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New तारे कब निकलेंगे Status, Photo, Video

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हे तारों की चित्रावली,मैंने हर तारे में,तुम्हारा जो चित्र बनाया है,उस आसमां में बैठा हुआ चांद,अपनी शर्माती पलकों से मुझे जो कहता है, वो सिर्फ़ तुम ही जानती हो...!!! ©Vivek

#कविता #तारे  हे तारों की चित्रावली,मैंने हर तारे में,तुम्हारा जो चित्र बनाया है,उस आसमां में बैठा हुआ चांद,अपनी शर्माती पलकों से मुझे जो कहता है, वो सिर्फ़ तुम ही जानती हो...!!!

©Vivek

Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora

 Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora

कब?

10 Love

ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश #कविता  ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी,
रहती मन की बात अधूरी,

भाग्य साथ देता तो होती,
मनोकामनाएं  सब   पूरी,

दीदावर मिल जाए सच्चा,
नर्गिस कभी न हो  बेनूरी,

लोग  मुकर जाते वादे से,
रहती होगी कुछ मज़बूरी,

मनचाहा मिल जाए कैसे,
क़िस्मत के हाथों में छूरी,

हरपा हुआ नहीं फल देता,
छल प्रपंच से  रखना दूरी,

जीवन सफ़ल बना देता है,
'गुंजन' श्रद्धा  और  सबूरी,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#

15 Love

हे तारों की चित्रावली,मैंने हर तारे में,तुम्हारा जो चित्र बनाया है,उस आसमां में बैठा हुआ चांद,अपनी शर्माती पलकों से मुझे जो कहता है, वो सिर्फ़ तुम ही जानती हो...!!! ©Vivek

#कविता #तारे  हे तारों की चित्रावली,मैंने हर तारे में,तुम्हारा जो चित्र बनाया है,उस आसमां में बैठा हुआ चांद,अपनी शर्माती पलकों से मुझे जो कहता है, वो सिर्फ़ तुम ही जानती हो...!!!

©Vivek

Unsplash मेरी बिगड़ेल चाहतो से मुझे राहत मिलेगी कब? मेरे शरारती स्वार्थी तत्व आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ? मेरा मौन चिल्लाना चाहता है युगो से आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब? ©Parasram Arora

 Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora

कब?

10 Love

ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी, रहती मन की बात अधूरी, भाग्य साथ देता तो होती, मनोकामनाएं सब पूरी, दीदावर मिल जाए सच्चा, नर्गिस कभी न हो बेनूरी, लोग मुकर जाते वादे से, रहती होगी कुछ मज़बूरी, मनचाहा मिल जाए कैसे, क़िस्मत के हाथों में छूरी, हरपा हुआ नहीं फल देता, छल प्रपंच से रखना दूरी, जीवन सफ़ल बना देता है, 'गुंजन' श्रद्धा और सबूरी, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश #कविता  ख़्वाहिश कब लेती मंज़ूरी,
रहती मन की बात अधूरी,

भाग्य साथ देता तो होती,
मनोकामनाएं  सब   पूरी,

दीदावर मिल जाए सच्चा,
नर्गिस कभी न हो  बेनूरी,

लोग  मुकर जाते वादे से,
रहती होगी कुछ मज़बूरी,

मनचाहा मिल जाए कैसे,
क़िस्मत के हाथों में छूरी,

हरपा हुआ नहीं फल देता,
छल प्रपंच से  रखना दूरी,

जीवन सफ़ल बना देता है,
'गुंजन' श्रद्धा  और  सबूरी,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#ख़्वाहिश कब लेती मंजूरी#

15 Love

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