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कुछ मां यशोदा जैसी होती है जो दूसरे के संतान को भी अपने गले से लगाए रहती है। और कुछ मां कैकई की तरह अपने बच्चों में ही फर्क करती है। ©Kalpana Srivastava

#मां #Quotes  कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava

#मां

16 Love

मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता, उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता। दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं, मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #मां  मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर

#मां

11 Love

White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं, बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती। हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया, जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती। कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है, अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से, ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था। सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही, न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था। वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है, अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर, लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा। ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती, कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा। मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है, अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में, किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं। कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं , तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं। इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती , अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। ©Shubham Mishra

#कविता #sunset_time  White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra

#sunset_time मां

11 Love

#वीडियो

मां

207 View

White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है, परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है, नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली, सब नया नया है पर वीराना लगता है। चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब, नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब, तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब। ©Shubham Mishra

#कविता #sad_qoute  White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, 
मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब।

©Shubham Mishra

#sad_qoute मां

14 Love

कुछ मां यशोदा जैसी होती है जो दूसरे के संतान को भी अपने गले से लगाए रहती है। और कुछ मां कैकई की तरह अपने बच्चों में ही फर्क करती है। ©Kalpana Srivastava

#मां #Quotes  कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava

#मां

16 Love

मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता, उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता। दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं, मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है। ©नवनीत ठाकुर

#कविता #मां  मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर

#मां

11 Love

White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं, बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती। हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया, जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती। कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है, अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से, ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था। सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही, न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था। वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है, अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर, लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा। ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती, कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा। मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है, अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में, किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं। कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं , तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं। इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती , अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है। ©Shubham Mishra

#कविता #sunset_time  White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra

#sunset_time मां

11 Love

#वीडियो

मां

207 View

White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है, परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है, नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली, सब नया नया है पर वीराना लगता है। चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब, नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब, तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब। ©Shubham Mishra

#कविता #sad_qoute  White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर, 
मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब।

©Shubham Mishra

#sad_qoute मां

14 Love

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