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रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है। ...... ©Dhaneshdwivediwriter

#कविता  रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।





















......

©Dhaneshdwivediwriter

रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि

12 Love

White एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं मानते हैं, बस यह बात सुनकर मेरा दिल रोने लगा था..! ©Himanshu Prajapati

#love_shayari #Velentine #hpstrange #लव #36gyan  White एहसास मोहब्बत का होने लगा था,
मैं किसी के लिए खोने लगा था,
मोहब्बत इजहार होने वाला ही था,
बोली दादाजी मर गए थे 
वैलेंटाइन नहीं मानते हैं,
बस यह बात सुनकर मेरा दिल रोने 
लगा था..!

©Himanshu Prajapati

#love_shayari एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं

11 Love

नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है, कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे। टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी, अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे। बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं, मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी। मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका, उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी। ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी, मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे। बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी, राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे। भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं, मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे। नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर, मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे। बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त, और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे। मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया, इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे। दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा, तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे। मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू, उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#शायरी #wordsofwisdom #quoteoftheday #quotestagram #GoldenHour  नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour @Sheetal Shekhar @Sarfraz Ahmad @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @Monu Kumar @Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

19 Love

रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है। ...... ©Dhaneshdwivediwriter

#कविता  रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं
भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं।
यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा,
फिर भी दिल के एक कोने में अन्धकार बहुत है।





















......

©Dhaneshdwivediwriter

रिश्तों के बाजार में मेरे तलबगार बहुत हैं भावनाओं की बोली लगाये, ऐसे साहूकार बहुत हैं। यूँ तो रिश्तों से हरा-भरा मुस्कुराता जीवन है मेरा, फि

12 Love

White एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं मानते हैं, बस यह बात सुनकर मेरा दिल रोने लगा था..! ©Himanshu Prajapati

#love_shayari #Velentine #hpstrange #लव #36gyan  White एहसास मोहब्बत का होने लगा था,
मैं किसी के लिए खोने लगा था,
मोहब्बत इजहार होने वाला ही था,
बोली दादाजी मर गए थे 
वैलेंटाइन नहीं मानते हैं,
बस यह बात सुनकर मेरा दिल रोने 
लगा था..!

©Himanshu Prajapati

#love_shayari एहसास मोहब्बत का होने लगा था, मैं किसी के लिए खोने लगा था, मोहब्बत इजहार होने वाला ही था, बोली दादाजी मर गए थे वैलेंटाइन नहीं

11 Love

नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे, ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे। उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर, मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे। अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है, कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे। टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी, अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे। बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं, मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी। मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका, उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी। ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी, मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे। बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी, राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे। भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं, मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे। नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर, मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे। बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त, और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे। मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया, इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे। दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा, तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे। मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू, उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे। ©theABHAYSINGH_BIPIN

#शायरी #wordsofwisdom #quoteoftheday #quotestagram #GoldenHour  नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour @Sheetal Shekhar @Sarfraz Ahmad @Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) @Monu Kumar @Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

19 Love

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