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New लपेटे में नेताजी कवि सम्मेलन Status, Photo, Video

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#भक्ति  रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

81 View

#वीडियो

अखिल भारतीय सुंडी समाज सम्मेलन की तैयारी जोरों पर l सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने का प्रयास l Chhattisgarh

144 View

््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर 11,00 ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये, शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,, वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ्् भावचित्र ्् आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,, अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।। ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,, समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।। और अपने आप में ,, कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।। वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,, खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌। रब के मुलाज़िमों में,, वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 29,, नवम्बर,2024 ©Shailendra Anand

#शायरी  ््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024
वार,, शुक्रवार
समय दोपहर 11,00
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये,
शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,,
वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता 
जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ््
भावचित्र ््
आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,,
अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।।
 ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,,
 समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।।
और अपने आप में ,,
कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।।
वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,,
 खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌।
 रब के मुलाज़िमों में,,
 वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।।
               ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
29,, नवम्बर,2024

©Shailendra Anand

लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद

11 Love

#फ़िल्म

अखिल भारतीय सुंडी समाज सम्मेलन जनवरी में l Chhattisgarh

90 View

White रचना दिनांक ्19््10््2024्् वार ््शनिवार ् समय सुबह ्््पांच बजे ्् ्््निजविचार ्् ्््भावचित्र ्््् ्््शीर्षक ््् ्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में ,, चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले , करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ््् झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं , जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।। महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर , चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,, मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत , चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में , सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि , मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई , चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।। प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,, नमन वन्दंनीय ््् भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।। जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में, मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।। हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,, मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में, प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में, मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।। अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,, जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 19,,,10,,2024्् ©Shailendra Anand

#karwachouth #लव  White रचना दिनांक ्19््10््2024््
वार ््शनिवार ्
समय सुबह ्््पांच बजे ््
्््निजविचार ््
्््भावचित्र ््््
्््शीर्षक ्््
्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में  ,,
चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले ,
करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ्््

झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं ,
जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।।
महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर ,
चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,,
मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत ,
चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में ,
सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि ,
मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई ,
चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।।
 प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,,
 नमन वन्दंनीय ्््
भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।।
जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में,
 मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।।
 हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी 
अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,,
मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में,
 प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में,
 मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।।
 अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,,
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
19,,,10,,2024््

©Shailendra Anand

#karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद

14 Love

#भक्ति  रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,रचना दिनांक 30,, नवम्बर,,2024
वार   शनिवार
समय। सुबह   पांच   बजे 
्््भावचित्र ्््
्््निज विचार ्््
्््शीर्षक ्््
््््देश धर्म राष्ट्र कर्म ही पूजा और संविधान है,,
जो जाति धर्म संप्रदाय वर्णाश्रम से सबको बांधकर रखें ,
 वो हम में सबमें अनूठा प्रभावी रुतबा कायम दीप प्रज्जवलित करके,
 शहीदों की कूरबानियों का आयना नज़रिया सहज महज़ एक जीवंत,
देशभक्ति गीत संविधान धर्म कर्म है ्््                 ््भावचित्र ््


                    ््निज विचार ््
माना कि मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर दे सकता हूं कि आप अपने विचार रखे ताकि सही रूप से जीवन पद्धति में आचार विचार व्यक्तित्व में निखार आता रहे,,
व्यक्ति मैं जिंदगी में व्यवहार में सहजता सरलता विनम़ता में कहीं ना कहीं परम्परागत रूप से अनुवांशिकी गुणात्मक परिवर्तन हर समाज में सभ्यता संस्कृति और इतिहास पुराण में तदसमयाअनुसार तदकालीनराज्य के राजवंश में एक मानसिकता से सजाया गया सत्ता पर काबिज लोगों में समसामयिक घटनाचक्र से और लेखक और कथाकार सजीव चित्रण में राजाओं और उनके परिवार या फिर सिपाहसालारों का इतिहास जरुर उदघृत किया गया हो सकता है।।1।।
तब जो भी व्यक्ति अपनी अजब गजब अनौखा सवाल उठाने वाले प्रश्न प्रतिप्रश्न में जान की जोखिम में डालकर मृत्युदण्ड तक दे दिया जाता था,,
 पहले इन्सान को बोलने की आजादी नहीं रहती थी।।2।।
हर युग में आम से खास मुलाकात प्रतिभा को निखारना स्वयं को अग्नि परीक्षा देते हुए की महापूरुष ने समाज सभ्यता संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में नजर आ रही बदलाव कुरीतियों पर सदैव तत्पर रहते हुए अंकूश लगाना का प्रबल प्रभाव से सजाया गया है,,
,,यह एक ऐसा सवाल पूछा गयाहैजाति,धर्म,कर्म आधारित मापदण्ड से व्यक्ति अपनी दिशा आत्मप्रेम आत्मसात कर कुछ लगन से अलग से जीवन व्यतीत करते हुए समाज सभ्यता संस्कृति को दिशा देने वाला सदैव महापुरुष जाति बंधन मुक्त रहा है ।।3।।
सकल मानव समाज सभ्यता के लिए सम्पूर्ण जीवन में एक स्वर पुकार नाद प्रेम से अन्तर्मन केपरिद़ष्य सम्मान किया गया है,,
यह माना कि कुछ लोग अवश्य शासन में शामिल लोगों ने जातियों पर आधारित अत्याचार से यातना पीड़ित रहे होंगे किन्तु परन्तु करने वाले अच्छे लगते नहीं है सच तो सच्चाई है।।
 तो देश दुनिया सुनती हैं।।4।।
  पहले इन्सान बनाया मानव जीवन में
,, नरऔर नारी हैतो यह दुनिया में एक निशानी है,,
 तो जाति धर्म भाषा की बात बईमानी है।।5।।
आज विश्व में सबसे विश्वसनीय और मुमकिन है,, जो धरती पर साकार लोक में पहुंच गई है।।6।।
जन जन में जनमत सर्वेक्षण ज्ञान, दर्शन, विचार, विज्ञान, प्रेम और तकनीकी धमाल ने विश्व में तहलका मचाने वाली अग्नि परीक्षा हौड कुटनीतिज्ञ में मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता करो,कार्रवाई दण्ड प्रक्रिया संहिता में कहा है,, काल से लेकर आज तक जनजीवन प्रभावित हुआ है सिर्फ भाग्य में लिखा गया जिसे हम अनुसरण करें जनसेवा ही मानव सेवा है।।7।।
आज हम दिलों से ही इस दुनिया में सबसे विश्वसनीय है तो देश में अवाम में खुशहाली आती है संविधान से सजाया गया है,,
वह हिन्दूस्तान सर्व धर्म समभाव निष्ठ विचार से ही पंथनिरपेक्ष धर्मनिरपेक्ष देश भारत प्रजातांत्रिक देश है जहां चाह वहां राह दिखाने वाले इस पैगाम लेकर चलते रहो जमाने में क्या रखा है।।8।।
           ््कवि शैलेंद्र आनंद ््
30,, नवम्बर,,2024,,

©Shailendra Anand

Hinduism््देशभक्तिऔर संविधान में न्याय निष्ठा ही मानव धर्म कर्म है ्् कवि शैलेंद्र आनंद

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#वीडियो

अखिल भारतीय सुंडी समाज सम्मेलन की तैयारी जोरों पर l सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाने का प्रयास l Chhattisgarh

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््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024 वार,, शुक्रवार समय दोपहर 11,00 ््निज विचार ्् ््शीर्षक ्् ््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये, शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,, वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ्् भावचित्र ्् आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,, अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।। ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,, समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।। और अपने आप में ,, कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।। वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,, खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌। रब के मुलाज़िमों में,, वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।। ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ्् 29,, नवम्बर,2024 ©Shailendra Anand

#शायरी  ््रचनादिनाक ,29,, नवम्बर,,2024
वार,, शुक्रवार
समय दोपहर 11,00
््निज विचार ््
््शीर्षक ््
््लफ्ज़ निकले ध्वनि स्वर पुकार में मुखर हो गये,
शायर और शायरा कवियत्री के अल्फाज़ नगीना में,,
वो लफ्जो में दर्द नज़्म,ग़ज़ल, शायरी से इल्म का मक्ता 
जेहन से निकले, वो लफ्जो में मेरे रच बस गया ््
भावचित्र ््
आपके लफ्ज़ निकले मुखर हो गये ््नज्म, ग़ज़ल ्,शायरी, से ,,
अपने इल्म का मक्ता जेहन से निकले वो दर्द का जूनून इस दिल में रच बस गया।।1।।
 ,वो््भावचित्र सेनयन सजल नेत्रों में झलक उठें,,
 समझो दिल के दरवाजे पर दस्तक हुई,।।2।।
और अपने आप में ,,
कोई बदलाव रिश्ते में तब्दील हो ।।3।।
वो रिश्ता क्या कहलाता है यही इस मुहब्बत के लिये,,
 खुद ही जिंदगी में इन्सान से,प्रेम करते हुए।।4।‌।
 रब के मुलाज़िमों में,,
 वो शिरकत करने वाले हो जाते है ।।5।।
               ््कवि््शैलेन्द़ आनंद ््
29,, नवम्बर,2024

©Shailendra Anand

लव शायरी हिंदी में कवि शैलेंद्र आनंद

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#फ़िल्म

अखिल भारतीय सुंडी समाज सम्मेलन जनवरी में l Chhattisgarh

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White रचना दिनांक ्19््10््2024्् वार ््शनिवार ् समय सुबह ्््पांच बजे ्् ्््निजविचार ्् ्््भावचित्र ्््् ्््शीर्षक ््् ्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में ,, चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले , करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ््् झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं , जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।। महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर , चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,, मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत , चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में , सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि , मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई , चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।। प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,, नमन वन्दंनीय ््् भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।। जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में, मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।। हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।। यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,, मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में, प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।। चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में, मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।। अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,, जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 19,,,10,,2024्् ©Shailendra Anand

#karwachouth #लव  White रचना दिनांक ्19््10््2024््
वार ््शनिवार ्
समय सुबह ्््पांच बजे ््
्््निजविचार ््
्््भावचित्र ््््
्््शीर्षक ्््
्््भारतीय संस्कृति में समकालीन परिदृश्य में गुंथी हुई घटनाओं और परम्पराओं में  ,,
चंद्रमा से अपनी रूह में पति पत्नि परमेश्वर से दर्शन करने वाले ,
करवा पूजन चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी है ्््

झिलमिलाते वस्त्र धारण करना और अपने आप में कुछ सपने बुनते हैं ,
जो खून से लथपथ हो प्यारा सा जीवन में एक दर्शन करने वाले चंन्द् माहौल में मस्त रहते हैं ।।
महिलाएं ही जिंदगी में पतिवृता वृत करने वाली करवा चतुर्थी व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी पर ,
चंद्र दर्शन करने वाले दर्शन में पति का स्वरूप में आंखें खोल कर देखें रही ,,
मनोकामनी दृश्य दृष्टि दृष्टिकोण से सजाया गया जिसे हम कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी व्रत ,
चन्द्रोदय व्यापिनी से अपनी रूह को कंपकंपा देने वाली अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में ,
सिर्फ त्वमेव त्वमेव विद्या से पति और पत्नी दोनों के प्रेम शब्द से जन्मा विचार ही सुन्दर छबि ,
मनोमय प्यारी सी मुस्कान होंठ रख कर मधुर मुस्कान मन्द अधर में लटकी हुई ,
चन्द्रोदय में जीवन यापन कर रही है प्रेम शब्द में प्राणपण लफ्ज़ में समा गई है।।
 प्रेम की अन्तिम समर्पित करिष्यामि,,
 नमन वन्दंनीय ्््
भावचित्र छबि ही सुन्दर और सार्थक और सारगर्भित आलेख में जीवन जरूरी है।।
जो धरती पर साकार लोक में दर्शन भारतीय जनजीवन में कलासाहित्य में,
 मानसिक रूप से धार्मिक तर्क कथन, कथा साहित्य कोश किंवदंतियां प्रचलित है।।
 हमारे समाज सभ्यता संस्कृति में, समकालीन परिदृश्य में नजर आएंगी 
अदृश्य शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
यही सच्चाई देखकर सहसा रुक गई तस्वीर छपी ,,
मेरे दिल के दरवाजे मन दर्पण दर्शन प्रेम में अटूट आस्था रिश्ते में,
 प्यार हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है।।
चित्र मानस में शास्त्र में प्रकाशवान में एक जीवंत प्रयास कला संस्कृति में गुंथी हुई धुन में,
 मगन मस्त प्यारा सा जीवन है।।
 अमृत बरसाता है प्रेम शब्द ही जिन्दगी में पहली से आखिरी सांस तक चलायमान है ,,
जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर छबि है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
19,,,10,,2024््

©Shailendra Anand

#karwachouth Extraterrestrial life ््भावचित्र ््््् में एक जीवंत कलाकृति होती है धन्यवाद् कवि शैलेंद्र आनंद

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