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आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

गाड़ी गाड़ी क्या आई हम पैदल चलना भूल गए इसके बिना तो घर से हम निकलना भूल गए घुटने जकड़ गए हैं दर्द से चेहरा पीला है बूढ़े हुए समय से पहले बदन जो ढीला है होता नहीं पसीना ठंढक इसके अंदर है देती है आराम मगर बीमारी का घर है बेखुद हवा से बातें करके खुश होतें हैं हम दुर्घटना जब हो जाती तब रोते हैं हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#गाड़ी #कविता  गाड़ी
गाड़ी क्या आई हम पैदल
चलना भूल गए
इसके बिना तो घर से हम
 निकलना भूल गए

घुटने जकड़ गए हैं
दर्द से चेहरा पीला है
बूढ़े हुए समय से पहले
बदन जो ढीला है

होता नहीं पसीना
ठंढक इसके अंदर है
देती  है आराम मगर
बीमारी का घर है

बेखुद हवा से बातें करके
खुश होतें हैं हम
दुर्घटना जब हो जाती
तब रोते हैं हम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
#वीडियो

गाड़ी चलाते समय

153 View

#Videos

दियरा का राजा का महल

144 View

आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है अपनी सुख सुविधाओं के लिए.... फिर स्वयं विवश होती है अपने दुःख और दुविधाओं से...!! ©Anjali Jain

#विचार  आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

16 Love

गाड़ी गाड़ी क्या आई हम पैदल चलना भूल गए इसके बिना तो घर से हम निकलना भूल गए घुटने जकड़ गए हैं दर्द से चेहरा पीला है बूढ़े हुए समय से पहले बदन जो ढीला है होता नहीं पसीना ठंढक इसके अंदर है देती है आराम मगर बीमारी का घर है बेखुद हवा से बातें करके खुश होतें हैं हम दुर्घटना जब हो जाती तब रोते हैं हम ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#गाड़ी #कविता  गाड़ी
गाड़ी क्या आई हम पैदल
चलना भूल गए
इसके बिना तो घर से हम
 निकलना भूल गए

घुटने जकड़ गए हैं
दर्द से चेहरा पीला है
बूढ़े हुए समय से पहले
बदन जो ढीला है

होता नहीं पसीना
ठंढक इसके अंदर है
देती  है आराम मगर
बीमारी का घर है

बेखुद हवा से बातें करके
खुश होतें हैं हम
दुर्घटना जब हो जाती
तब रोते हैं हम

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
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गाड़ी चलाते समय

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दियरा का राजा का महल

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