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New supne harf cheema Status, Photo, Video

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White हो रही राते बड़ी बस नींद को अब त्यागना है कुछ करने की ठान ली बस आपना वक्त फिर से लाना है की ये रातें के अंधेरों में जाग कर मेहनत करके एक नए जिंदगी कुछ पलों को और बेहतर बनना है ©MAHENDRA KUMAR

#विचार #life_lesson #Sad_Status #jindigi #newday  White हो रही राते बड़ी 
बस नींद को अब 
त्यागना है 
कुछ करने की ठान ली 
बस आपना वक्त 
फिर से लाना है 
 की ये रातें के अंधेरों 
में  जाग कर मेहनत करके 
एक नए जिंदगी 
कुछ पलों को 
और बेहतर बनना है

©MAHENDRA KUMAR

White दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए ©Andy Mann

#मोटिवेशनल #GoodMorning  White दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ
कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए

©Andy Mann

White मुझ को "फिक्र" है कैसे हो इलाज "ज़ख्मों" का, . हाथ "जल" गए जिनके, "मेरा" घर "जलाने" में..! ©Andy Mann

#शायरी #sad_quotes  White मुझ को "फिक्र" है कैसे हो इलाज "ज़ख्मों" का,
.
हाथ "जल" गए जिनके, "मेरा" घर "जलाने" में..!

©Andy Mann

White जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं: 1. अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी, मेरी भी। 2. मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा। 3. अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता। 4. अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी। 5. छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ। 6. जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ। 7. जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ। 8. बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ। 9. ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ। 10. जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है। अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है। हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी। देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊 ©Andy Mann

#मोटिवेशनल #GoodNight  White जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं:  
1. अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी, मेरी भी।  
2. मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा।  
3. अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता।  
4. अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी।  
5. छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ।  
6. जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ।  
7. जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ।  
8. बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ।  
9. ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ।  
10. जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है।  
अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है।  
हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है।  

आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी।  

देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊

©Andy Mann

मैं " पुरुष " हूँ मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ टूटता हूँ , बिखरता हूँ भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता पत्थर हो चुका क्योंकि मैं पुरुष हूँ मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का तिनका - तिनका कमाया था जिसे मैंने मगर आह नही भर सकता क्योकि मैं पुरुष हूँ . मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की हमेशा धकेल दिया जाता हूं रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी कभी अपना दर्द बता नही सकता किसी भी तरह जता नही सकता बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ क्योंकि मैं पुरुष हूँ ©Andy Mann

#पुरुष #कविता  मैं " पुरुष " हूँ

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

©Andy Mann

#पुरुष Dr Udayver Singh @Niaz (Harf) @Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar

31 Love

#विचार

@S.K Yash Mehta @Ak.writer_2.0 @Niaz (Harf) Satish

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White हो रही राते बड़ी बस नींद को अब त्यागना है कुछ करने की ठान ली बस आपना वक्त फिर से लाना है की ये रातें के अंधेरों में जाग कर मेहनत करके एक नए जिंदगी कुछ पलों को और बेहतर बनना है ©MAHENDRA KUMAR

#विचार #life_lesson #Sad_Status #jindigi #newday  White हो रही राते बड़ी 
बस नींद को अब 
त्यागना है 
कुछ करने की ठान ली 
बस आपना वक्त 
फिर से लाना है 
 की ये रातें के अंधेरों 
में  जाग कर मेहनत करके 
एक नए जिंदगी 
कुछ पलों को 
और बेहतर बनना है

©MAHENDRA KUMAR

White दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए ©Andy Mann

#मोटिवेशनल #GoodMorning  White दुनिया बस इस से और ज़ियादा नहीं है कुछ
कुछ रोज़ हैं गुज़ारने और कुछ गुज़र गए

©Andy Mann

White मुझ को "फिक्र" है कैसे हो इलाज "ज़ख्मों" का, . हाथ "जल" गए जिनके, "मेरा" घर "जलाने" में..! ©Andy Mann

#शायरी #sad_quotes  White मुझ को "फिक्र" है कैसे हो इलाज "ज़ख्मों" का,
.
हाथ "जल" गए जिनके, "मेरा" घर "जलाने" में..!

©Andy Mann

White जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं: 1. अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी, मेरी भी। 2. मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा। 3. अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता। 4. अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी। 5. छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ। 6. जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ। 7. जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ। 8. बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ। 9. ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ। 10. जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है। अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है। हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है। आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी। देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊 ©Andy Mann

#मोटिवेशनल #GoodNight  White जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, मैंने महसूस किया है कि मेरे जीने के दिन अब उतने नहीं बचे जितने मैंने जी लिए हैं। इस अहसास ने मेरे जीवन में कई बदलाव ला दिए हैं:  
1. अब किसी प्रियजन की विदाई पर रोना छोड़ दिया है, क्योंकि मैंने स्वीकार कर लिया है कि हर किसी की बारी आएगी, मेरी भी।  
2. मेरी विदाई के बाद क्या होगा, इसकी चिंता करना भी छोड़ दिया है। सब कुछ वैसे ही चलता रहेगा।  
3. अब सामने वाले की संपत्ति, शक्ति या पद से डर नहीं लगता।  
4. अपने लिए समय निकालता हूँ और समझ चुका हूँ कि दुनिया मेरे बिना भी चलेगी।  
5. छोटे व्यापारियों और फेरीवालों से मोलभाव करना बंद कर दिया है, और कभी-कभी जानबूझकर थोड़ा ज्यादा दे देता हूँ।  
6. जरूरतमंदों को बिना मांगे छोटी-छोटी मदद देकर उनके चेहरे की खुशी में आनंद ढूँढता हूँ।  
7. जब कोई गलत व्यक्ति बहस करता है, तो अपनी मानसिक शांति को प्राथमिकता देता हूँ।  
8. बुजुर्गों और बच्चों की बार-बार कही बातों को बिना टोके सुन लेता हूँ।  
9. ब्रांडेड चीज़ों की बजाय विचारों और भावनाओं से व्यक्तित्व को आंकने लगा हूँ।  
10. जो लोग अपनी आदतें मुझ पर थोपते हैं, उनसे दूर रहना सीख लिया है।  
अब किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हूँ और जीवन को सरलता से जीता हूँ। यह जान गया हूँ कि जीवन दूसरों को खुश रखने से नहीं, बल्कि अपने अंदर के आनंद को पहचानने से संतोष मिलता है।  
हर पल को पूरी तरह जीने की कोशिश करता हूँ, क्योंकि अब यह समझ आ गया है कि जीवन अमूल्य है और यहाँ कुछ भी स्थायी नहीं है।  

आंतरिक शांति के लिए मानवता की सेवा, जीव दया और प्रकृति से जुड़कर जीने लगा हूँ। यह महसूस हो गया है कि अंततः सब कुछ यहीं रह जाना है, और हमारे साथ केवल प्रेम, आदर और मानवता ही जाएगी।  

देर से ही सही, लेकिन अब मुझे जीना आ गया है। 😊

©Andy Mann

मैं " पुरुष " हूँ मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ टूटता हूँ , बिखरता हूँ भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता पत्थर हो चुका क्योंकि मैं पुरुष हूँ मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था स्वाह कर दिया जाता हैं मेरे उस मान-सम्मान का तिनका - तिनका कमाया था जिसे मैंने मगर आह नही भर सकता क्योकि मैं पुरुष हूँ . मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की हमेशा धकेल दिया जाता हूं रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी कभी अपना दर्द बता नही सकता किसी भी तरह जता नही सकता बहुत मजबूत होने का ठप्पा लगाए जीता हूँ क्योंकि मैं पुरुष हूँ ©Andy Mann

#पुरुष #कविता  मैं " पुरुष " हूँ

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ

©Andy Mann

#पुरुष Dr Udayver Singh @Niaz (Harf) @Ak.writer_2.0 अदनासा- vinay panwar

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@S.K Yash Mehta @Ak.writer_2.0 @Niaz (Harf) Satish

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