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White यह कुछ ऐसा ही ‌है जैसे घी तोलते घी पी लेते हैं हाथ साथ रहते - रहते बन जाती है बात। जैसे पतझड़ में अनयास पतों की बरसात बरसात में भीगकर आती गर्माहट की बात। जैसे अंधेरे में रहते अनपढ़ के उद्गार अक्षर के प्रकाश से खोल देते नये द्वार।। हां यह कुछ ऐसा ही ‌है जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब याद आती लेखक की बात बात से ही निकलती बात पूछ बैठते खुद से ही औकात। यह कुछ ऐसा ही ‌है जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर खुद को भी देखते हैं उस जहां करने लगते हैं खुद से बातें शायद यही है कवि का कारवां।। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  White यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जैसे घी तोलते 
घी पी लेते हैं हाथ
साथ रहते - रहते
बन जाती है बात। 

जैसे पतझड़ में अनयास 
पतों की बरसात
बरसात में भीगकर
आती गर्माहट की बात। 

जैसे अंधेरे में रहते
अनपढ़ के उद्गार
अक्षर के प्रकाश से 
खोल देते नये द्वार।।

हां यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब
याद आती लेखक की बात
बात से ही निकलती बात
पूछ बैठते खुद से ही औकात। 

यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर 
खुद को भी देखते हैं उस जहां 
करने लगते हैं खुद से बातें 
शायद यही है कवि का कारवां।।

©Mohan Sardarshahari

# कवि का कारवां

14 Love

रचना दिनांक 12 फरवरी 2025 वार बुधवार समय सुबह दस बजे भावचित्र ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््सागर की लहर सा जीवन है जो धरती पर साकार लोक में, फूलों सा नाजुक कोपल पत्तियों से कोमलता से अपनी रूह में खोकर सपनो में खो गई परिणीती प्रेम का मंथन चिन्तन मनन प्रेमी और प्रेमिका के निर्णायक मौड पर जिंदगी को पढ़कर आनंद ले रहे प्रस्ताव दिवस, बाराह, 12 फरवरी 2025 मंगलमय हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है ्् नीले आसमान और धरती पर साकार लोक में हरियाली और रास्ता मिलते हैं,, लेकिन सूखद परिणाम जल और वायु जैसा बोओगे वैसा ही जिंदगी में पायगे,,।। स्वप्न मेरे बुलबुले हैं जो जीना चाहता है औरअपनी दिशा में , खुद बखूदआनेवाली पीढ़ी दर पे दर,, सजल नयन अश्रुजल बह निकले। यादो में समाया हुआ जो प्रेम शब्द है जो कि अपने आप में कुछ अपने से सवाल पूछे और उत्तर भी इन्सानी मानस से खुद का पीछा नहीं छोड़ती दिखी नहीं ख्याल रखना सिर्फ त्वमेव त्वमेव प्रेम ही जिंदगी है।। धोखा चौखा मौका सब कुछ मोत से भी बद्तर है, जलालत भरी नज़रों से जिंदगी हर हाल में नज़रें मिला नहीं सकते हैं। समझ बुझकर ले निर्णय, यह निर्णय ,पसंद नापसंद ही सब कुछ हाजिर नाजिर प्रेम शब्द का भाव बिन्दु मन में एक स्वर पुकार ही जिंदगी है।। यही सही अर्थों में अक्ल शक्ल बदली और अपने विचार का मंथन चिन्तन वार्ता संवाद में मूलभूत ईश वंदना प्रेयर प्रार्थना नमन वन्दंनीय ्््भावचित्र सिर्फ सिर्फ एकमेव निर्राकार आकारहीन प्रेम ही सत्य ईश्वर सत्य है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 12 फरवरी 2025,, ©Shailendra Anand

#लव  रचना दिनांक 12 फरवरी 2025
वार  बुधवार
समय सुबह दस बजे
 भावचित्र 
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््सागर की लहर सा जीवन है जो धरती पर साकार लोक में,
 फूलों सा नाजुक कोपल पत्तियों से कोमलता से अपनी रूह में खोकर
 सपनो में खो गई परिणीती प्रेम का मंथन चिन्तन मनन प्रेमी और प्रेमिका के 
निर्णायक मौड पर जिंदगी को पढ़कर आनंद ले रहे 
प्रस्ताव दिवस, बाराह,  12 फरवरी 2025 मंगलमय हो 
प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है ््
नीले आसमान और धरती पर साकार लोक में हरियाली और रास्ता मिलते हैं,,
 लेकिन सूखद परिणाम जल और वायु जैसा बोओगे वैसा ही जिंदगी में पायगे,,।।
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं जो जीना चाहता है औरअपनी दिशा में ,
खुद बखूदआनेवाली पीढ़ी दर पे दर,, सजल नयन अश्रुजल बह निकले।
 यादो में समाया हुआ जो प्रेम शब्द है जो कि अपने आप में कुछ अपने से सवाल पूछे और उत्तर भी इन्सानी मानस से खुद का पीछा नहीं छोड़ती दिखी नहीं ख्याल रखना सिर्फ त्वमेव त्वमेव प्रेम ही जिंदगी है।।
 धोखा चौखा मौका सब कुछ मोत से भी बद्तर है,
 जलालत भरी नज़रों से जिंदगी हर हाल में नज़रें मिला नहीं सकते हैं।
समझ बुझकर ले निर्णय, यह निर्णय ,पसंद नापसंद ही
 सब कुछ हाजिर नाजिर प्रेम शब्द का भाव बिन्दु मन में एक स्वर पुकार ही जिंदगी है।।
यही सही अर्थों में अक्ल शक्ल बदली और अपने विचार का 
मंथन चिन्तन वार्ता संवाद में मूलभूत ईश वंदना प्रेयर प्रार्थना नमन वन्दंनीय 
्््भावचित्र सिर्फ सिर्फ एकमेव निर्राकार आकारहीन प्रेम ही सत्य ईश्वर सत्य है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
12 फरवरी 2025,,

©Shailendra Anand

लव स्टेटस लव शायरी हिंदी में शायरी लव रोमांटिक Extraterrestrial life Entrance examination कवि शैलेंद्र आनंद

14 Love

Unsplash विधा-दोहा छंद नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान। सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।। जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान। जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।। गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ। जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।। रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय। गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।। करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार। सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#साहित्य #विचार #दोहा #कवि #Friend  Unsplash 
विधा-दोहा छंद 

नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान।
सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।।

जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान।
जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।।

गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ।
जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।।

रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय।
गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।।

करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार।
सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

लाइक कमेंट करें ©BABA

#कविता  लाइक कमेंट करें

©BABA

कवि

15 Love

दर्द को सहना पल पल दीवानों का काम है, कमजोरों का नहीं, शब्दों से धरा में कंपन कराना कवियों का काम है, अकवियों का नहीं! .... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey

#beingoriginal #nojotohindi  दर्द को सहना पल पल दीवानों का काम है, कमजोरों का नहीं,
शब्दों से धरा में कंपन कराना कवियों का काम है, अकवियों का नहीं! 
.... Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey

कवि का दर्द.. #beingoriginal #nojotohindi

16 Love

रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand

#भक्ति  रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

White यह कुछ ऐसा ही ‌है जैसे घी तोलते घी पी लेते हैं हाथ साथ रहते - रहते बन जाती है बात। जैसे पतझड़ में अनयास पतों की बरसात बरसात में भीगकर आती गर्माहट की बात। जैसे अंधेरे में रहते अनपढ़ के उद्गार अक्षर के प्रकाश से खोल देते नये द्वार।। हां यह कुछ ऐसा ही ‌है जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब याद आती लेखक की बात बात से ही निकलती बात पूछ बैठते खुद से ही औकात। यह कुछ ऐसा ही ‌है जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर खुद को भी देखते हैं उस जहां करने लगते हैं खुद से बातें शायद यही है कवि का कारवां।। ©Mohan Sardarshahari

#कविता  White यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जैसे घी तोलते 
घी पी लेते हैं हाथ
साथ रहते - रहते
बन जाती है बात। 

जैसे पतझड़ में अनयास 
पतों की बरसात
बरसात में भीगकर
आती गर्माहट की बात। 

जैसे अंधेरे में रहते
अनपढ़ के उद्गार
अक्षर के प्रकाश से 
खोल देते नये द्वार।।

हां यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जैसे पढ़ते - पढ़ते कोई किताब
याद आती लेखक की बात
बात से ही निकलती बात
पूछ बैठते खुद से ही औकात। 

यह कुछ ऐसा ही ‌है 
जब पढ़ते हैं हम कोई तहरीर 
खुद को भी देखते हैं उस जहां 
करने लगते हैं खुद से बातें 
शायद यही है कवि का कारवां।।

©Mohan Sardarshahari

# कवि का कारवां

14 Love

रचना दिनांक 12 फरवरी 2025 वार बुधवार समय सुबह दस बजे भावचित्र ्निज विचार ् ्शीर्षक ् ््सागर की लहर सा जीवन है जो धरती पर साकार लोक में, फूलों सा नाजुक कोपल पत्तियों से कोमलता से अपनी रूह में खोकर सपनो में खो गई परिणीती प्रेम का मंथन चिन्तन मनन प्रेमी और प्रेमिका के निर्णायक मौड पर जिंदगी को पढ़कर आनंद ले रहे प्रस्ताव दिवस, बाराह, 12 फरवरी 2025 मंगलमय हो प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है ्् नीले आसमान और धरती पर साकार लोक में हरियाली और रास्ता मिलते हैं,, लेकिन सूखद परिणाम जल और वायु जैसा बोओगे वैसा ही जिंदगी में पायगे,,।। स्वप्न मेरे बुलबुले हैं जो जीना चाहता है औरअपनी दिशा में , खुद बखूदआनेवाली पीढ़ी दर पे दर,, सजल नयन अश्रुजल बह निकले। यादो में समाया हुआ जो प्रेम शब्द है जो कि अपने आप में कुछ अपने से सवाल पूछे और उत्तर भी इन्सानी मानस से खुद का पीछा नहीं छोड़ती दिखी नहीं ख्याल रखना सिर्फ त्वमेव त्वमेव प्रेम ही जिंदगी है।। धोखा चौखा मौका सब कुछ मोत से भी बद्तर है, जलालत भरी नज़रों से जिंदगी हर हाल में नज़रें मिला नहीं सकते हैं। समझ बुझकर ले निर्णय, यह निर्णय ,पसंद नापसंद ही सब कुछ हाजिर नाजिर प्रेम शब्द का भाव बिन्दु मन में एक स्वर पुकार ही जिंदगी है।। यही सही अर्थों में अक्ल शक्ल बदली और अपने विचार का मंथन चिन्तन वार्ता संवाद में मूलभूत ईश वंदना प्रेयर प्रार्थना नमन वन्दंनीय ्््भावचित्र सिर्फ सिर्फ एकमेव निर्राकार आकारहीन प्रेम ही सत्य ईश्वर सत्य है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्् 12 फरवरी 2025,, ©Shailendra Anand

#लव  रचना दिनांक 12 फरवरी 2025
वार  बुधवार
समय सुबह दस बजे
 भावचित्र 
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
््सागर की लहर सा जीवन है जो धरती पर साकार लोक में,
 फूलों सा नाजुक कोपल पत्तियों से कोमलता से अपनी रूह में खोकर
 सपनो में खो गई परिणीती प्रेम का मंथन चिन्तन मनन प्रेमी और प्रेमिका के 
निर्णायक मौड पर जिंदगी को पढ़कर आनंद ले रहे 
प्रस्ताव दिवस, बाराह,  12 फरवरी 2025 मंगलमय हो 
प्यारा सा जीवन फूलों से सजाया गया है ््
नीले आसमान और धरती पर साकार लोक में हरियाली और रास्ता मिलते हैं,,
 लेकिन सूखद परिणाम जल और वायु जैसा बोओगे वैसा ही जिंदगी में पायगे,,।।
स्वप्न मेरे बुलबुले हैं जो जीना चाहता है औरअपनी दिशा में ,
खुद बखूदआनेवाली पीढ़ी दर पे दर,, सजल नयन अश्रुजल बह निकले।
 यादो में समाया हुआ जो प्रेम शब्द है जो कि अपने आप में कुछ अपने से सवाल पूछे और उत्तर भी इन्सानी मानस से खुद का पीछा नहीं छोड़ती दिखी नहीं ख्याल रखना सिर्फ त्वमेव त्वमेव प्रेम ही जिंदगी है।।
 धोखा चौखा मौका सब कुछ मोत से भी बद्तर है,
 जलालत भरी नज़रों से जिंदगी हर हाल में नज़रें मिला नहीं सकते हैं।
समझ बुझकर ले निर्णय, यह निर्णय ,पसंद नापसंद ही
 सब कुछ हाजिर नाजिर प्रेम शब्द का भाव बिन्दु मन में एक स्वर पुकार ही जिंदगी है।।
यही सही अर्थों में अक्ल शक्ल बदली और अपने विचार का 
मंथन चिन्तन वार्ता संवाद में मूलभूत ईश वंदना प्रेयर प्रार्थना नमन वन्दंनीय 
्््भावचित्र सिर्फ सिर्फ एकमेव निर्राकार आकारहीन प्रेम ही सत्य ईश्वर सत्य है।।
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
12 फरवरी 2025,,

©Shailendra Anand

लव स्टेटस लव शायरी हिंदी में शायरी लव रोमांटिक Extraterrestrial life Entrance examination कवि शैलेंद्र आनंद

14 Love

Unsplash विधा-दोहा छंद नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान। सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।। जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान। जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।। गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ। जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।। रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय। गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।। करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार। सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।। स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम" उन्नाव (उत्तर प्रदेश) ©Ramji Tiwari

#साहित्य #विचार #दोहा #कवि #Friend  Unsplash 
विधा-दोहा छंद 

नेट प्रमाण प्रदान कर, करते हैं सम्मान।
सहयोग राशि के रूप, लेते कवि से दान।।

जो देकर पैसा मिला,वह कैसा सम्मान।
जो धन देकर मान ले, नहीं है कवि महान।।

गाना आता है नहीं, करते कविता पाठ।
जो चोरी कविता पढ़ें, उनके हैं अब ठाठ।।

रचना पढ़ते हैं नहीं, देते सुन्दर राय।
गैरों की रचना कभी, तनिक नहीं मन भाय।।

करे सृजन अवहेलना,कैसा रचनाकार।
सच्चे लेखक के हृदय,बहे प्रेम रस धार।।

      स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                            उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari

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कवि

15 Love

दर्द को सहना पल पल दीवानों का काम है, कमजोरों का नहीं, शब्दों से धरा में कंपन कराना कवियों का काम है, अकवियों का नहीं! .... Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey

#beingoriginal #nojotohindi  दर्द को सहना पल पल दीवानों का काम है, कमजोरों का नहीं,
शब्दों से धरा में कंपन कराना कवियों का काम है, अकवियों का नहीं! 
.... Er. Himanshu Pandey

©Kavi Himanshu Pandey

कवि का दर्द.. #beingoriginal #nojotohindi

16 Love

रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024 वार शनिवार समय सुबह पांच बजे ््भावचित्र ्् ््निज विचार ्् ्शीर्षक ् ््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,, जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ्् ्््् नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को, हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।। यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,, खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है, रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।। , जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।। जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,, जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।। तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,, प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।। ्कवि शैलेंद्र आनंद 7,, दिसंबर,,2024,, ©Shailendra Anand

#भक्ति  रचनादिनांक,,7,, नवम्बर,,2024
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ््
््निज विचार ््
्शीर्षक ्
््छाया चित्र में सृष्टि सृजन में एक नज़र में समभाव निष्ठ विचार
 ऐकत्व एकमेव नियती संसार जगत है,,
जींव जंन्तु जीवन में एक सूर्य चंद्र दर्शन सपनो में प्यार प्रेम और विश्वास जगत पिता त्वमेव विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य ज्योति प्रकट हो प्यारा हिंदुस्तान हमारा है ््
््््
नज़र ही नजर में एक बार की जिंदगी को,  
हमेशा के लिए सम्पूर्ण भारत प्रजातांत्रिक देश की व्यवस्था बेहतर बनाने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है।।
 यही नजारा देखता हूं जो नज़र और नजरिया समझ कर खैला ही सुन्दर पल अनमोल घड़ी विलक्षण प्रतिभा को निखारना स्वयं को परखना तन मन को शांति प्रदान करे,,
 खोटा सिक्का चलता नहीं है,राम नाम सुखदाई है,
 रावण उसका सबसे बड़ा कारण मजमा लगाकर भोलेनाथ को प्रसन्न कर मदारी बनाकर अयोध्या में जन्म दिवस मंगलमय हो ऐसा खैला रावण ही कर सकता है।।
, जो हर कोई ओर कर भी नहीं सकता था,, 
जो सेतुबंधेश्वररामेश्वरं में जो पंण्डित आचार्य दशानन रावण ही यजमान से दक्षिणा में वो सब लेता है।।
 जो धरती पर साकार लोक में अपना और अपने वंश का कल्याण ही जग में जगदीश्वरी मां जानकी भुमिपुत्री से सजाया गया,,
 जिसे हम अच्छे ख्यालात से राम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम हैं ।।
तो दुनिया में रावण का भी इन्सानी मानस में शास्त्र में,,
 प्रकाशवान जो सुर्य तेज पुंज सम है।।
             ्कवि शैलेंद्र आनंद 
7,, दिसंबर,,2024,,

©Shailendra Anand

भक्ति सागर कवि शैलेंद्र आनंद

13 Love

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