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आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना नहीं करते। खुद पर यकीन, किसी और पर गुरूर नहीं करते, सपनों को सच करने का खुद ही दूर नहीं करते। ऊंचाई पर जुनून का घर बसता है, परिंदे हैं, मगर फिजूल का शोर नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  आसमान खुद झुककर सलाम करता है,
हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते।

अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं,
किसी की बंदिशों का सामना नहीं करते।

खुद पर यकीन, किसी और पर गुरूर नहीं करते,
सपनों को सच करने का खुद ही दूर नहीं करते।

ऊंचाई पर जुनून का घर बसता है,
परिंदे हैं, मगर फिजूल का शोर नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना

12 Love

जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ, हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता। न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का, हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता। परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी, हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता। अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के, हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता। तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस, हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता,
अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता।

फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ,
हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता।

न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का,
हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता।

परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी,
हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता।

अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के,
हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता।

तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस,
हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ

14 Love

#विचार  कभी-कभी जीने दो इन्हें,
इनकी उड़ान अभी बाकी है।
मेरे बच्चे भी आसमां छुए,
ये उम्मीद हर मां की है।

©आधुनिक कवयित्री

आजाद परिंदे.........।

63 View

दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं। दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।" ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी,
हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं।
हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं।
दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।"

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छो

17 Love

आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना नहीं करते। खुद पर यकीन, किसी और पर गुरूर नहीं करते, सपनों को सच करने का खुद ही दूर नहीं करते। ऊंचाई पर जुनून का घर बसता है, परिंदे हैं, मगर फिजूल का शोर नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  आसमान खुद झुककर सलाम करता है,
हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते।

अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं,
किसी की बंदिशों का सामना नहीं करते।

खुद पर यकीन, किसी और पर गुरूर नहीं करते,
सपनों को सच करने का खुद ही दूर नहीं करते।

ऊंचाई पर जुनून का घर बसता है,
परिंदे हैं, मगर फिजूल का शोर नहीं करते।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना

12 Love

जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ, हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता। न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का, हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता। परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी, हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता। अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के, हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता। तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस, हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता। ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #कविता  जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता,
अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता।

फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ,
हर दिल में मोहब्बत का घर बसाना अच्छा होता।

न होता ये बंटवारा जमीं और आसमां का,
हर कोने में बस इंसां बसाना अच्छा होता।

परिंदों की तरह बेखौफ उड़ते रहते हम भी,
हर ख्वाब को अपना बनाना अच्छा होता।

अगर न होते ये फर्क मज़हब और वतन के,
हर साया बस अमन का ठिकाना अच्छा होता।

तू भी मेरा, मैं भी तेरा, ये रिश्ता हो बस,
हर जश्न में शामिल ज़माना अच्छा होता।

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जिधर जाते हैं सब परिंदे, उधर जाना अच्छा होता, अगर ये सरहदों का फासला मिटाना अच्छा होता। फिज़ाओं में बहती है एक सी खुशबू हर तरफ

14 Love

#विचार  कभी-कभी जीने दो इन्हें,
इनकी उड़ान अभी बाकी है।
मेरे बच्चे भी आसमां छुए,
ये उम्मीद हर मां की है।

©आधुनिक कवयित्री

आजाद परिंदे.........।

63 View

दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं। दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।" ©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर #शायरी  दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी,
हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं।
हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छोड़ते नहीं।
दूरी बेशक हो, साथ का एहसास, कम कभी होने देते नहीं।"

©नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर दोस्ती गर की तो साथ छोड़ा नहीं कभी, हम वो परिंदे हैं जो उजड़ी हुई शाखों पर घरौंदे बनाते फिरते हैं। हाथ जो पकड़ ले, तो फिर उसे छो

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