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तेज़ हवाओ से पर्वत हिलेगा नही सुंदर भूमी पर कमल खिलेगा नही एक जैसी शक्ल के मिलेंगे बहुत  कोई दर्पण के जैसा मिलेगा नही  पुनीत कुमार नैनपुर ©punit shrivas

#कविता #talaash  तेज़ हवाओ से पर्वत हिलेगा नही

सुंदर भूमी पर कमल खिलेगा नही

एक जैसी शक्ल के मिलेंगे बहुत 

कोई दर्पण के जैसा मिलेगा नही 


पुनीत कुमार नैनपुर

©punit shrivas

#talaash देशभक्ति कविता कविता कोश मराठी कविता कविता बारिश पर कविता

13 Love

White शुभ रात्रि दिन ढलते ही अपनों को शुभ रात्रि कहतें हैं काम काज व भाग दौड़ से सभी थके रहतें हैं उड़ आयेगा चाँद गगन में झिलमिल झिलमिल तारे खुश को जाए तन मन उसका जो भी इन्हें निहारे किसी को अवशर मिला सुनहरा आज करेगा चोरी कोई निकला है निर्जन में बुला रही है गोरी किसी को मिठी नींद मिलेगी सुंदर सुंदर सपने बेखुद हमराही को लेगा आलिंगन में अपने ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #GoodNight  White  शुभ रात्रि

दिन ढलते ही अपनों को
शुभ रात्रि कहतें हैं
काम काज व भाग दौड़ से
सभी थके रहतें हैं

उड़ आयेगा चाँद गगन में
झिलमिल झिलमिल तारे
खुश को जाए तन मन उसका
जो भी इन्हें निहारे

किसी को अवशर मिला सुनहरा
आज करेगा चोरी
कोई निकला है निर्जन में
बुला रही है गोरी

किसी को मिठी नींद मिलेगी
सुंदर सुंदर सपने
बेखुद हमराही को  लेगा
आलिंगन में अपने

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#GoodNight प्यार पर कविता हिंदी कविता कविता प्रेम कविता

9 Love

तेज़ हवाओ से पर्वत हिलेगा नही सुंदर भूमी पर कमल खिलेगा नही एक जैसी शक्ल के मिलेंगे बहुत  कोई दर्पण के जैसा मिलेगा नही  पुनीत कुमार नैनपुर ©punit shrivas

#कविता #talaash  तेज़ हवाओ से पर्वत हिलेगा नही

सुंदर भूमी पर कमल खिलेगा नही

एक जैसी शक्ल के मिलेंगे बहुत 

कोई दर्पण के जैसा मिलेगा नही 


पुनीत कुमार नैनपुर

©punit shrivas

#talaash देशभक्ति कविता कविता कोश मराठी कविता कविता बारिश पर कविता

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White शुभ रात्रि दिन ढलते ही अपनों को शुभ रात्रि कहतें हैं काम काज व भाग दौड़ से सभी थके रहतें हैं उड़ आयेगा चाँद गगन में झिलमिल झिलमिल तारे खुश को जाए तन मन उसका जो भी इन्हें निहारे किसी को अवशर मिला सुनहरा आज करेगा चोरी कोई निकला है निर्जन में बुला रही है गोरी किसी को मिठी नींद मिलेगी सुंदर सुंदर सपने बेखुद हमराही को लेगा आलिंगन में अपने ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#कविता #GoodNight  White  शुभ रात्रि

दिन ढलते ही अपनों को
शुभ रात्रि कहतें हैं
काम काज व भाग दौड़ से
सभी थके रहतें हैं

उड़ आयेगा चाँद गगन में
झिलमिल झिलमिल तारे
खुश को जाए तन मन उसका
जो भी इन्हें निहारे

किसी को अवशर मिला सुनहरा
आज करेगा चोरी
कोई निकला है निर्जन में
बुला रही है गोरी

किसी को मिठी नींद मिलेगी
सुंदर सुंदर सपने
बेखुद हमराही को  लेगा
आलिंगन में अपने

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#GoodNight प्यार पर कविता हिंदी कविता कविता प्रेम कविता

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