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Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ डुंडा जा सकता है ©Parasram Arora

 Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

18 Love

शादी का सही अर्थ..

153 View

बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

14 Love

Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ डुंडा जा सकता है ©Parasram Arora

 Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora

अर्थ अनर्थ

18 Love

शादी का सही अर्थ..

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बचने की कोशिश करते हैं, सेवा से कितना डरते हैं, हरियाली रहती ना क़ायम, खिले फूल निश्चित झरते हैं, आसमान में उड़ने वाले, पांव जमीं पर ही धरते हैं, एक समय ठुकराए आकर, जीवन भर जिस पे मरते हैं, पछ्तावा रह जाता केवल, आंखों में आसूं भरते हैं, बुरे वक़्त में लाचारी वश, हालातों से ख़ुद लड़ते हैं, 'गुंजन' राम भरोसे जीवन, प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#कविता #प्रभु  बचने की कोशिश करते हैं,
सेवा  से  कितना  डरते  हैं,

हरियाली रहती ना क़ायम,
खिले फूल निश्चित झरते हैं,

आसमान  में  उड़ने  वाले,
पांव  जमीं पर ही धरते हैं,

एक समय ठुकराए आकर,
जीवन भर जिस पे मरते हैं,

पछ्तावा रह जाता केवल,
आंखों  में  आसूं  भरते  हैं,

बुरे वक़्त में  लाचारी वश,
हालातों से  ख़ुद  लड़ते हैं,

'गुंजन' राम भरोसे जीवन,
प्रभु पीड़ा  सबकी हरते हैं,
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

#प्रभु पीड़ा सबकी हरते हैं#

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