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New yaaran da yaar harf cheema Status, Photo, Video

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रूह की गहराईयों में, सुकून का जहाँ है, वहां कोई हलचल नहीं, बस ख़ामोशियाँ हैं। जैसे सागर की लहरें, किनारे से मिलतीं, रूह की तरंगें, अनंत में खो जातीं। बाहरी दुनिया के शोर में, अक्सर गुम हो जाती , पर अंदर की आवाज़, सदा हमें बुलाती। चाहे आँधियाँ आएं, या हो धूप-छांव, रूह के सफ़र में, बस है इश्क़ का नाव। जो इसे समझे, वह अमरता पा ले, जो इसे न समझे, वह भ्रम में जा ले। रूह का ये रिश्ता, दिल से गहरा है, यह अनंत की ओर बढ़ता, हर पल ठहरा है। तो सुनो उस रूह की आवाज़ को तुम, वो सच है, जो है ख़ुदा का दर्पण! ©aditi the writer

#कविता #रूह  रूह की गहराईयों में, सुकून का जहाँ है, 
वहां कोई हलचल नहीं, बस ख़ामोशियाँ हैं।

जैसे सागर की लहरें, किनारे से मिलतीं,
 रूह की तरंगें, अनंत में खो जातीं।

बाहरी दुनिया के शोर में, अक्सर गुम हो जाती
, पर अंदर की आवाज़, सदा हमें बुलाती।

चाहे आँधियाँ आएं, या हो धूप-छांव, 
रूह के सफ़र में, बस है इश्क़ का नाव।

जो इसे समझे, वह अमरता पा ले, 
जो इसे न समझे, वह भ्रम में जा ले।

रूह का ये रिश्ता, दिल से गहरा है, 
यह अनंत की ओर बढ़ता, हर पल ठहरा है।

तो सुनो उस रूह की आवाज़ को तुम, 
वो सच है, जो है ख़ुदा का दर्पण!

©aditi the writer

White पाश्चात्य के रंग चढ़े इस कदर, भूल रहे अपनी जड़ें, अपना सफर। जहाँ थे मंत्र, श्लोक, हमारी पहचान, अब बदल रहा है सबका ही मान। जींस, टी-शर्ट में लिपटी है जवानी, भूल गए धोती, साड़ी की कहानी। फास्ट फूड की थाली में स्वाद नया, पर खो गया मां के हाथों का छौंका हुआ। त्योहार अब बन गए बस एक रीत, कब छूट गई उनमें वो दिल की प्रीत? दिवाली की दियों की जगह ले ली रौशनी ने, होली की खुशबू को बदल दिया केमिकल ने। संस्कार, संस्कार अब बस नाम के, पश्चिमी हवाओं में बहते हैं हम आम के। अंग्रेज़ी में लिपटी हर एक बातचीत, हिंदी और मातृभाषा कहीं खो गई प्रीत। वो भी ज़रूरी है, प्रगति की राह, पर अपनी संस्कृति क्यों छोड़ें ये चाह? पाश्चात्य से सीखें, पर भूलें न अपनी धरोहर, क्योंकि वही है हमारी पहचान का आधार। आओ मिलकर चलें इस नये दौर में, अपनी संस्कृति को रखें हम अपने गौरव में। पश्चिम की चमक में खो न जाएं, अपनी धरोहर को दिल से सजाएं। ©aditi the writer

#कविता #sanskriti  White पाश्चात्य के रंग चढ़े इस कदर,
भूल रहे अपनी जड़ें, अपना सफर।
जहाँ थे मंत्र, श्लोक, हमारी पहचान,
अब बदल रहा है सबका ही मान।

जींस, टी-शर्ट में लिपटी है जवानी,
भूल गए धोती, साड़ी की कहानी।
फास्ट फूड की थाली में स्वाद नया,
पर खो गया मां के हाथों का छौंका हुआ।

त्योहार अब बन गए बस एक रीत,
कब छूट गई उनमें वो दिल की प्रीत?
दिवाली की दियों की जगह ले ली रौशनी ने,
होली की खुशबू को बदल दिया केमिकल ने।

संस्कार, संस्कार अब बस नाम के,
पश्चिमी हवाओं में बहते हैं हम आम के।
अंग्रेज़ी में लिपटी हर एक बातचीत,
हिंदी और मातृभाषा कहीं खो गई प्रीत।

वो भी ज़रूरी है, प्रगति की राह,
पर अपनी संस्कृति क्यों छोड़ें ये चाह?
पाश्चात्य से सीखें, पर भूलें न अपनी धरोहर,
क्योंकि वही है हमारी पहचान का आधार।

आओ मिलकर चलें इस नये दौर में,
अपनी संस्कृति को रखें हम अपने गौरव में।
पश्चिम की चमक में खो न जाएं,
अपनी धरोहर को दिल से सजाएं।

©aditi the writer

White जहाँ नहीं सामर्थ्य शोढ की, क्षमा वहाँ निष्फल है। गरल-घूँट पी जाने का मिस है, वाणी का छल है। फलक क्षमा का ओढ़ छिपाते जो अपनी कायरता, वे क्या जानें प्रज्वलित-प्राण नर की पौरुष-निर्भरता? वे क्या जाने नर में वह क्या असहनशील अनल है, जो लगते ही स्पर्श हृदय से सिर तक उठता बल है? ramdhari singh dinkar ©aditi the writer

#कविता #sad_quotes  White जहाँ नहीं सामर्थ्य शोढ की,
क्षमा वहाँ निष्फल है।
गरल-घूँट पी जाने का
मिस है, वाणी का छल है।
फलक क्षमा का ओढ़ छिपाते
जो अपनी कायरता,
वे क्या जानें प्रज्वलित-प्राण
नर की पौरुष-निर्भरता?

वे क्या जाने नर में वह क्या
असहनशील अनल है,
जो लगते ही स्पर्श हृदय से
सिर तक उठता बल है?

ramdhari singh dinkar

©aditi the writer

White खत आया था वोह लेकर एक आखरी डोर था। आखिर मेरे और उसके प्यार की एक निशानी ही वोह खत था। कहीं सारे यादों का वो एक भंडार था। मेरा उसे चाहना शायद खत को भी , ना कबूल था। मैंने लाख लिखा भावनावो को मेरे। मगर उसे तो, उसमे भी एतराज था। आख़िर प्यार ही था एक तरफा शायद उसे भी पता था। शायद उसे भी पता था।। ©Dr.Pooja Gaikwad

#Sad_Status  White खत
 
आया था वोह लेकर एक आखरी डोर था।
आखिर मेरे और उसके प्यार की एक निशानी ही वोह खत था।

कहीं सारे यादों का वो एक भंडार था।
मेरा उसे चाहना शायद खत को भी ,
ना कबूल था।

मैंने लाख लिखा भावनावो को मेरे।
मगर उसे तो, उसमे भी एतराज था।

आख़िर प्यार ही था एक तरफा 
शायद उसे भी पता था।
शायद उसे भी पता था।।

©Dr.Pooja Gaikwad

White ख्वाब में आ कर भी खोया सा हूं याद में आ कर भी रोया सा हूं कही वजूद नहीं है मेरा बस तेरे सामने साया सा हूं ©aditi the writer

#शायरी #love_shayari  White ख्वाब में आ कर भी खोया सा हूं
याद में आ कर भी रोया सा हूं
कही वजूद नहीं है मेरा
बस तेरे सामने साया सा हूं

©aditi the writer

#love_shayari आगाज़ @vineetapanchal @Niaz (Harf) @Da "Divya Tyagi" @it's_ficklymoonlight

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#a__girlnextdoor #Videos #Ka #Da

रूह की गहराईयों में, सुकून का जहाँ है, वहां कोई हलचल नहीं, बस ख़ामोशियाँ हैं। जैसे सागर की लहरें, किनारे से मिलतीं, रूह की तरंगें, अनंत में खो जातीं। बाहरी दुनिया के शोर में, अक्सर गुम हो जाती , पर अंदर की आवाज़, सदा हमें बुलाती। चाहे आँधियाँ आएं, या हो धूप-छांव, रूह के सफ़र में, बस है इश्क़ का नाव। जो इसे समझे, वह अमरता पा ले, जो इसे न समझे, वह भ्रम में जा ले। रूह का ये रिश्ता, दिल से गहरा है, यह अनंत की ओर बढ़ता, हर पल ठहरा है। तो सुनो उस रूह की आवाज़ को तुम, वो सच है, जो है ख़ुदा का दर्पण! ©aditi the writer

#कविता #रूह  रूह की गहराईयों में, सुकून का जहाँ है, 
वहां कोई हलचल नहीं, बस ख़ामोशियाँ हैं।

जैसे सागर की लहरें, किनारे से मिलतीं,
 रूह की तरंगें, अनंत में खो जातीं।

बाहरी दुनिया के शोर में, अक्सर गुम हो जाती
, पर अंदर की आवाज़, सदा हमें बुलाती।

चाहे आँधियाँ आएं, या हो धूप-छांव, 
रूह के सफ़र में, बस है इश्क़ का नाव।

जो इसे समझे, वह अमरता पा ले, 
जो इसे न समझे, वह भ्रम में जा ले।

रूह का ये रिश्ता, दिल से गहरा है, 
यह अनंत की ओर बढ़ता, हर पल ठहरा है।

तो सुनो उस रूह की आवाज़ को तुम, 
वो सच है, जो है ख़ुदा का दर्पण!

©aditi the writer

White पाश्चात्य के रंग चढ़े इस कदर, भूल रहे अपनी जड़ें, अपना सफर। जहाँ थे मंत्र, श्लोक, हमारी पहचान, अब बदल रहा है सबका ही मान। जींस, टी-शर्ट में लिपटी है जवानी, भूल गए धोती, साड़ी की कहानी। फास्ट फूड की थाली में स्वाद नया, पर खो गया मां के हाथों का छौंका हुआ। त्योहार अब बन गए बस एक रीत, कब छूट गई उनमें वो दिल की प्रीत? दिवाली की दियों की जगह ले ली रौशनी ने, होली की खुशबू को बदल दिया केमिकल ने। संस्कार, संस्कार अब बस नाम के, पश्चिमी हवाओं में बहते हैं हम आम के। अंग्रेज़ी में लिपटी हर एक बातचीत, हिंदी और मातृभाषा कहीं खो गई प्रीत। वो भी ज़रूरी है, प्रगति की राह, पर अपनी संस्कृति क्यों छोड़ें ये चाह? पाश्चात्य से सीखें, पर भूलें न अपनी धरोहर, क्योंकि वही है हमारी पहचान का आधार। आओ मिलकर चलें इस नये दौर में, अपनी संस्कृति को रखें हम अपने गौरव में। पश्चिम की चमक में खो न जाएं, अपनी धरोहर को दिल से सजाएं। ©aditi the writer

#कविता #sanskriti  White पाश्चात्य के रंग चढ़े इस कदर,
भूल रहे अपनी जड़ें, अपना सफर।
जहाँ थे मंत्र, श्लोक, हमारी पहचान,
अब बदल रहा है सबका ही मान।

जींस, टी-शर्ट में लिपटी है जवानी,
भूल गए धोती, साड़ी की कहानी।
फास्ट फूड की थाली में स्वाद नया,
पर खो गया मां के हाथों का छौंका हुआ।

त्योहार अब बन गए बस एक रीत,
कब छूट गई उनमें वो दिल की प्रीत?
दिवाली की दियों की जगह ले ली रौशनी ने,
होली की खुशबू को बदल दिया केमिकल ने।

संस्कार, संस्कार अब बस नाम के,
पश्चिमी हवाओं में बहते हैं हम आम के।
अंग्रेज़ी में लिपटी हर एक बातचीत,
हिंदी और मातृभाषा कहीं खो गई प्रीत।

वो भी ज़रूरी है, प्रगति की राह,
पर अपनी संस्कृति क्यों छोड़ें ये चाह?
पाश्चात्य से सीखें, पर भूलें न अपनी धरोहर,
क्योंकि वही है हमारी पहचान का आधार।

आओ मिलकर चलें इस नये दौर में,
अपनी संस्कृति को रखें हम अपने गौरव में।
पश्चिम की चमक में खो न जाएं,
अपनी धरोहर को दिल से सजाएं।

©aditi the writer

White जहाँ नहीं सामर्थ्य शोढ की, क्षमा वहाँ निष्फल है। गरल-घूँट पी जाने का मिस है, वाणी का छल है। फलक क्षमा का ओढ़ छिपाते जो अपनी कायरता, वे क्या जानें प्रज्वलित-प्राण नर की पौरुष-निर्भरता? वे क्या जाने नर में वह क्या असहनशील अनल है, जो लगते ही स्पर्श हृदय से सिर तक उठता बल है? ramdhari singh dinkar ©aditi the writer

#कविता #sad_quotes  White जहाँ नहीं सामर्थ्य शोढ की,
क्षमा वहाँ निष्फल है।
गरल-घूँट पी जाने का
मिस है, वाणी का छल है।
फलक क्षमा का ओढ़ छिपाते
जो अपनी कायरता,
वे क्या जानें प्रज्वलित-प्राण
नर की पौरुष-निर्भरता?

वे क्या जाने नर में वह क्या
असहनशील अनल है,
जो लगते ही स्पर्श हृदय से
सिर तक उठता बल है?

ramdhari singh dinkar

©aditi the writer

White खत आया था वोह लेकर एक आखरी डोर था। आखिर मेरे और उसके प्यार की एक निशानी ही वोह खत था। कहीं सारे यादों का वो एक भंडार था। मेरा उसे चाहना शायद खत को भी , ना कबूल था। मैंने लाख लिखा भावनावो को मेरे। मगर उसे तो, उसमे भी एतराज था। आख़िर प्यार ही था एक तरफा शायद उसे भी पता था। शायद उसे भी पता था।। ©Dr.Pooja Gaikwad

#Sad_Status  White खत
 
आया था वोह लेकर एक आखरी डोर था।
आखिर मेरे और उसके प्यार की एक निशानी ही वोह खत था।

कहीं सारे यादों का वो एक भंडार था।
मेरा उसे चाहना शायद खत को भी ,
ना कबूल था।

मैंने लाख लिखा भावनावो को मेरे।
मगर उसे तो, उसमे भी एतराज था।

आख़िर प्यार ही था एक तरफा 
शायद उसे भी पता था।
शायद उसे भी पता था।।

©Dr.Pooja Gaikwad

White ख्वाब में आ कर भी खोया सा हूं याद में आ कर भी रोया सा हूं कही वजूद नहीं है मेरा बस तेरे सामने साया सा हूं ©aditi the writer

#शायरी #love_shayari  White ख्वाब में आ कर भी खोया सा हूं
याद में आ कर भी रोया सा हूं
कही वजूद नहीं है मेरा
बस तेरे सामने साया सा हूं

©aditi the writer

#love_shayari आगाज़ @vineetapanchal @Niaz (Harf) @Da "Divya Tyagi" @it's_ficklymoonlight

16 Love

#a__girlnextdoor #Videos #Ka #Da
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