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#कविता

जलते घर को देखने वालो।

108 View

मिटा सको तो मिटा दो मेरी हस्ती निकाल फेंको मुझे अपने घर से बाहर मगर कैसे जी सकोगे अपने दिल के बिना यार उसी घर में तो ,मै अपना घर बनाया हूं!!! . ©M.K Meet

#शायरी #घर  मिटा सको तो मिटा दो मेरी हस्ती
निकाल फेंको मुझे अपने घर से बाहर
मगर कैसे जी सकोगे अपने दिल के बिना 
 यार उसी घर में तो ,मै अपना घर बनाया हूं!!!


















.

©M.K Meet

#घर

23 Love

मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ ही घर की बुनियाद नहीं होते, ... ... माता–पिता, दादा–दादी आदि के अनगिनत सपने, मेहनत तथा प्यार भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।। ©Tara Chandra

#Quotes #घर #Home  मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ 
ही घर की बुनियाद नहीं होते, 
...
...
माता–पिता, दादा–दादी आदि के 
अनगिनत सपने, 
मेहनत तथा प्यार 
भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।।

©Tara Chandra

#Home #घर

13 Love

White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora

 White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora

घर परिवार

11 Love

White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता  White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

गुल हूं गुलशन का

12 Love

White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White घर - घर  में  होने  लगे,  नारी  का  सम्मान।
जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।।

नवरातों  के  बाद  जो,  मान  करै ना  कोय।
अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै  सोय।।

'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय।
हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।।

कण-कण उनका वास है,  सब  सांसों  में  वोहि।
छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।।

घर - घर  में  होने  लगे , जगराते  हरि  बोल।
हृदपट  भी  खुलनें  लगें , जै मां  जै मां बोल।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night घर-घर में होने लगे.....

14 Love

#कविता

जलते घर को देखने वालो।

108 View

मिटा सको तो मिटा दो मेरी हस्ती निकाल फेंको मुझे अपने घर से बाहर मगर कैसे जी सकोगे अपने दिल के बिना यार उसी घर में तो ,मै अपना घर बनाया हूं!!! . ©M.K Meet

#शायरी #घर  मिटा सको तो मिटा दो मेरी हस्ती
निकाल फेंको मुझे अपने घर से बाहर
मगर कैसे जी सकोगे अपने दिल के बिना 
 यार उसी घर में तो ,मै अपना घर बनाया हूं!!!


















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©M.K Meet

#घर

23 Love

मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ ही घर की बुनियाद नहीं होते, ... ... माता–पिता, दादा–दादी आदि के अनगिनत सपने, मेहनत तथा प्यार भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।। ©Tara Chandra

#Quotes #घर #Home  मात्र ईंट पत्थर आदि पदार्थ 
ही घर की बुनियाद नहीं होते, 
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माता–पिता, दादा–दादी आदि के 
अनगिनत सपने, 
मेहनत तथा प्यार 
भी बुनियाद का हिस्सा होते हैं।।

©Tara Chandra

#Home #घर

13 Love

White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora

 White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora

घर परिवार

11 Love

White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं, फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं। रहता तब भी साथ करुण कहानी में बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में। संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का, मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।। ~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया" मौलिक स्वरचित ©prem shanker noorpuriya

#कविता  White प्रेम का चुंबन बन मैं जगमगाता हूं,
फिर कहीं पन्नों में दबाया जाता हूं।
रहता तब भी साथ करुण कहानी में 
बिछड़ जाता अपना कोई रवानी में।
संदेश बन जाऊं तब मैं अनशन का,
मैं एक गुल हूं अपने गुलशन का।।
~ प्रेम शंकर "नूरपुरिया"
मौलिक स्वरचित

©prem shanker noorpuriya

गुल हूं गुलशन का

12 Love

White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena

#good_night  White घर - घर  में  होने  लगे,  नारी  का  सम्मान।
जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।।

नवरातों  के  बाद  जो,  मान  करै ना  कोय।
अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै  सोय।।

'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय।
हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।।

कण-कण उनका वास है,  सब  सांसों  में  वोहि।
छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।।

घर - घर  में  होने  लगे , जगराते  हरि  बोल।
हृदपट  भी  खुलनें  लगें , जै मां  जै मां बोल।।

©Shiv Narayan Saxena

#good_night घर-घर में होने लगे.....

14 Love

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