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पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI

#DesertWalk #Quotes  पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





.

©SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

12 Love

बेटी पर कविता #Love #Life #कविता #viral #शायरी हिंदी कविता

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#Videos

किसकी बेटी है हिन्दी?

495 View

संवारने को जन्म अपना दान कन्या का करते हो क्यों हत्या भ्रूण कन्या की दहेज में डरके करते हो पढ़ाते प्यार से बेटी परवाह तन - मन से करते हैं हो किसी की हवस में तुम बेटी क्यों न समझते हो ©Shiv Narayan Saxena

#relaxation  संवारने को जन्म अपना दान कन्या का करते हो 
क्यों हत्या भ्रूण कन्या की दहेज में डरके करते हो
पढ़ाते प्यार से बेटी परवाह तन - मन से करते हैं
हो किसी की हवस में तुम बेटी क्यों न समझते हो

©Shiv Narayan Saxena

#relaxation बेटी क्यों न समझते हो?

17 Love

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की पैसे के लालच में आज, साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने, बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की सहस्र जीवों का जीवन थी जो, इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण, जै बच जाए जान 'काटली' की पराया क्या जाने पीर 'काटली' की कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की . ©SANIR SINGNORI

#DesertWalk #Quotes  पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

पैसे के लालच में आज,
साहूकारों ने बेच दी मिट्टी 'काटली' की

 निकली थी वो तुम्हारी प्यास बुझाने,
 बुझा दी मानस ने राह 'काटली' की

सहस्र जीवों का जीवन थी जो,
इंसानों ने छीन ली सांसे 'काटली' की

अपनों ने काट दी जड़े 'सानिर' 
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की

सिर साँटें 'सानिर', तो भी सस्तो जाण,
जै  बच जाए जान 'काटली' की

पराया क्या जाने पीर 'काटली' की
कितनी हरी भरी थी वो धरा 'काटली' की





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©SANIR SINGNORI

#DesertWalk नदी बचाओ

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बेटी पर कविता #Love #Life #कविता #viral #शायरी हिंदी कविता

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किसकी बेटी है हिन्दी?

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संवारने को जन्म अपना दान कन्या का करते हो क्यों हत्या भ्रूण कन्या की दहेज में डरके करते हो पढ़ाते प्यार से बेटी परवाह तन - मन से करते हैं हो किसी की हवस में तुम बेटी क्यों न समझते हो ©Shiv Narayan Saxena

#relaxation  संवारने को जन्म अपना दान कन्या का करते हो 
क्यों हत्या भ्रूण कन्या की दहेज में डरके करते हो
पढ़ाते प्यार से बेटी परवाह तन - मन से करते हैं
हो किसी की हवस में तुम बेटी क्यों न समझते हो

©Shiv Narayan Saxena

#relaxation बेटी क्यों न समझते हो?

17 Love

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