tags

New नमाजी सास बे नमाजी Status, Photo, Video

Find the latest Status about नमाजी सास बे नमाजी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about नमाजी सास बे नमाजी.

  • Latest
  • Popular
  • Video

White "Love 💕 "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है " ©Kulvant Kumar

#LOATips  White "Love 💕 
"बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो
इसका मुआवजा क्या है "

©Kulvant Kumar

#LOATips "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है

22 Love

पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है
काला चेहरा सत्ताधीशो का
अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है
बढ़ गया जोर जुर्म इनका
टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है
नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता
हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है
भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण
सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है
                                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल

25 Love

White रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभूति इत्यादि परंतु, गुजरते वक़्त के साथ बदलते गए मायने उपसर्ग 'बे' के इस अदने से अक्षर ने अपने अंदर समाहित किए अनगिनत अर्थ  'निठल्ला', आवारा, नकारा, कामचोर इत्यादि बन गयी विशेषता उपसर्ग 'बे' की इसी विशेषता ने आशाओं से भरे जीवन मे भर दी निराशाएं ©Bhupendra Rawat

#कविता #sad_dp  White रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग 
जोड़कर बनाया गया
एक नया शब्द, बेरोजगार
शुरुआत मे 'बे' अक्षर के
मायने थे, कुछ अलग
जैसे कि दिलासा, सहानूभूति इत्यादि
परंतु, गुजरते वक़्त के साथ
बदलते गए मायने
उपसर्ग 'बे' के
इस अदने से अक्षर ने
अपने अंदर समाहित किए
अनगिनत अर्थ
 'निठल्ला', आवारा, नकारा, कामचोर इत्यादि
बन गयी विशेषता उपसर्ग 'बे' की
इसी विशेषता ने
आशाओं से भरे जीवन मे
भर दी निराशाएं

©Bhupendra Rawat

#sad_dp रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभू

15 Love

बे-दखल चाहत हुई है, भावना आहत हुई है, प्रेम का मरहम लगाया, तब कहीं राहत हुई है, बेवज़ह बेचैन हो मन, समझ लो उल्फ़त हुई है, देखता हरबार मुड़कर, जब कोई आहट हुई है, ध्यान में बैठे हो जबसे, फिर कहां फ़ुर्सत हुई है, हो मनोरथ सिद्ध अपना, ऐसी कब किस्मत हुई है, मुस्कुराकर भूल जाना, अपनी तो आदत हुई है, याद तड़पाती है 'गुंजन', घर गये मुद्दत हुई है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बे  बे-दखल चाहत हुई है,
भावना  आहत  हुई है,

प्रेम का मरहम लगाया,
तब कहीं राहत  हुई है,

बेवज़ह  बेचैन  हो मन,
समझ लो उल्फ़त हुई है,

देखता  हरबार मुड़कर,
जब कोई आहट हुई है,

ध्यान में  बैठे हो जबसे,
फिर कहां फ़ुर्सत हुई है,

हो मनोरथ सिद्ध अपना,
ऐसी कब किस्मत हुई है,

मुस्कुराकर  भूल जाना,
अपनी तो आदत हुई है,

याद तड़पाती है 'गुंजन',
घर   गये   मुद्दत  हुई है,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#बे-दखल चाहत हुई है#

15 Love

#वीडियो

ऐसे सास अमरीका में ज़ोंबी शहर से मिलती है

117 View

#शायरी

😔✍🏿दुरी बे-शुमार थी🍂🍂

117 View

White "Love 💕 "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है " ©Kulvant Kumar

#LOATips  White "Love 💕 
"बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो
इसका मुआवजा क्या है "

©Kulvant Kumar

#LOATips "बे वजह की आदत है ये इश्क, इक उमर के बाद पूछो तो इसका मुआवजा क्या है

22 Love

पल्लव की डायरी एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है काला चेहरा सत्ताधीशो का अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है बढ़ गया जोर जुर्म इनका टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#कविता #Likho  पल्लव की डायरी
एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल
आजादी के दीवानो को ठुकराया जा रहा है
काला चेहरा सत्ताधीशो का
अंग्रेजो जैसा बर्ताव जनता से किया जा रहा है
बढ़ गया जोर जुर्म इनका
टेक्सो से भुखमरी का शिकार बनाया जा रहा है
नैतिकता संवेदना और सँविधान से ना इनका वास्ता
हठधर्मिता से देश चलाया जा रहा है
भगतसिंह सुभाष चन्द नेहरू अम्बेडकर सब गौण
सिर्फ वीर सावरकर का गुणगान किया जा रहा है
                                                    प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Likho एजेंडे के तहत महापुरुष भी बे दखल

25 Love

White रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभूति इत्यादि परंतु, गुजरते वक़्त के साथ बदलते गए मायने उपसर्ग 'बे' के इस अदने से अक्षर ने अपने अंदर समाहित किए अनगिनत अर्थ  'निठल्ला', आवारा, नकारा, कामचोर इत्यादि बन गयी विशेषता उपसर्ग 'बे' की इसी विशेषता ने आशाओं से भरे जीवन मे भर दी निराशाएं ©Bhupendra Rawat

#कविता #sad_dp  White रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग 
जोड़कर बनाया गया
एक नया शब्द, बेरोजगार
शुरुआत मे 'बे' अक्षर के
मायने थे, कुछ अलग
जैसे कि दिलासा, सहानूभूति इत्यादि
परंतु, गुजरते वक़्त के साथ
बदलते गए मायने
उपसर्ग 'बे' के
इस अदने से अक्षर ने
अपने अंदर समाहित किए
अनगिनत अर्थ
 'निठल्ला', आवारा, नकारा, कामचोर इत्यादि
बन गयी विशेषता उपसर्ग 'बे' की
इसी विशेषता ने
आशाओं से भरे जीवन मे
भर दी निराशाएं

©Bhupendra Rawat

#sad_dp रोजगार शब्द मे 'बे' उपसर्ग जोड़कर बनाया गया एक नया शब्द, बेरोजगार शुरुआत मे 'बे' अक्षर के मायने थे, कुछ अलग जैसे कि दिलासा, सहानूभू

15 Love

बे-दखल चाहत हुई है, भावना आहत हुई है, प्रेम का मरहम लगाया, तब कहीं राहत हुई है, बेवज़ह बेचैन हो मन, समझ लो उल्फ़त हुई है, देखता हरबार मुड़कर, जब कोई आहट हुई है, ध्यान में बैठे हो जबसे, फिर कहां फ़ुर्सत हुई है, हो मनोरथ सिद्ध अपना, ऐसी कब किस्मत हुई है, मुस्कुराकर भूल जाना, अपनी तो आदत हुई है, याद तड़पाती है 'गुंजन', घर गये मुद्दत हुई है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #बे  बे-दखल चाहत हुई है,
भावना  आहत  हुई है,

प्रेम का मरहम लगाया,
तब कहीं राहत  हुई है,

बेवज़ह  बेचैन  हो मन,
समझ लो उल्फ़त हुई है,

देखता  हरबार मुड़कर,
जब कोई आहट हुई है,

ध्यान में  बैठे हो जबसे,
फिर कहां फ़ुर्सत हुई है,

हो मनोरथ सिद्ध अपना,
ऐसी कब किस्मत हुई है,

मुस्कुराकर  भूल जाना,
अपनी तो आदत हुई है,

याद तड़पाती है 'गुंजन',
घर   गये   मुद्दत  हुई है,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#बे-दखल चाहत हुई है#

15 Love

#वीडियो

ऐसे सास अमरीका में ज़ोंबी शहर से मिलती है

117 View

#शायरी

😔✍🏿दुरी बे-शुमार थी🍂🍂

117 View

Trending Topic