White धूप बेगानी और पानी बेगाना दिखता है,
परदेशी रूह में न अपनापन झलकता है,
नमक रोटी बदली फटी लंगोटी बदली,
सब नया नया है पर वीराना लगता है।
चमकते सजीले चेहरे आंखों में चुभते हैं अब,
नींदों की चाहत में सो-सोकर जगते हैं अब,
तमाशाई होड़ में चले आये थे हम भी शहर पर,
मां की यादों में रोज सिसकते रहते हैं अब।
©Shubham Mishra
#sad_qoute मां