ठुकरा दिया जाता हैं ,
हद से ज्यादा लगाव होने पर,
इंसान को एहसासों का मूल्य नहीं पता,
उन्हे बोझ सा लगने लगता है,
अत्यधिक प्रेम,अत्यधिक रख रखाव,
किसी का उनके प्रति इतना समर्पण,
उन्हे गर्वित महसूस कराने की जगह,
उन्हे कुंठित महसूस करवाता है,
क्योंकि उनका प्रेम केवल,
उनके लेवल तक का है जबकि,
सामने वाले का प्रेम,
उच्च शिखर का ,
जिसमे वो एक भक्त जैसा है ,
और उसका प्रिय उसके लिए भगवान जैसा,
वो नही चाहता उससे कोई भी चूक हो,
उनका ख्याल रखने में ,
वो नही चाहता कि उसके भगवान,
उसकी किसी भी लापरवाही से,
उससे दूर हो जाएं,
जैसे सांसों की अहमियत होती है हमारे जीवन ने,
ठीक उसी तरह उस प्रेमी के लिए ,
अत्यधिक अनिवार्य होता है उसका प्रेम ,
मगर सामने वाला समझे तब न,
क्योंकि समझेगा भी वही इस गहराई को,
प्रेम की पराकाष्ठा को,
जिसने उस प्रेम को स्वयं से ऊपर उठकर,
महसूस किया हो,
जिसने बनाया हो अपने प्रेमी को अपने आराध्य जैसा,
जिसने समझा हो कि प्रेम का ,
हमारे जीवन में क्या मूल्य है,
और एक बार प्रेम की डोर हाथों से छूट गई,
तो उम्र भर का मलाल बनकर रह जायेगा बस,
न फिर ऐसा प्रेम होगा ,
और न ही ऐसा कोई प्रेमी मिलेगा दोबारा,
जो आपको अपने आराध्य का दर्जा दे पाएगा...!
ख़ैर....
©jo_dil_kahe
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