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New e mohabbat zindabad Status, Photo, Video

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#dikhawa  मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

©Sam

#dikhawa e mohabbat

135 View

White ये ज़ो ज़लन महसूस कर रहे हो तुम सीने में..... ये बिछड़ी हुई मोहब्बत की आग है ज़ो इक दिन ज़लाकर....तुम्हें राख़ कर देगी ©शायरी नायक अनिल

#Sad_shayri  White ये ज़ो ज़लन महसूस कर रहे हो
 तुम सीने में.....
ये बिछड़ी हुई मोहब्बत की आग है
ज़ो इक दिन ज़लाकर....तुम्हें
 राख़ कर देगी

©शायरी नायक अनिल

#Sad_shayri Dard e mohabbat

12 Love

White कोई झाँक ही सका न दिल में मेरे साहब, ये मोहब्बत से भरा कुआँ लोगों को सूखा नज़र आता रहा..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #Sad_Status  White  कोई झाँक ही सका न दिल में मेरे साहब,
ये मोहब्बत से भरा कुआँ लोगों को सूखा नज़र आता रहा..!

©SHIVA KANT(Shayar)

White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat, qata si ban gayi hai phir mohabbat, koi aisa na mila uske jane ke baad, bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat. ©Syed Akmal

 White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat,
qata si ban gayi hai phir mohabbat,
koi aisa na mila uske jane ke baad,
bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat.

©Syed Akmal

yaad-e-mohabbat

9 Love

White दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे, बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..! वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर, इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..! एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर, प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..! मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब, ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..! क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे, काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..! वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ, उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..! जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर, उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..! बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम, कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #sad_dp  White  दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे,
बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..!
वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर,
इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..!

एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर,
प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..!
मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब,
ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..!

क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे,
काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..!
वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ,
उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..!

जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर,
उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..!
बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम,
कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
#Izhaar–e–mohabbat #लव
#dikhawa  मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

©Sam

#dikhawa e mohabbat

135 View

White ये ज़ो ज़लन महसूस कर रहे हो तुम सीने में..... ये बिछड़ी हुई मोहब्बत की आग है ज़ो इक दिन ज़लाकर....तुम्हें राख़ कर देगी ©शायरी नायक अनिल

#Sad_shayri  White ये ज़ो ज़लन महसूस कर रहे हो
 तुम सीने में.....
ये बिछड़ी हुई मोहब्बत की आग है
ज़ो इक दिन ज़लाकर....तुम्हें
 राख़ कर देगी

©शायरी नायक अनिल

#Sad_shayri Dard e mohabbat

12 Love

White कोई झाँक ही सका न दिल में मेरे साहब, ये मोहब्बत से भरा कुआँ लोगों को सूखा नज़र आता रहा..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #Sad_Status  White  कोई झाँक ही सका न दिल में मेरे साहब,
ये मोहब्बत से भरा कुआँ लोगों को सूखा नज़र आता रहा..!

©SHIVA KANT(Shayar)

White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat, qata si ban gayi hai phir mohabbat, koi aisa na mila uske jane ke baad, bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat. ©Syed Akmal

 White phir se ek baar yaad ayi hai barson ki mohabbat,
qata si ban gayi hai phir mohabbat,
koi aisa na mila uske jane ke baad,
bure waqt mai jab o hasati thi mohabbat.

©Syed Akmal

yaad-e-mohabbat

9 Love

White दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे, बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..! वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर, इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..! एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर, प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..! मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब, ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..! क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे, काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..! वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ, उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..! जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर, उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..! बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम, कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..! ©SHIVA KANT(Shayar)

#Izhaar–e–mohabbat #sad_dp  White  दिल में हाँ लबों पे ना इज़हार करूँ कैसे,
बीच मझदार में नाव इश्क़ की पार करूँ कैसे..!
वो छुपी है चाँद सी बादलों में इस कदर,
इश्क़ में इज़हार यूँ आँखें चार करूँ कैसे..!

एहसासों अल्फ़ाज़ों में बसी है वो पर,
प्रफुल्लित मन से प्यार करूँ कैसे..!
मिलेंगे कभी कहीं किसी मोड़ पे जब,
ख़्वाबों में ही मिलने को तैयार करूँ कैसे..!

क़लम ख़ामोशी ओढ़ लेती है देख उसे,
काग़ज़ों को ख़ुश आख़िरकार करूँ कैसे..!
वो रूठती है बातों से अक्सर बहुत यूँ,
उसके दिल रुपी घर में ख़ुद को किरायेदार करूँ कैसे..!

जीते हैं हमने भी चुनाव कई इश्क़ के पर,
उसके योग्य ख़ुद को उम्मीदवार करूँ कैसे..!
बस अब कुछ नहीं कहना और बाकी सनम,
कब तक तन्हाई में उसका इंतज़ार करूँ कैसे..!

©SHIVA KANT(Shayar)
#Izhaar–e–mohabbat #लव
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