तला होना बुरी लत तो नहीं है,
जो वाकिफ है तुझसे फिर उनसे छुपाता क्यूं है//५

अब राह-ए-इश्क़ में तेरे कदम लरजते क्यूं है,
रखता है चश्म तो फिर नजर को बचाता क्यूं है//६

ताउम्र लोगो के ऐब तलाशने वाले तू उगली उठाता क्यु है ,
जरा अपनी गरेबाँ को तो देख तु,इसे-मुझसे छुपाता क्यूं है//७

ऐ सौदागर ए इश्क़ हम तेरे कुछ नहीं,फिर इतना
बता तू देखके मुझको तिरे ज़हन मे लाता क्यूं है//८

इश्क़ मे एक दिल ही तो मख्सूस होता है,इस 
मुखलिसी को तू हरेक शख्स मे ढूंढता फिरता क्यूं है//९

तेरी बेरुखी एवज बुझ गई"शमा" की सांसे तमाम,
के तू अब इस बुझी शम्अ को जलाता क्यूं है//१०
#shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#love_shayari निगाह मे बसी उस तस्वीर को चूमता क्यूं है,गर है हिम्मत तो निकाह से तू जी चुराता क्यूं है//१ है डर बदनामी का,तो बात दिल की इक-द

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