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White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी, जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान। भाईचारे की भावना एक हस्ती थी, अब भाई को नहीं मिलता सम्मान। अब किराए का शहर छोड़कर, उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान। खो दिया है सबका अपमान कर, अब गैरों में ढूंढता है सम्मान। ये कैसा दौर चला है कलयुग का, देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान। मुकर जाता है एक मदद के नाम से, अभय से ना रखता है जान-पहचान। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #sad_qoute  White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो

15 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

126 View

वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

14 Love

#विचार

आज का विचार सुप्रभात Entrance examination आज का विचार

198 View

White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी, जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान। भाईचारे की भावना एक हस्ती थी, अब भाई को नहीं मिलता सम्मान। अब किराए का शहर छोड़कर, उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान। खो दिया है सबका अपमान कर, अब गैरों में ढूंढता है सम्मान। ये कैसा दौर चला है कलयुग का, देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान। मुकर जाता है एक मदद के नाम से, अभय से ना रखता है जान-पहचान। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#कविता #sad_qoute  White टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान,
जहां रहता था कभी सच्चा इंसान।
मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर,
कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान।

रीति वो पुरानी कितनी प्यारी थी,
जहां हफ्तों रुकता था हर मेहमान।
भाईचारे की भावना एक हस्ती थी,
अब भाई को नहीं मिलता सम्मान।

अब किराए का शहर छोड़कर,
उसी गांव में फिर से बस रहा इंसान।
खो दिया है सबका अपमान कर,
अब गैरों में ढूंढता है सम्मान।

ये कैसा दौर चला है कलयुग का,
देखकर भी कुछ न सीखता है इंसान।
मुकर जाता है एक मदद के नाम से,
अभय से ना रखता है जान-पहचान।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#sad_qoute टूटी खिड़कियाँ, वो कच्चा मकान, जहां रहता था कभी सच्चा इंसान। मॉडर्न के बेहकावे में हम आकर, कैसे शरीफ दिखाता झूठा इंसान। रीति वो

15 Love

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

कठिन उद्यमों से,मैंने जीवन की माटी ,सींची हैं तकदीरों के मस्तक पर मेहनत की ,रेखा खींची हैं जब जब घाव लगा हैं बढ़ने थोड़ी आंखें भींची हैं अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी ये दुनिया,कांच सरीखी हैं दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं रही धरा पर वास किए सभी कंटकों से जूझी स्वयं विजयश्री की हासिल नहीं कोई इक भी अखियां मेरे घावों पर भीगी हैं कठिन उद्यमों से,मैने जीवन की माटी,सींची हैं ©ashita pandey बेबाक़

#विचार #sad_quotes  कठिन उद्यमों से,मैंने
जीवन की माटी ,सींची हैं 
तकदीरों के मस्तक पर 
मेहनत की ,रेखा खींची हैं
जब जब घाव लगा हैं बढ़ने
थोड़ी आंखें भींची हैं 
अपनी ज़िद मैं लिए बड़ी
ये दुनिया,कांच सरीखी हैं
दिवास्वप्न मे लिप्त नहीं,मैं 
रही धरा पर वास किए
सभी कंटकों से जूझी
स्वयं विजयश्री की हासिल
नहीं कोई इक भी अखियां
मेरे घावों पर भीगी हैं
कठिन उद्यमों से,मैने
जीवन की माटी,सींची हैं

©ashita pandey  बेबाक़

#sad_quotes आज का विचार आज का विचार शुभ विचार

15 Love

#विचार

आज का विचार

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वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌। ©Dev

#शायरी  वो कर्ज़ हम चुका ना पाये। हम्हारा फ़र्ज़ हम निभा ना पायें।‌।

©Dev

दिल का अहसास

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